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सीतामढ़ी: शुगर मिल के कचरे से दूषित नदी कर रही जलीय जीवों के स्वास्थ्य को प्रभावित - सीतीमढ़ी में मनुष्यमरा नदी

मामले को डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने संज्ञान में लिया है और कहा है कि इसकी जांच के लिए अधिकारियों की 5 सदस्यीय टीम गठित की गई है.

waste of riga sugar mill
दूषित हो रही मनुष्यमरा नदी
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Published : Jan 24, 2020, 10:02 AM IST

Updated : Jan 25, 2020, 5:41 PM IST

सीतामढ़ी: जिले का एक मात्र उद्योग रीगा शुगर मिल का मनुष्यमरा नदी में कचरा छोड़े जाने के कारण वो पूरी तरह से दूषित और जहरीली हो गई है. जिससे इसका प्रभाव लोगों के साथ-साथ जीव जन्तुओं के जीवन पर पड़ रहा है.

जहरीले पानी से मवेशी हो रहे समाप्त
बता दें कि नदी में शुगर मिल की ओर से कचरा छोड़े जाने के लेकर किसान विगत 20 वर्षों से आंदोलन कर रहे हैं. उनकी शिकायत है कि अब तक इस समस्या का निदान सरकारी स्तर से नहीं किया गया है. लिहाजा मिल प्रबंधन की मनमानी के कारण नदी के जलीय जीव खत्म हो रहे हैं. वहीं, इस जहरीले पानी के कारण उनकी फसलें खराब हो रही हैं और यदि वे अपने मवेशियों को इस पानी से नहलाते हैं तो उन्हें चर्म रोग हो जा रहा है.

waste of riga sugar mill
रीगा शुगर मिल

20 वर्षों से किसान कर रहे आंदोलन
वर्ष 2000 से नदी के काले पानी को लेकर आंदोलन शुरू किया गया था. लेकिन 20 वर्ष बीत जाने के बावजूद इस समस्या का निदान नहीं हो सका है. इसलिए किसानों का सरकार और मिल प्रबंधन के प्रति आक्रोश व्याप्त है. जबकि नदी की उड़ाही और इसकी सफाई के लिए अब तक 62 करोड़ से अधिक की सरकारी राशि खर्च की जा चुकी है. वहीं, रीगा शुगर मिल के जीएम शशि गुप्ता ने बताया कि किसानों का आरोप बिल्कुल निराधार है. मिल का कोई भी कचरा नदी में नहीं छोड़ा जा रहा है.

देखें रिपोर्ट

डीएम ने दिए जांच के आदेश
मामले को डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने संज्ञान में लिया है और कहा है कि इसकी जांच के लिए अधिकारियों की 5 सदस्यीय टीम गठित की गई है. अगर जांच रिपोर्ट में ये बातें सामने आ जाती हैं तो मिल प्रबंधन के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.

waste of riga sugar mill
मनुष्यमरा नदी

सीतामढ़ी: जिले का एक मात्र उद्योग रीगा शुगर मिल का मनुष्यमरा नदी में कचरा छोड़े जाने के कारण वो पूरी तरह से दूषित और जहरीली हो गई है. जिससे इसका प्रभाव लोगों के साथ-साथ जीव जन्तुओं के जीवन पर पड़ रहा है.

जहरीले पानी से मवेशी हो रहे समाप्त
बता दें कि नदी में शुगर मिल की ओर से कचरा छोड़े जाने के लेकर किसान विगत 20 वर्षों से आंदोलन कर रहे हैं. उनकी शिकायत है कि अब तक इस समस्या का निदान सरकारी स्तर से नहीं किया गया है. लिहाजा मिल प्रबंधन की मनमानी के कारण नदी के जलीय जीव खत्म हो रहे हैं. वहीं, इस जहरीले पानी के कारण उनकी फसलें खराब हो रही हैं और यदि वे अपने मवेशियों को इस पानी से नहलाते हैं तो उन्हें चर्म रोग हो जा रहा है.

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रीगा शुगर मिल

20 वर्षों से किसान कर रहे आंदोलन
वर्ष 2000 से नदी के काले पानी को लेकर आंदोलन शुरू किया गया था. लेकिन 20 वर्ष बीत जाने के बावजूद इस समस्या का निदान नहीं हो सका है. इसलिए किसानों का सरकार और मिल प्रबंधन के प्रति आक्रोश व्याप्त है. जबकि नदी की उड़ाही और इसकी सफाई के लिए अब तक 62 करोड़ से अधिक की सरकारी राशि खर्च की जा चुकी है. वहीं, रीगा शुगर मिल के जीएम शशि गुप्ता ने बताया कि किसानों का आरोप बिल्कुल निराधार है. मिल का कोई भी कचरा नदी में नहीं छोड़ा जा रहा है.

देखें रिपोर्ट

डीएम ने दिए जांच के आदेश
मामले को डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने संज्ञान में लिया है और कहा है कि इसकी जांच के लिए अधिकारियों की 5 सदस्यीय टीम गठित की गई है. अगर जांच रिपोर्ट में ये बातें सामने आ जाती हैं तो मिल प्रबंधन के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.

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मनुष्यमरा नदी
Intro:रीगा शुगर मिल के कचरे से दूषित हुई नदी हजारों लोगों के जीवन पर डाल रहा कुप्रभाव। Body:जिले का एक मात्र उद्योग रीगा शुगर मिल पर मनुष्यमरा नदी में कचरा छोड़े जाने के कारण 50 किलोमीटर लंबी नदी की धारा में प्रवाहित होने वाला जल पूरी तरह से दूषित और जहरीला हो गया है। और इस जहरीले पानी का खामियाजा करीब 50 हजार की आबादी को भुगतना पड़ रहा है। इसके लिए विगत 20 वर्षों से स्थानीय किसानों द्वारा आंदोलन भी किया जा रहा है। लेकिन किसानों की शिकायत है कि अब तक इस समस्या का निदान सरकार के स्तर से नहीं किया जा सका है। लिहाजा मिल प्रबंधन की मनमानी के कारण नदी में जलीय जीव समाप्त हो चुका है। वही इस जहरीले पानी का उपयोग फसल के लिए किसान कर रहे हैं तो उनका फसल ही बर्बाद हो जा रहा है। इस पानी का उपयोग मवेशी को पिलाने और धोने के भी काम नहीं आता जो किसान इस जल का प्रयोग कर रहे हैं वह चर्म रोग जैसे बीमारियों से ग्रसित हो जा रहे हैं।
मनुष्यमरा बागमती के समतुल्य नेपाल की तराई से निकलने वाली नदी है। नेपाल सीमा से रीगा तक इसका जल बिल्कुल स्वच्छ है। रीगा चीनी मिल के कचरा को इस नदी में छोड़े जाने के कारण आगे जाने वाली धारा की पानी को दूषित एवं जहरीला बना दिया है। इस पानी के कारण जलीय जीव समाप्त हो चुका है वहीं कृषि में उपयोग होने पर फसल बर्बाद हो जाती है। और इसमें नहाने और कपड़े धोने वाले लोग चर्म रोग से पीड़ित हो जाते हैं। वर्ष 2000 से इस काले पानी को लेकर आंदोलन प्रारंभ किया गया है। लेकिन 20 वर्ष बीत जाने के बावजूद इस समस्या का निदान नहीं हो पाया है। इसलिए करीब 50 हजार किसानों के बीच सरकार और मिल प्रबंधन के प्रति आक्रोश व्याप्त है। जबकि इस नदी की उराही और इसकी धारा की सफाई के लिए अब तक करीब 62 करोड़ से अधिक की सरकारी राशि खर्च की जा चुकी है। लेकिन किसानों की समस्या इतनी धनराशि खर्च होने के बावजूद दूर नहीं की जा सकी है।
बाइट 1. प्रेम शंकर सिंह। दूषित पानी के लिए आंदोलन कर रहे रुन्नीसैदपुर प्रखंड के किसान।
वही दूषित अवशिष्ट और कचरा छोड़े जाने के संबंध में पूछे जाने पर रीगा शुगर मिल के जीएम शशि गुप्ता ने बताया कि किसानों का आरोप बिल्कुल निराधार है। उनके डिस्टलरी या शुगर मिल का कोई भी कचरा नदी में नहीं छोड़ा जा रहा है। मील की जांच के लिए पॉल्यूशन बोर्ड की टीम है जो अक्सर इस बात की जांच करते हैं। लेकिन आज तक पॉल्यूशन विभाग ने कभी कोई खामी नहीं पाई है।
बाइट 2. शशि गुप्ता। जीएम। रीगा शुगर मिल सीतामढ़ी। उजला हेलमेट में।Conclusion:इस समस्या के संबंध में पूछे जाने पर जिला अधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा ने बताया कि मिल प्रबंधन द्वारा कचरा छोड़े जाने की शिकायत प्राप्त हुई है। इसकी जांच के लिए अधिकारियों की 5 सदस्यीय टीम गठित की गई है। अगर जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आती है कि मिल प्रबंधन द्वारा इस तरीके का कार्य किया जा रहा है। तो मिल संचालक के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई अभिलंब की जाएगी। जल्द ही जांच रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।
बाइट 3. अभिलाषा कुमारी शर्मा। डीएम सीतामढ़ी।
Last Updated : Jan 25, 2020, 5:41 PM IST
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