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इस गांव में थम जाती है विकास की रफ्तार, सालों से एक पुल के लिए तरस रहे लोग - Gandak Department

सिवान में स्थित रसूलपुर गांव के लोग आज भी एक पुल निर्माण के लिए तरस रहे हैं. बरसात के मौसम में इस पुल की वजह से कर्ई हादसे हो चुके हैं. लेकिन इस समस्या को लेकर किसी प्रतिनिधि का ध्यान तक नहीं है.

सिवान
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Published : Jun 28, 2019, 6:35 PM IST

सिवान: सरकार प्रदेश में विकास के बड़े बड़े दावे तो करती है. लेकिन प्रदेश के कई क्षेत्र बुनियादी सुविधाएं के लिए तरस रही है. जिले के एक गांव में आज भी लोग लकड़ी के पुल के सहारे आवागमन करते हैं. इससे यहां के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

मामला जिले से महज 10 किलोमीटर दूर चाप पंचायत स्थित बिंदवल रसूलपुर गांव का है. यहां कई सालों से लोग एक पुल के निर्माण का इंतजार कर रहे हैं. यहां बरसात के दिनों में बच्चे स्कूल तक नहीं जा पाते हैं. इस गांव में बरसात के मौसम में इस पुल से कई हादसे भी हो चुके हैं. लेकिन आज तक इस समस्या के ओर किसी भी प्रतिनिधि का ध्यान तक नहीं है.

'कोई सुनने वाला नहीं है'
ग्रामीणों का कहना है कि यहां कुछ साल पहले गंडक विभाग ने पुल बनाने का काम शुरू किया था. लेकिन पुल का काम आज तक अधूरा ही है. इसको लेकर कई बार प्रतिनिधि सहित अधिकारियों से भी मिल चुके हैं. लेकिन इसके निर्माण को लेकर अब तक कोई पहल नहीं किया गया.

ग्रामीणों का बयान

गंडक विभाग के हिस्से में आता है यह पुल
बता दें कि यहां बरसात के दिनों में इस पुल की स्थिति भयानक हो जाती है. इस मौसम में बांस के पुल टूटने से कई बार बच्चे हादसे के शिकार हो जाते हैं. रसूलपुर गांव नहर की वजह से दो हिस्सों में बंटा हुआ है. इस पर पुल निर्माण का जिम्मेवारी गंडक विभाग की हैं. इसलिए कई सालों से इसका निर्माण कार्य रूका हुआ है.

सिवान: सरकार प्रदेश में विकास के बड़े बड़े दावे तो करती है. लेकिन प्रदेश के कई क्षेत्र बुनियादी सुविधाएं के लिए तरस रही है. जिले के एक गांव में आज भी लोग लकड़ी के पुल के सहारे आवागमन करते हैं. इससे यहां के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

मामला जिले से महज 10 किलोमीटर दूर चाप पंचायत स्थित बिंदवल रसूलपुर गांव का है. यहां कई सालों से लोग एक पुल के निर्माण का इंतजार कर रहे हैं. यहां बरसात के दिनों में बच्चे स्कूल तक नहीं जा पाते हैं. इस गांव में बरसात के मौसम में इस पुल से कई हादसे भी हो चुके हैं. लेकिन आज तक इस समस्या के ओर किसी भी प्रतिनिधि का ध्यान तक नहीं है.

'कोई सुनने वाला नहीं है'
ग्रामीणों का कहना है कि यहां कुछ साल पहले गंडक विभाग ने पुल बनाने का काम शुरू किया था. लेकिन पुल का काम आज तक अधूरा ही है. इसको लेकर कई बार प्रतिनिधि सहित अधिकारियों से भी मिल चुके हैं. लेकिन इसके निर्माण को लेकर अब तक कोई पहल नहीं किया गया.

ग्रामीणों का बयान

गंडक विभाग के हिस्से में आता है यह पुल
बता दें कि यहां बरसात के दिनों में इस पुल की स्थिति भयानक हो जाती है. इस मौसम में बांस के पुल टूटने से कई बार बच्चे हादसे के शिकार हो जाते हैं. रसूलपुर गांव नहर की वजह से दो हिस्सों में बंटा हुआ है. इस पर पुल निर्माण का जिम्मेवारी गंडक विभाग की हैं. इसलिए कई सालों से इसका निर्माण कार्य रूका हुआ है.

Intro:चचरी पुल

सिवान।

आजादी के सालों बीत जाने में बाद भी सिवान शहर से महज 10 किलोमीटर दूर चाप पंचायत में बसा गांव बिंदवल रसूलपुर के लोग पिछले कई सालों से एक पुल के लिए तरस रहें हैं. आज भी इस गांव के लोग चचरी के बने पुल के सहारे आवागमन करते हैं.


Body:बिहार सरकार ने बच्चों की पढ़ाई के लिए गांव में सरकारी विद्यालय तो बनवा दिया लेकिन विद्यालय जाने के लिए आज तक पुल का निर्माण ना हो सका जिससे बरसात के दिनों में बच्चे मजबूरन विद्यालय छोड़ देते हैं जिससे विद्यालय में उनका 75% उपस्थिति नही हो पता है जिससे उन्हें सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उन बच्चो को नहीं मिल पाता है. बरसात के दिनों में स्थिति और भी भयावह हो जाती है कई बार बच्चे बांस टूटने से हादसे के शिकार भी हो जाते हैं. मालूम हो कि रसूलपुर गांव नहर की वजह से दो हिस्सों में बंटा हुआ है और इस पर पुल के निर्माण की जिम्मेदारी गंडक विभाग की है.


Conclusion:गांव वाले बताते हैं पिछले कुछ साल पहले गंडक विभाग के द्वारा पुल बनाने का काम शुरू किया था लेकिन पुल का अधूरा काम आज तक पूरा नहीं हो सका जिसको लेकर गांव के लोगों ने कई बार विधायक, सांसद से मिल चुके हैं पर आज तक गांव में पुल का निर्माण न हो पाना दुर्भाग्यपूर्ण है.

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