सिवान: किसा भी इंसान के लिए विपरीत परिस्थितियों में अपने सपनों को पूरा करना आसान नहीं होता है. लेकिन असल में उनके ही सपने पूरे होते हैं जो विपरीत हालातों में भी अपने लिए रास्ते बना लेते हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है 11 साल की प्रियांशु (Divyang Girl Priyanshu Kumari Of Siwan) की. जिस तरह से जमुई की सीमा अपनी दिव्यांगता को दरकिनार कर स्कूल जाती थी ठीक उसी तरह से सिवान की प्रियांशु (Siwan Inspirational Story) भी स्कूल जाती है. प्रियांशु एक पैर से कूदते हुए 2 किलोमीटर का सफर तय करते हुए हर रोज स्कूल जाती है.
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सपने को पूरा करने में जुटी प्रियांशु: जुनून और खुद पर यकीन के आगे अपने एक पैर की कमी को प्रियांशु कभी महसूस नहीं होने देती है. आपको बता दें कि 11 वर्षीय छात्रा जीरादेई प्रखंड ( Ziradei Block) के बनथू श्रीराम गांव (Banthu ShriRam Village) की रहने वाली है. उसके पिता खेती का काम करते हैं और घर मे मां खाना बनाती है. वहीं प्रियांशु कुमारी पढ़ लिख कर डॉक्टर बनना चाहती है.
1 पैर पर 2KM कूदते हुए जाती है स्कूल: घर से स्कूल तक सड़क जर्जर होने के बावजूद प्रियांशु रोज स्कूल जाती है. जिले के जीरादेई प्रखंड के राम गांव की रहने वाली इस नन्ही बच्ची के हौसले बुलंद हैं. हर दिन उसे एक पैर पर स्कूल जाते देख दूसरे लोग भी आश्चर्यचकित रह जाते हैं. सामान्य बच्चों का स्कूल जाना और एक पैर से प्रियांशु का स्कूल तक जाना दोनों में काफी फर्क है. यही कारण है कि आज प्रियांशु दूसरे बच्चों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बन चुकी है.
जन्म से ही काम नहीं करता बायां पैर: प्रियांशु का कहना है कि वह पढ़ लिखकर कुछ बनना चाहती है. वहीं अपने सपनों को सच करने के लिए उसने सरकार से कृत्रिम अंग दान में मांगी है. बता दें कि जन्म से ही प्रियांशु का बायां पैर काम नहीं करता था. इसके बावजूद उसके पढ़ने की ललक कभी कम नहीं हुई. प्रियांशु एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ती है.
कृत्रिम अंग बन सकेगा सहारा: आपको बता दें कि बता दें कि प्रियांशु कुमारी 5वीं क्लास की छात्रा है. उसने कहा कि एक पैर पर सन्तुलन बना कर रोजाना वक्त पर स्कूल जाती है. अगर सरकार द्वारा कृत्रिम अंग मिल जाय तो उसका घर से स्कूल तक का सफर आसान हो जाएगा. साथ ही वह अपनी मंजिल को भी पा सकेगी और दूसरे बच्चों की तरह सामान्य जीवन जी सकेगी.
"मैं अपने स्कूल तक पहुंचने के लिए प्रतिदिन दो किलोमीटर पैदल चलती हूं. मेरे स्कूल पहुंचने का रास्ता क्षतिग्रस्त है. स्कूल पहुंचने के बाद मुझे बहुत पसीना आता है क्योंकि मेरे लिए चलना मुश्किल है. मैं प्रतिदिन स्कूल पहुंचने के बाद प्रार्थना करती हूं. मुझे क्रिकेट, वॉलीबॉल और कबड्डी पसंद है. मुझे उम्मीद है कि सरकार मेरी मदद करेगी."- प्रियांशु कुमारी, दिव्यांग छात्रा
"प्रियांशु बहुत ही मेहनती है. हमेशा अच्छे नंबरों से पास होती है. हम सब जितना हो सकता है उसकी मदद करते हैं."- टीचर