सिवान: बिहार के सिवान में बाढ़ राहत घोटाला मामले में आरोपी पर लंबे समय तक कार्रवाई नहीं होने पर हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच का जिम्मा आर्थिक अपराध इकाई को सौंप (EOU investigate flood relief scam in Siwan) दी है. बिहार में सुशासन का दावा करने वाले नीतीश कुमार की सरकार जो भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की बात भी करते हैं, उनके राज में घोटाले के आरोपी को बचाने की जुगत में लगी पुलिस प्रशासन की खासी किरकिरी हुई है.
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ईओयू करेगी घोटाले की जांचः सिवान जिले में पुलिस महकमे का अजब गजब खेल सामने आया है. आरोपियों को बार-बार बचाने के मामले में पटना हाईकोर्ट में सख्ती दिखाई है. इस तरह से बिहार में अधिकारी सुशासन की हवा निकालने में लगे हैं. सिवान में घोटाले के आरोपियों को लगातार सिवान पुलिस ने बचा रही थी. दरअसल, बाढ़ राहत घोटाला मामले में पडोली गांव के मुखिया अजीत कुमार सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. इस मामले में आरोपी मुखिया के खिलाफ लंबे समय तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. साथ ही केस डायरी में भी छेड़छाड़ की गई.
सिवान पुलिस की भूमिका की भी होगी जांचः अजीत कुमार सिंह के खिलाफ बाढ़ राहत घोटाला में मामला दर्ज किया गया था. कोर्ट ने सिवान पुलिस को आदेश दिया है कि सात दिनों के भीतर केस से संबंधित तमाम कागजात आर्थिक अपराध इकाई को सौंप दें. आर्थिक अपराध इकाई नए सिरे से जांच शुरू करने की तैयारी में है. आर्थिक अपराध इकाई पुलिस की भूमिका की जांच भी करेगी. पटना उच्च न्यायालय ने सिवान पुलिस को कार्रवाई के लिए 14 बिंदुओं पर निर्देश दिए थे, लेकिन निर्देश के मुताबिक सिवान पुलिस ने काम नहीं किया.
एक सप्ताह के अंदर ईओयू को सारे कागजात सौंपने का निर्देशः पटना उच्च न्यायालय ने अगली सुनवाई में सिवान पुलिस को जमकर फटकार लगाई. न्यायालय ने सिवान एसपी को आदेश दिया कि पूरे मामले से संबंधित कागजात आर्थिक अपराध इकाई को सौंप दें. पूरे मामले की जांच आर्थिक अपराध इकाई के पुलिस अधीक्षक को सौंपी दी गई. अब इस मामले में अगली सुनवाई 16 जनवरी 2023 को होगी. इस बाबत सिवान पुलिस की भूमिका भी शक के दायरे में आ गई है.