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सिवान सीओ की मनमानी, जमाबंदी किसी और का, वैल्यूएशन किसी और को - ईटीवी न्यूज

सिवान में सीओ की मनमानी (CO arbitrariness in Siwan) का एक मामला सामने आया है. इसमें सीओ ने नियमों की अनदेखी कर जमीन की जमाबंदी किसी और के नाम पर तथा वैल्यूएशन किसी किसी और को बना दिया. अब जिसके नाम से जमीन की जमाबंदी है, वह वैल्यूएशन बनाने के लिए पिछले डेढ महीने से सीओ कार्यालय का चक्कर काट रहा है. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Feb 22, 2022, 10:15 AM IST

सिवान: बिहार के सिवान जिले का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जायेंगे. आपने सुना होगा की सरकारी बाबू अपनी कलम की ताकत (arbitrariness Allegation on Siwan Sadar Block CO) का इस्तेमाल कर पैसे के लिए कुछ भी कर देते हैं. तो आपने गलत नही सुना है. दरअसल, यह मामला सिवान के सदर ब्लॉक (Siwan Sadar Block CO) का है. जहां नियमों की अनदेखी कर जमाबंदी किसी और का वैल्यूएशन किसी को बना दिया गया.

यह मामला तब प्रकाश मे आया जब एक वर्ष बाद फिर जब उसी शख्स ने उसी जमाबंदी पर वैल्यूएशन बनाने के लिए आवेदन किया. तब उसे कहा गया की जिसके नाम से जमाबंदी होगी, उसी के नाम से वैल्यूएशन बनेगा. वह शख्स डेढ माह से कार्यालाय का चक्कर लगा रहा है. पहले उसी जमाबंदी पर ‍वैल्यू इसी सीओ साहब ने बनाया था. आरोप है कि अब पैसे के लिए उससे भाग-दौड़ कराया जा रहा है कि कुछ मिल जाये.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें: बालू माफियाओं और भ्रष्ट अधिकारियों की लिस्ट तैयार, स्पेशल ब्रांच की खुफिया एजेंसी ने विभाग को सौंपी सूची

आपको बता दें की जिले के लखरांव गांव निवासी विजय कुमार का कहना है की मेरे माता-पिता के नाम से जमीन की जमाबंदी है. जिसका पिछले वर्ष 2021 में इसी CO ने वैल्यूएशन बनाया था. एक वर्ष तक वैध रहती है. अब फिर से बनाने के लिए अप्लाइ किया तो डेढ माह पहले दौडाया गया. फिर कहा गया कि जिसके नाम से जमाबंदी होगी, उसी के नाम से वैल्यूएशन बनेगा. इसको लेकर विजय कुमार ने हमारी टीम से बातचीत में कहा की पैसे के लिए भागदौड़ कराया जा रहा है. हालांकि कोई खुलकर कुछ नहीं बोल रहा है.

ये भी पढ़ें: 34 लाख नकद.. 80 लाख का सोना चांदी.. अखिलेश्वर प्रसाद निकला करोड़पति रेंज अफसर

सदर ब्लाक सीओ ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव का कहना है की जिसके नाम से जमाबंदी रहती है, उसी के नाम से वैल्यूएशन बनाने का नियम है अन्यथा नहीं. सवाल यह है कि जब यही सीओ पिछली बार उसी पेपर यानी जमाबंदी जिसके नाम से नहीं थी, उसको वैल्यूएशन कैसे बना दिया गया. तो क्या यह माना जाय की सीओ साहब ने जानबूझकर कर उस व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए वैल्यूएशन बना दिया. अब देखना है कि यह मामला उच्च अधिकारियों के संज्ञान मे आने के बाद क्या कार्रवाई होती है. आवेदक ने कहा है की वह जिलाधिकारी से इसकी शिकयत करेगा.

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सिवान: बिहार के सिवान जिले का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जायेंगे. आपने सुना होगा की सरकारी बाबू अपनी कलम की ताकत (arbitrariness Allegation on Siwan Sadar Block CO) का इस्तेमाल कर पैसे के लिए कुछ भी कर देते हैं. तो आपने गलत नही सुना है. दरअसल, यह मामला सिवान के सदर ब्लॉक (Siwan Sadar Block CO) का है. जहां नियमों की अनदेखी कर जमाबंदी किसी और का वैल्यूएशन किसी को बना दिया गया.

यह मामला तब प्रकाश मे आया जब एक वर्ष बाद फिर जब उसी शख्स ने उसी जमाबंदी पर वैल्यूएशन बनाने के लिए आवेदन किया. तब उसे कहा गया की जिसके नाम से जमाबंदी होगी, उसी के नाम से वैल्यूएशन बनेगा. वह शख्स डेढ माह से कार्यालाय का चक्कर लगा रहा है. पहले उसी जमाबंदी पर ‍वैल्यू इसी सीओ साहब ने बनाया था. आरोप है कि अब पैसे के लिए उससे भाग-दौड़ कराया जा रहा है कि कुछ मिल जाये.

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आपको बता दें की जिले के लखरांव गांव निवासी विजय कुमार का कहना है की मेरे माता-पिता के नाम से जमीन की जमाबंदी है. जिसका पिछले वर्ष 2021 में इसी CO ने वैल्यूएशन बनाया था. एक वर्ष तक वैध रहती है. अब फिर से बनाने के लिए अप्लाइ किया तो डेढ माह पहले दौडाया गया. फिर कहा गया कि जिसके नाम से जमाबंदी होगी, उसी के नाम से वैल्यूएशन बनेगा. इसको लेकर विजय कुमार ने हमारी टीम से बातचीत में कहा की पैसे के लिए भागदौड़ कराया जा रहा है. हालांकि कोई खुलकर कुछ नहीं बोल रहा है.

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सदर ब्लाक सीओ ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव का कहना है की जिसके नाम से जमाबंदी रहती है, उसी के नाम से वैल्यूएशन बनाने का नियम है अन्यथा नहीं. सवाल यह है कि जब यही सीओ पिछली बार उसी पेपर यानी जमाबंदी जिसके नाम से नहीं थी, उसको वैल्यूएशन कैसे बना दिया गया. तो क्या यह माना जाय की सीओ साहब ने जानबूझकर कर उस व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए वैल्यूएशन बना दिया. अब देखना है कि यह मामला उच्च अधिकारियों के संज्ञान मे आने के बाद क्या कार्रवाई होती है. आवेदक ने कहा है की वह जिलाधिकारी से इसकी शिकयत करेगा.

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