सीतामढ़ी: जिले का एकमात्र उद्योग रीगा चीनी मिल का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. मिल के सीएमडी ओमप्रकाश धानुका और महाप्रबंधक शशि गुप्ता का आरोप है कि सरकार की उदासीनता और मजदूर यूनियन नेताओं की साजिश के कारण अब चीनी मिल का संचालन कर पाना बेहद मुश्किल है. उन्होंने बताया कि इस चीनी मिल के बंद हो जाने के कारण 3 जिलों के करीब 40 हजार गन्ना किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना होगा.
चीनी मिल का संचालन करना हुआ मुश्किल
प्रबंधक का आरोप है कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन की ओर से बार-बार चीनी मिल के संचालन में मदद करने की बात कही जाती है. लेकिन उस पर अमल नहीं हो पा रहा है लिहाजा चीनी मिल और डिस्टलरी को चालू कर पाना संभव नहीं हो पा रहा है. चीनी मिल के महाप्रबंधक का आरोप है कि आर्थिक विसंगतियों के बावजूद चीनी मिल प्रबंधन ने इस बार के पेराई सत्र में चीनी मिल और डिस्टलरी को चालू करने का निर्णय लिया था. इसके लिए कच्चा माल भी मंगाए गए और चीनी मिल में कार्यरत कर्मियों को काम पर लौटने के लिए सूचित किया गया. लेकिन मजदूर यूनियन के नेताओं ने काम पर आने वाले कर्मियों को डरा धमका कर काम करने से मना कर दिया है. लिहाजा अब बिना कर्मियों के डिस्टलरी और चीनी मिल का संचालन कर पाना बेहद मुश्किल हो गया है.
फर्जी रूप से बनाया गया यूनियन
महाप्रबंधक शशि गुप्ता ने बताया कि फर्जी रूप से कुछ कर्मियों की ओर से यूनियन बनाया गया है, जिनके नेता मेरे कर्मियों को डरा धमका कर काम पर जाने से रोक रहे हैं. जिसकी शिकायत उन्होंने डीएम, एसपी और संबंधित विभागीय मंत्री को लिखित रूप से सूचना दी है, लेकिन अब तक इस समस्या का समाधान नहीं किया जा सका है. लिहाजा डिस्टलरी और चीनी मिल को कर्मियों के अभाव में चला पाना संभव नहीं हो पा रहा है. चीनी मिल प्रबंधन का आरोप है कि इस बीमार पड़े उद्योग को जीवित करने के लिए राज्य सरकार इच्छुक नहीं है. इसलिए उनकी ओर से किसी तरह से आर्थिक मदद नहीं की जा रही है.
आर्थिक संकट का सामना करना होगा
महाप्रबंधक शशि गुप्ता ने बताया कि राज्य सरकार के पास 15 करोड़ और केंद्र सरकार के पास 6 करोड़ 50 लाख रुपये चीनी मिल का बकाया है. जिसका भुगतान सालों से लंबित है. इस चीनी मिल के बंद हो जाने से जहां 3 जिले के करीब 40,000 गन्ना किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना होगा. वहीं, करीब 1200 कर्मियों के सामने बेरोजगारी की समस्या आ जाएगी.