सीतामढ़ी: जिले का एकमात्र उद्योग रीगा शुगर मिल प्रबंधन के खिलाफ किसानों में आक्रोश है. मिल प्रबंधन की मनमानी की वजह से किसान परेशान हैं. किसानों का आरोप है कि मिल प्रबंधन जबरन उनके गन्ने से 5 से 7 प्रतिशत की कटौती कर रहा है, जो कहीं से उचित नहीं है. जो किसान इस कटौती का विरोध करते हैं, उनके गन्ने को तौलने से इंकार कर दिया जाता है और घंटों उनकी गाड़ियां खड़ी कर दी जाती है. इस बात से जिले के किसान काफी आहत हैं और आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं.
किसानों ने बताया कि मिल के गेट पर प्रबंधन की ओर से 5 से 7 प्रतिशत की कटौती की जा रही है. वहीं सेंटर पर जो धर्म कांटा लगाया गया है, उसमें प्रबंधन की ओर से पहले से ही छेड़छाड़ कर वजन कम करने की विधि लगा दी गई है. जिसके जरिए प्रत्येक किसान के गन्ने से 2 से 4 प्रतिशत की कटौती खुद हो जाती है.
30 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई का लक्ष्य
रीगा शुगर मिल से जुड़े सूत्रों का बताना है कि किसानों के गन्ने से जो कटौती की जा रही है, उसके जरिए मिल प्रबंधन करोड़ों का घोटाला करती है. इस पेराई सत्र में मिल प्रबंधन की ओर से 30 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई का लक्ष्य रखा गया है. इसमें अगर 5 से 7 प्रतिशत की कटौती होती है, तो करीब छह लाख क्विंटल गन्ने की कटौती कर ली जाती है. वहीं सामान्य गन्ने का दर मिल प्रबंधन की ओर से 290 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है. इससे 6 लाख क्विंटल गन्ने का मूल्य करीब 1 करोड़ 74 लाख रुपये होता है. जो किसान के गन्ने से कटौती कर मिल प्रबंधन अपने खाते में रख लेते हैं.
'किसानों का आरोप निराधार'
इस मामले पर शुगर मिल के जीएम केन सीबीपी सिन्हा ने बताया कि किसानों का आरोप निराधार है. क्योंकि सरकार के आदेश और किसानों की सहमति के बाद ही गन्ने में कटौती की जा रही है. प्रबंधन की ओर से किसानों के ऊपर कटौती के लिए कोई दबाव नहीं डाला जा रहा है. उन्होंने कहा कि हमने रिकवरी को मेंटेन करने के लिए ऐसा निर्णय लिया है.
किसानों के गन्ने से जबरन कटौती
इस कटौती को लेकर किसान आक्रोशित हैं, क्योंकि पिछले साल जिले के 30 हजार गन्ना किसानों ने मिल प्रबंधन को करीब 7 लाख क्विंटल गन्ना का आपूर्ति दिया था. जिसका अधिकांश भुगतान अब तक बकाया है. किसानों के गन्ने से जबरन कटौती की जा रही है. किसानों का कहना है कि प्रबंधन या तो इसका समाधान करे नहीं तो वो इसके खिलाफ आंदोलन करेंगे.