सिवान: बिहार के सिवान सदर अस्पताल प्रदेश का एक ऐसा अस्पताल है, जहां मरीजों को एक्सपायरी ओआरएस (Expiry ORS) दी जा रही है. सबसे बड़ी तो यह है कि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Health Minister Mangal Pandey) के गृह जिले के अस्पताल में ऐसा हो रहा है. अभी हाल ही में इस अस्पताल को मॉडल बनाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री ने 36 करोड़ की लागत से बनने वाले मॉडल अस्पताल का शिलान्यास किया था.
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मरीज को सदर अस्पताल में मिला एक्सपायर ओआरएस: सदर अस्पताल में एक्सपायरी दवा मिलने की बात उस समय सामने आई, जब शहर के कसेरा टोली की रहने वाली एक महिला के पेट में दर्द की समस्या हुई. महिला अपनी समस्या को लेकर अस्पताल पहुंची. जहां डॉक्टर ने महिला को ओआरएस पीने की सलाह दी. इमरजेंसी वार्ड में ही अस्पताल कर्मियों ने महिला को एक्सपायरी ओआरएस दे दी. महिला ने जब ओआरएस पर लिखी एक्सपायरी डेट देखी तो उसके होश उड़ गये. अब सवाल यह उठता है कि अगर महिला उस एक्सपायरी ORS को पी जाती और उसे कुछ हो जाता तो इसका जिम्मेवार कौन होता?
"एक्सपायरी दवा है. सितंबर 2020 की बनी दवा है और फरवरी 2022 को दवा एक्सपायर हो गया. दवा हमको पीने के लिए मिला. हमको ये खराब करेगा, बताईए हम क्या करें. हम दवा का युज नहीं किए हैं. पूछने पर अस्पताल कर्मी कोई जवाब नहीं दिए. हमको पेट दर्द हो रहा था और फूल गया था. इसलिए अस्पताल आए थे."- पिंकी गुप्ता, मरीज
फरवरी में एक्सपायर हो चुकी है ORS: महिला को अस्पताल से जो ओआरएस दी गई, वो सितंबर 2020 का बना हुआ है और ओआरएस फरवरी 2022 में ही एक्सपायर हो चुका है. परिजनों ने जब इसकी शिकायत की तो अस्पताल के चिकित्सकों ने किसी तरह की सुनवाई नहीं की. अब सवाल यह उठ रहा है कि जब सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के गृह जिले के अस्पताल का यह हाल है तो दूसरे जिलों के अस्पताल का क्या हाल होगा. अभी मरीज को दो दो पैकेट ही ORS दिए गए हैं. अभी कितना स्टॉक एक्सपायरी ORS सदर अस्पताल में होगा, यह कह पाना बेहद मुश्किल है.
सिविल सर्जन ने कही जांच की बात: इस पूरे मामले को लेकर सदर अस्पताल के चिकित्सक प्रशांत कुमार से जानकारी लेने का प्रयास किया गया कि ये किसकी लापरवाही है तो पहले तो उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार किया, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि वो एक्सपायर ORS के बारे में ऊपर के अधिकारियों को सूचना दे देंगे. वहीं, सिविल सर्जन यदुवंश शर्मा ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है. इसकी बारीकी से जांच कराई जाएगी.
"इसके बारे में मुझे कोई जानकारी अभी नहीं है, मैं तो अभी ड्यूटी पर आया हूं. अगर आप लाकर दिखाएंगे तो फिर हम कुछ बोल सकते हैं. हमारे पास अभी कोई जानकारी नहीं है. हम तो 9 बजे ड्यूटी पर आया हूं. पता चला है हम रिपोर्ट कर देंगे हायर ऑथरिटी को तो ये हटा दी जाएगी. हमारे संज्ञान में आया है ये इसकी सूचना हायर ऑथरिटी को दे दी जाएगी. अब से किसी भी पेशेंट को ओआरएस नहीं लिखी जाएगी, जबतक की नया स्लॉट नहीं आ जाता."- प्रशांत कुमार, चिकित्सक, सिवान सदर अस्पताल
अब सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ मामले की जांच ही होगी या लापरवाह स्वास्थ्य कर्मियों पर कार्रवाई भी होगी. अगर मरीज ORS पी लेती तो उसकी जान भी जा सकती थी और शायद विभाग भी जांच की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लेती. अब पिंकी गुप्ता के परिजनों को स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से काफी उम्मीदें है कि वे लापरवाही बरतने वाले कर्मियों पर कार्रवाई जरूर करेंगे.
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