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सीतामढ़ी: बदतर स्थिति में है सरकारी बस स्टैंड, जमीन पर पनप गया तालाब - social issue

जिले में बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की खुद की जमीन पर तो तालाब बन गया है. वहीं, लीज में ली हुई रेलवे की जमीन पर बना बस स्टैंड खस्ताहाल है.

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Published : Apr 30, 2019, 11:26 PM IST

सीतामढ़ी: जिले में सरकारी बस पड़ाव की हालत बेहद खराब है. रेलवे की जमीन पर 1959 से संचालित इस बस स्टैंड में पदाधिकारियों और विभागीय उदासीनता के कारण यात्री परेशान हो रहे हैं. यहां के हालात बद से बदतर है. लिहाजा, प्रशासन मौन है.

सीतामढ़ी का सरकारी बस पड़ाव वर्षों से रेलवे की जमीन पर चल रहा है. यह भूमि रेलवे से लीज पर ली गई है और यह लीज 2019 में समाप्त हो जायेगी. इसके बाद बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के सामने बसों का संचालन करना बेहद मुश्किल भरा होगा. अभी बस पड़ाव रेलवे की करीब 1 एकड़ भूमि में चल रहा है. यहां यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है. बस स्टैंड में यात्रियों के लिये ना तो बैठने जगह है और ना ही पीने के लिए पेयजल. वहीं,शौचालय की तो बात ही ना कीजिए.

बस स्टैंड के हालात

कर्मचारियों भी परेशान
बुनियादी सुविधाओं के अभाव में यहां यात्री हो या कर्मी सभी को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. वेटिंग रूम खंडहर में तब्दील हो चुका है. इसलिये बरसात. ठंडी और गर्मी के मौसम में यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. सड़क से काफी नीच सतह होने के कारण बारिश के मौसम में यहां जलजमाव की स्थिति बनी रहती है. विभाग की अपनी भूमि तालाब में तब्दील हो चुकी है.

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ये है वेटिंग रूम

डिपो की जमीन बनी तालाब
बस स्टैंड को चलाने के लिये विभाग ने वर्षों पूर्व तीन एकड़ जमीन बाजार समिति के निकट खरीदी थी. इसके कुछ हिस्से पर डिपो संचालित है. बाकी की भूमि तालाब में तब्दील हो गयी है. जबकि स्टैंड निर्माण के लिये तत्कालीन जिलाधिकारी की पहल पर विभाग को 2 बार प्रपोजल भेजा जा चुका है. लेकिन उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.

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विभाग की खुद की जमीन

यात्रियों की लगती है भीड़
प्रतिदिन यहां से 6-7 हजार यात्री यात्रा करते हैं. बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के पास अपनी 15 और 50 अंडरटेकिंग बसे हैं और इससे निगम को भाड़े से 4 लाख से अधिक की आमदनी रोज होती है. यहां से सीतामढ़ी से पटना, मुज्जफरपुर, बेलपरिहर, बैरगिनिया सहित अन्य जगहों के लिये प्रस्थान करती हैं. अधिकारी और विभागीय उदासीनता का दंश झेल रहे इस बस पड़ाव को किसी रहनुमा का इंतजार है, जो इसे समय पर संजीवनी बूटी देकर इसके अस्तित्व को जिंदा कर सके.

सीतामढ़ी: जिले में सरकारी बस पड़ाव की हालत बेहद खराब है. रेलवे की जमीन पर 1959 से संचालित इस बस स्टैंड में पदाधिकारियों और विभागीय उदासीनता के कारण यात्री परेशान हो रहे हैं. यहां के हालात बद से बदतर है. लिहाजा, प्रशासन मौन है.

सीतामढ़ी का सरकारी बस पड़ाव वर्षों से रेलवे की जमीन पर चल रहा है. यह भूमि रेलवे से लीज पर ली गई है और यह लीज 2019 में समाप्त हो जायेगी. इसके बाद बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के सामने बसों का संचालन करना बेहद मुश्किल भरा होगा. अभी बस पड़ाव रेलवे की करीब 1 एकड़ भूमि में चल रहा है. यहां यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है. बस स्टैंड में यात्रियों के लिये ना तो बैठने जगह है और ना ही पीने के लिए पेयजल. वहीं,शौचालय की तो बात ही ना कीजिए.

बस स्टैंड के हालात

कर्मचारियों भी परेशान
बुनियादी सुविधाओं के अभाव में यहां यात्री हो या कर्मी सभी को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. वेटिंग रूम खंडहर में तब्दील हो चुका है. इसलिये बरसात. ठंडी और गर्मी के मौसम में यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. सड़क से काफी नीच सतह होने के कारण बारिश के मौसम में यहां जलजमाव की स्थिति बनी रहती है. विभाग की अपनी भूमि तालाब में तब्दील हो चुकी है.

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ये है वेटिंग रूम

डिपो की जमीन बनी तालाब
बस स्टैंड को चलाने के लिये विभाग ने वर्षों पूर्व तीन एकड़ जमीन बाजार समिति के निकट खरीदी थी. इसके कुछ हिस्से पर डिपो संचालित है. बाकी की भूमि तालाब में तब्दील हो गयी है. जबकि स्टैंड निर्माण के लिये तत्कालीन जिलाधिकारी की पहल पर विभाग को 2 बार प्रपोजल भेजा जा चुका है. लेकिन उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.

status of Bihar Rajya Path Parivahan Nigam in sitamarhi
विभाग की खुद की जमीन

यात्रियों की लगती है भीड़
प्रतिदिन यहां से 6-7 हजार यात्री यात्रा करते हैं. बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के पास अपनी 15 और 50 अंडरटेकिंग बसे हैं और इससे निगम को भाड़े से 4 लाख से अधिक की आमदनी रोज होती है. यहां से सीतामढ़ी से पटना, मुज्जफरपुर, बेलपरिहर, बैरगिनिया सहित अन्य जगहों के लिये प्रस्थान करती हैं. अधिकारी और विभागीय उदासीनता का दंश झेल रहे इस बस पड़ाव को किसी रहनुमा का इंतजार है, जो इसे समय पर संजीवनी बूटी देकर इसके अस्तित्व को जिंदा कर सके.

Intro:सीतामढ़ी के सरकारी बस पड़ाव की हालत बेहद खराब है। रेलवे की जमीन पर 1959 से संचालित यह बस स्टैंड पदाधिकारियों और विभागीय उदासीनता के कारण दंश झेलने को विवश है। सीतामढ़ी से राहुल देव सोलंकी की रिपोर्ट


Body:सीतामढ़ी का सरकारी बस पड़ाव वर्षो से रेलवे की जमीन पर चल रहा है। यह भूमि रेलवे से लीज पर ली गई है। और यह लीज 2019 में समाप्त हो जायेगा। इसके बाद बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के सामने बसों का संचालन करना बेहद मुश्किल भरा होगा। अभी बस पड़ाव रेलवे की करीब 1 एकड़ भूमि में चल रहा है। जंहा यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है। बस स्टैंड में यात्रीयों के लिये न तो बैठने की ना ही पेजल और शौचालय की मुक्कमल व्यवस्था है। इस लिये यात्री हो या कर्मी सभी को मुश्किलो का सामना करना पड़ता है। वेटिंग रूम खंडहर में तब्दील हो चुका है। इसलिये बरसात. ठंढ और गर्मी में यात्री को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। सड़क से काफी नीच सतह होने के कारण बारिश के मौसम में यंहा जलजमाव हो जाता है। विभाग की अपनी भूमि तालाब में है तब्दील। बस स्टैंड को चलाने के लिये विभाग ने वर्षो पूर्व तीन एकड़ जमीन बाजार समिति के निकट खरीद की। जिसके कुछ हिस्से पर डिपो संचालित है। बाकी की भूमि तालाब में तब्दील हो गया है। जबकि स्टैंड निर्माण के लिये तत्कालीन जिलाधिकारी की पहल पर विभाग को 2 बार प्रपोजल भेजा जा चुका है। लेकिन उसे ठंढे वस्ते में डाल दिया गया है। प्रतिदिन 6 से 7 हजार यात्री करते हैं यात्रा। बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के पास अपनी 15 और 50 अंडरटेकिंग बसे है। जिससे प्रतिदिन 6 से 7 हजार यात्री यात्रा करते है। और इससे निगम को भाड़े से 4 लाख से अधिक की आमदनी रोज होती है। इनकी बसें सीतामढ़ी से पटना. मुज़्ज़फरपुर.बेलपरिहर.बैरगिनिया सहित अन्य जगहों के लिये प्रस्थान करती है। बाइट- 1. बाबू साहब झा। डिपो सुरीटेंडेंट। सीतामढ़ी। बाइट. 2. 4. बस यात्री विजुअल- 3


Conclusion:अधिकारी और विभागीय उदासीनता का दंश झेल रहे इस बस पड़ाव को किसी रहनुमा का इंतजार है जो इसे समय पर सजीबन बूटी देकर इसे जीवन दान दे सके। ताकि यह बस सेवा यात्रियों के लिये सुलभ और सरल बना रहे।
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