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सिवान में तेजी से फैल रहा HIV, एक साल में 314 पॉजिटिव केस... 40 की मौत

सीवान में एचआईवी पॉजिटिव मामलों की संख्या में बढ़ोतरी (Number of HIV Positive Cases Increasing in Siwan) देखी जा रही है. एड्स की रोकथाम के बारे में जानकारी देने के लिए सरकार की ओर से कई संगठन काम कर रहे हैं. लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद जिले में एचआईवी पॉजिटिव लोगों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. सदर अस्पताल के एआरटी यानी एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी (Anti Retro Viral Therapy) सेंटर में अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक 314 पॉजिटिव नए एचआईवी मरीज दर्ज किए गए हैं. पढ़ें खास रिपोर्ट...

सिवान में एड्स मरीजों की संख्या में इजाफा
सिवान में एड्स मरीजों की संख्या में इजाफा
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Published : Apr 30, 2022, 6:08 PM IST

सिवान: पिछले कई सालों से एड्स उन्मूलन की दिशा में लगातार गंभीरता से कोशिश हो रही है. इसके बावजूद एड्स ने देश की एक बड़ी आबादी को अपने प्रभाव में जकड़ रखा है. वहीं, बिहार के सिवान में एड्स मरीजों की संख्या में इजाफा (Number of AIDS patients Increase in Siwan) ने चिंता बढ़ा दी है. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Health Minister Mangal Pandey) के गृह जिले से एचआईवी (HIV) के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक जिले में एचआईवी के 314 केस दर्ज किए गए हैं. जबकि इलाज के दौरान 40 मरीजों की मौत हो चुकी है. इसके अलावे एक ट्रांसजेंडर भी इस बीमारी के कारण अपनी जान गंवा चुका है.

ये भी पढ़ें: बिहार में बढ़ रहा है HIV का संक्रमण, समलैंगिकता बन रहा AIDS का बड़ा कारण

डरा रहा है एचआईवी का आंकड़ा: सिवान जिले में एड्स/एचआईवी मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी ने स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी है. यहां कुल एचआइवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या 2324 है. उसमें सिर्फ एक साल में 314 नए केसे दर्ज किए गए हैं. इनमें से 195 पुरूष, 106 महिला और 13 बच्चे शामिल हैं. इस एक वर्ष के दौरान लगभग 6400 डिलीवरी की पहले जांच हुई. जिसमें 15 प्रेग्नेंट महिलाओ की संख्या दर्ज की गई हैं. जिसमें 2021-22 की अगर बात करें तो लगभग इलाज के दौरान 40 मरीजों की जान जा चुकी है.

सीडी 4 जांचने की मशीनें उपलब्ध नहीं: सिवान में एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या लगातार वृद्धि के बावजूद एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की जांच में अहम भूमिका निभाने वाली सीडी-4 जांचने की मशीनें उपलब्ध नहीं हैं. जिस वजह से सीडी-4 की जांच के लिए एचआईवी पॉजिटिव मरीजों का रक्त गोपालगंज भेजा जाता है. जिससे समय की बर्बादी तो होती ही है. साथ ही देरी के कारण मरीजों की तबीयत और अधिक बिगड़ने लगी है.

सीडी 4 सेल काउंट क्यों जरूरी: वायरल लोड के साथ-साथ सीडी4 यानी क्लस्टर ऑफ डिफरेंशियल 4 सेल काउंट करना जरूरी है, जो मरीज की इम्युनिटी को मापता है. अगर सीडी4 की संख्या 500 से कम है, तो रोगियों में संक्रमण विकसित होने की संभावना होती है. सीडी4 जितना ज्यादा होगा, रोगी उतना ही स्वस्थ होगा लेकिन सीडी4 की संख्या जो भी हो, भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) के दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि मरीज के एचआईवी पॉजिटिव होने की पुष्टि होते ही इलाज शुरू कर देना चाहिए. एआरटी सेंटर सिवान में 2324 मरीजों को दवा दी जाती है. वहीं नए मरीजों को बिना सिडिफोर जांच के ही दवा शुरू कर दी जाती है.

जानिए क्या है एआरटी: दरअसल, एड्स की ऐसी दवाइयां अब उपलब्ध हैं, जिन्हें एआरटी यानी एंटी रिवर्स ट्रांसक्रिप्ट एंजाइम वायरल थैरेपी और एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी (Anti Retro Viral Therapy) दवाइयों के नाम से जाना जाता है. सिपला की ट्रायोम्यून जैसी यह दवाइयां महंगी हैं, प्रति व्यक्ति सालाना खर्च तकरीबन 15 हजार रुपए होता है. यह रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जरूरी डब्ल्यूबीसी की संख्या में नियंत्रित कर एड्स पीड़ित को स्वस्थ बनाए रखती है. यह हर जगह आसानी से नहीं मिलती है.

बिना डॉक्टरी सलाह के मरीजों का दवा: सिवान सदर अस्पताल में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) द्वारा स्थापित एआरटी सेंटर केंद्र का हाल भी चिंताजनक है. जहां मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है, वहीं पिछले 6 महीने से यहां चिकित्सा पदाधिकारी का पद खाली पड़ा हुआ है. जिस वजह से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आलम ये है कि बिना डॉक्टर की सलाह के ही वहां मौजूद स्वास्थ्यकर्मी मरीजों को दवा दे रहे हैं. अधिक परेशानी होने पर छपरा या गोपालगंज एआरटी सेंटर से डाक्टर से बातकर दवा उपलब्ध कराते हैं.

एचआईवी सेंटर प्रभारी की सफाई: वहीं नए मरीजों को बिना डॉक्टरी सलाह के ही दवाई शुरू कर दी जाती है. इतनी गंभीर बीमारी में ऐसी बड़ी लापरवाही मरीजों की जान भी ले सकती है. हालांकि सीडीओ सह डिस्ट्रिक्ट एड्स कंट्रोल ऑफिसर डॉ. अनिल सिंह कहते हैं कि यह एक जानलेवा बीमारी जरूर है लेकिन यह भी सच है कि कई मरीज दवा से ठीक भी हुए हैं. वे कहते हैं कि इसका बचाव ही सबसे अच्छा उपाय है. वे कहते हैं कि जिस्मानी संबंध बनाने के समय कंडोम और इंजेक्शन लेते समय निडिल चेंज करवाना बहुत ही जरूरी बात है, जिसपर ध्यान देना चाहिए.

"अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक कुल 314 मरीज हैं. जिसमें मेल 195, फीमेल 106, बच्चे मेल में 7 और फीमेल में 6 हैं. गर्भवती महिलाओं की संख्या 15 है. सिवान में सीडी 4 जांच फिलहाल नहीं हो पा रही है. अभी मरीजों का ब्लड सैंपल लेकर गोपालगंज भेजते हैं. बचाव के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि सुरक्षित यौन संबंध बनाना चाहिए. मेन है कि हम अपना बचाव कर सकते हैं. एड्स घातक तो है लेकिन जो दवाई हमलोग दे रहे हैं, उससे लोग ठीक भी हो रहे हैं"- डॉ. अनिल कुमार सिंह, सीडीओ सह डिस्ट्रिक्ट एड्स कंट्रोल ऑफिसर, सिवान

क्या है एचआईवी?: एड्स एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जो मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु (Human Immunodeficiency Virus) संक्रमण के बाद होती है. एचआईवी संक्रमण के बाद मानवीय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है. एड्स का पूर्ण रूप से उपचार अभी तक संभव नहीं हो सका है. एचआईवी संक्रमित व्यक्ति में एड्स की पहचान संभावित लक्षणों के दिखने के पश्चात ही हो पाती है. एचआईवी संक्रमण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को इस हद तक कम कर देता है कि इसके बाद शरीर अन्य संक्रमणों से लड़ पाने में अक्षम हो जाता है.

एड्स और एचआईवी में अंतर: एचआईवी एक अतिसूक्ष्म विषाणु है, जिसकी वजह से एड्स हो सकता है। यह वायरस 8 से 10 साल के बाद शरीर में एड्स में परिवर्तित हो जाती है। एड्स स्वयं में कोई रोग नहीं है बल्कि एक संलक्षण है। यह अन्य रोगों से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता को घटा देता हैं। प्रतिरोधक क्षमता को नुकसान पहुंचाता है।

पहली स्टेजः व्यक्ति के खून में HIV का संक्रमण फैल जाता है. इस समय व्यक्ति बहुत से और लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा सबसे ज्यादा होता है. इस स्टेज में फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं. हालांकि, कई बार संक्रमित व्यक्ति को कोई लक्षण भी महसूस नहीं होते.

दूसरी स्टेजः ये वो स्टेज होती है जिसमें संक्रमित व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं दिखता, लेकिन वायरस एक्टिव रहता है. कई बार 10 साल से भी ज्यादा वक्त गुजर जाता है, लेकिन व्यक्ति को दवा की जरूरत नहीं पड़ती. इस दौरान व्यक्ति संक्रमण फैला सकता है. आखिर में वायरल लोड बढ़ जाता है और व्यक्ति में लक्षण नजर आने लगते हैं.

ये भी पढ़ें: 'शराब पीने से AIDS होता है...' CM नीतीश कुमार का बयान

तीसरी स्टेजः अगर HIV का पता लगते ही अगर दवा लेनी शुरू कर दी जाए तो इस स्टेज में पहुंचने की आशंका बेहद कम होती है. HIV का ये सबसे गंभीर स्टेज है, जिसमें व्यक्ति AIDS से पीड़ित हो जाता है. AIDS होने पर व्यक्ति में वायरल लोड बहुत ज्यादा हो जाता है और वो काफी संक्रामक हो जाता है. इस स्टेज में बिना इलाज कराए व्यक्ति का 3 साल जी पाना भी मुश्किल होता है.

एचआईवी से कैसे बचा जाए?: HIV का संक्रमण फैलने का सबसे ज्यादा खतरा असुरक्षित यौन संबंध से होता है. भारत में भी HIV का पहला मामला सेक्स वर्कर्स में ही सामने आया था. इसलिए यौन संबंध बनाते समय प्रिकॉशन जरूर इस्तेमाल करें. इसके अलावा इंजेक्शन से ड्रग्स लेने वालों से भी दूर रहना चाहिए. अगर HIV का पता चल जाए तो घबराने की बजाय तुरंत एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी शुरू करें, क्योंकि HIV शरीर को बहुत कमजोर बना देता है और धीरे-धीरे दूसरी बीमारियां भी घेरने लगती हैं. अभी तक इसका इलाज भले ही नहीं है, लेकिन दवाओं के जरिए इससे बचा जा सकता है.

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सिवान: पिछले कई सालों से एड्स उन्मूलन की दिशा में लगातार गंभीरता से कोशिश हो रही है. इसके बावजूद एड्स ने देश की एक बड़ी आबादी को अपने प्रभाव में जकड़ रखा है. वहीं, बिहार के सिवान में एड्स मरीजों की संख्या में इजाफा (Number of AIDS patients Increase in Siwan) ने चिंता बढ़ा दी है. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Health Minister Mangal Pandey) के गृह जिले से एचआईवी (HIV) के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक जिले में एचआईवी के 314 केस दर्ज किए गए हैं. जबकि इलाज के दौरान 40 मरीजों की मौत हो चुकी है. इसके अलावे एक ट्रांसजेंडर भी इस बीमारी के कारण अपनी जान गंवा चुका है.

ये भी पढ़ें: बिहार में बढ़ रहा है HIV का संक्रमण, समलैंगिकता बन रहा AIDS का बड़ा कारण

डरा रहा है एचआईवी का आंकड़ा: सिवान जिले में एड्स/एचआईवी मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी ने स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी है. यहां कुल एचआइवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या 2324 है. उसमें सिर्फ एक साल में 314 नए केसे दर्ज किए गए हैं. इनमें से 195 पुरूष, 106 महिला और 13 बच्चे शामिल हैं. इस एक वर्ष के दौरान लगभग 6400 डिलीवरी की पहले जांच हुई. जिसमें 15 प्रेग्नेंट महिलाओ की संख्या दर्ज की गई हैं. जिसमें 2021-22 की अगर बात करें तो लगभग इलाज के दौरान 40 मरीजों की जान जा चुकी है.

सीडी 4 जांचने की मशीनें उपलब्ध नहीं: सिवान में एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या लगातार वृद्धि के बावजूद एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की जांच में अहम भूमिका निभाने वाली सीडी-4 जांचने की मशीनें उपलब्ध नहीं हैं. जिस वजह से सीडी-4 की जांच के लिए एचआईवी पॉजिटिव मरीजों का रक्त गोपालगंज भेजा जाता है. जिससे समय की बर्बादी तो होती ही है. साथ ही देरी के कारण मरीजों की तबीयत और अधिक बिगड़ने लगी है.

सीडी 4 सेल काउंट क्यों जरूरी: वायरल लोड के साथ-साथ सीडी4 यानी क्लस्टर ऑफ डिफरेंशियल 4 सेल काउंट करना जरूरी है, जो मरीज की इम्युनिटी को मापता है. अगर सीडी4 की संख्या 500 से कम है, तो रोगियों में संक्रमण विकसित होने की संभावना होती है. सीडी4 जितना ज्यादा होगा, रोगी उतना ही स्वस्थ होगा लेकिन सीडी4 की संख्या जो भी हो, भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) के दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि मरीज के एचआईवी पॉजिटिव होने की पुष्टि होते ही इलाज शुरू कर देना चाहिए. एआरटी सेंटर सिवान में 2324 मरीजों को दवा दी जाती है. वहीं नए मरीजों को बिना सिडिफोर जांच के ही दवा शुरू कर दी जाती है.

जानिए क्या है एआरटी: दरअसल, एड्स की ऐसी दवाइयां अब उपलब्ध हैं, जिन्हें एआरटी यानी एंटी रिवर्स ट्रांसक्रिप्ट एंजाइम वायरल थैरेपी और एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी (Anti Retro Viral Therapy) दवाइयों के नाम से जाना जाता है. सिपला की ट्रायोम्यून जैसी यह दवाइयां महंगी हैं, प्रति व्यक्ति सालाना खर्च तकरीबन 15 हजार रुपए होता है. यह रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जरूरी डब्ल्यूबीसी की संख्या में नियंत्रित कर एड्स पीड़ित को स्वस्थ बनाए रखती है. यह हर जगह आसानी से नहीं मिलती है.

बिना डॉक्टरी सलाह के मरीजों का दवा: सिवान सदर अस्पताल में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) द्वारा स्थापित एआरटी सेंटर केंद्र का हाल भी चिंताजनक है. जहां मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है, वहीं पिछले 6 महीने से यहां चिकित्सा पदाधिकारी का पद खाली पड़ा हुआ है. जिस वजह से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आलम ये है कि बिना डॉक्टर की सलाह के ही वहां मौजूद स्वास्थ्यकर्मी मरीजों को दवा दे रहे हैं. अधिक परेशानी होने पर छपरा या गोपालगंज एआरटी सेंटर से डाक्टर से बातकर दवा उपलब्ध कराते हैं.

एचआईवी सेंटर प्रभारी की सफाई: वहीं नए मरीजों को बिना डॉक्टरी सलाह के ही दवाई शुरू कर दी जाती है. इतनी गंभीर बीमारी में ऐसी बड़ी लापरवाही मरीजों की जान भी ले सकती है. हालांकि सीडीओ सह डिस्ट्रिक्ट एड्स कंट्रोल ऑफिसर डॉ. अनिल सिंह कहते हैं कि यह एक जानलेवा बीमारी जरूर है लेकिन यह भी सच है कि कई मरीज दवा से ठीक भी हुए हैं. वे कहते हैं कि इसका बचाव ही सबसे अच्छा उपाय है. वे कहते हैं कि जिस्मानी संबंध बनाने के समय कंडोम और इंजेक्शन लेते समय निडिल चेंज करवाना बहुत ही जरूरी बात है, जिसपर ध्यान देना चाहिए.

"अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक कुल 314 मरीज हैं. जिसमें मेल 195, फीमेल 106, बच्चे मेल में 7 और फीमेल में 6 हैं. गर्भवती महिलाओं की संख्या 15 है. सिवान में सीडी 4 जांच फिलहाल नहीं हो पा रही है. अभी मरीजों का ब्लड सैंपल लेकर गोपालगंज भेजते हैं. बचाव के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि सुरक्षित यौन संबंध बनाना चाहिए. मेन है कि हम अपना बचाव कर सकते हैं. एड्स घातक तो है लेकिन जो दवाई हमलोग दे रहे हैं, उससे लोग ठीक भी हो रहे हैं"- डॉ. अनिल कुमार सिंह, सीडीओ सह डिस्ट्रिक्ट एड्स कंट्रोल ऑफिसर, सिवान

क्या है एचआईवी?: एड्स एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जो मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु (Human Immunodeficiency Virus) संक्रमण के बाद होती है. एचआईवी संक्रमण के बाद मानवीय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है. एड्स का पूर्ण रूप से उपचार अभी तक संभव नहीं हो सका है. एचआईवी संक्रमित व्यक्ति में एड्स की पहचान संभावित लक्षणों के दिखने के पश्चात ही हो पाती है. एचआईवी संक्रमण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को इस हद तक कम कर देता है कि इसके बाद शरीर अन्य संक्रमणों से लड़ पाने में अक्षम हो जाता है.

एड्स और एचआईवी में अंतर: एचआईवी एक अतिसूक्ष्म विषाणु है, जिसकी वजह से एड्स हो सकता है। यह वायरस 8 से 10 साल के बाद शरीर में एड्स में परिवर्तित हो जाती है। एड्स स्वयं में कोई रोग नहीं है बल्कि एक संलक्षण है। यह अन्य रोगों से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता को घटा देता हैं। प्रतिरोधक क्षमता को नुकसान पहुंचाता है।

पहली स्टेजः व्यक्ति के खून में HIV का संक्रमण फैल जाता है. इस समय व्यक्ति बहुत से और लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा सबसे ज्यादा होता है. इस स्टेज में फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं. हालांकि, कई बार संक्रमित व्यक्ति को कोई लक्षण भी महसूस नहीं होते.

दूसरी स्टेजः ये वो स्टेज होती है जिसमें संक्रमित व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं दिखता, लेकिन वायरस एक्टिव रहता है. कई बार 10 साल से भी ज्यादा वक्त गुजर जाता है, लेकिन व्यक्ति को दवा की जरूरत नहीं पड़ती. इस दौरान व्यक्ति संक्रमण फैला सकता है. आखिर में वायरल लोड बढ़ जाता है और व्यक्ति में लक्षण नजर आने लगते हैं.

ये भी पढ़ें: 'शराब पीने से AIDS होता है...' CM नीतीश कुमार का बयान

तीसरी स्टेजः अगर HIV का पता लगते ही अगर दवा लेनी शुरू कर दी जाए तो इस स्टेज में पहुंचने की आशंका बेहद कम होती है. HIV का ये सबसे गंभीर स्टेज है, जिसमें व्यक्ति AIDS से पीड़ित हो जाता है. AIDS होने पर व्यक्ति में वायरल लोड बहुत ज्यादा हो जाता है और वो काफी संक्रामक हो जाता है. इस स्टेज में बिना इलाज कराए व्यक्ति का 3 साल जी पाना भी मुश्किल होता है.

एचआईवी से कैसे बचा जाए?: HIV का संक्रमण फैलने का सबसे ज्यादा खतरा असुरक्षित यौन संबंध से होता है. भारत में भी HIV का पहला मामला सेक्स वर्कर्स में ही सामने आया था. इसलिए यौन संबंध बनाते समय प्रिकॉशन जरूर इस्तेमाल करें. इसके अलावा इंजेक्शन से ड्रग्स लेने वालों से भी दूर रहना चाहिए. अगर HIV का पता चल जाए तो घबराने की बजाय तुरंत एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी शुरू करें, क्योंकि HIV शरीर को बहुत कमजोर बना देता है और धीरे-धीरे दूसरी बीमारियां भी घेरने लगती हैं. अभी तक इसका इलाज भले ही नहीं है, लेकिन दवाओं के जरिए इससे बचा जा सकता है.

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