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तीन जिलों की आबादी के लिए लाइफ लाइन बना 'चचरी पुल' - Connects three districts

सीतामढ़ी में तीन जिलों को जोड़ने के लिए चचरी पुल लाइफ लाइन साबित हो रहा है. जन सहयोग से हर साल बागमती नदी पर चचरी पुल बनाया जाता है. स्थाई पुल के नहीं होने के कारण लोगों को चचरी पुल के सहारे ही नदी को पार करना पड़ता है.

चचरी पुल
चचरी पुल
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Published : Dec 16, 2020, 6:08 PM IST

सीतामढ़ी: आजादी के कई सालों के बाद से अब तक कई सरकारें आई और गई, लेकिन जिले के चंदौली घाट पर बागमती नदी के ऊपर पुल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है. जिसके कारणआधुनिक भारत में तीन जिलों के लोग चचरी पुल के सहारे ही बागमती नदी को पार करते हैं.

तीन जिलों को जोड़ता है चचरी पुल
चंदौली घाट प्रत्येक वर्ष बाढ़ के दौरान नाव हादसे का गवाह बनता है. इसके बावजूद राज्य सरकार ने चचरी पुल से निजात दिलाने की दिशा में आज तक कोई पहल नहीं की है. हर साल बाढ़ का पानी उतरने के बाद जन सहयोग से चचरी पुल का निर्माण किया जाता है जो सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर और शिवहर जिले के सैकड़ों लोगों के लिए वरदान साबित होता है.

लोग जान जोखिम में डालकर कर रहे नदी पार
लोग जान जोखिम में डालकर कर रहे नदी पार

'चचरी पुल को बनाने में 3 से 4 लाख का खर्चा आता है. जिसे बनाने में करीब एक महीने का समय लगता है. इस पुल पर 6 महीने तक लोग आवागमन करते हैं. बाढ़ आने पर लोग 6 महीने तक नाव के सहारे नदी पार करते हैं'-ब्रह्मदेव साहनी, चचरी पुल निर्माण करने वाला कारीगर

तीन जिलों को जोड़ता है चचरी पुल
तीन जिलों को जोड़ता है चचरी पुल

चचरी पुल के निर्माण में लाखों का खर्चा
चचरी पुल का निर्माण और रखरखाव करने वाले ब्रह्मदेव साहनी का कहना है कि इस चचरी पुल के निर्माण में करीब एक हजार पीस बांस का उपयोग होता है. जिसका मूल्य करीब एक लाख से ज्यादा होता है. इसके अलावा करीब 10 हजार रुपए के एल्युमीनियम तार और कांटी, 20 हजार रुपए की नारियल की रस्सी और करीब एक लाख रुपए की मजदूरी लगती है. तब जाकर 100 मीटर से अधिक लंबा चचरी पुल का निर्माण होता है.

बागमती नदी पर बना चचरी पुल
बागमती नदी पर बना चचरी पुल

आवागमन के लिए देना होता है शुल्क
चचरी पुल का निर्माण कराने और रखरखाव करने वाले व्यक्ति के द्वारा यात्रियों से शुल्क लिया जाता है. जिस पैसे से 6 माह तक चचरी पुल की मरम्मत की जाती है. यात्रियों से पैसा लेने वाले घटवार का बताना है कि प्रत्येक बाइक सवार से 20 रुपए, साइकिल सवार से 15 रुपए और पैदल यात्री से 10 रुपए की दर से शुल्क वसूल किया जाता है.

हजारों लोगों की लाइफ लाइन चचरी पुल
हजारों लोगों की लाइफ लाइन चचरी पुल

'तीन जिलों को जोड़ने वाली चंदौली घाट अति व्यस्तम सड़क मार्ग है. इसके बावजूद इस जटिल समस्या पर किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया. लिहाजा हर साल जन सहयोग से चचरी पुल का निर्माण कर आवागमन बहाल किया जाता है'- मनीष कुमार सिंह, मुखिया चंदौली पंचायत

तीन जिलों को जोड़ता चचरी पुल

अधर में स्थाई पुल का निर्माण कार्य
चंदौली पंचायत के मुखिया मनीष कुमार सिंह ने बताया कि वर्ष 2015 में चचरी पुल से 100 मीटर पूर्व पुल निर्माण के लिए तत्कालीन विधायक सुनीता सिंह चौहान ने शिलान्यास किया था. उसके बाद निर्माण कार्य शुरू किया गया था. लेकिन 5 साल पूरे होने के बावजूद भी पुल का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है. जिसके कारण आजादी के बाद से अब तक तीन जिलों के लोग आज भी चचरी पुल और नाव के सहारे आवागमन कर रहे हैं.

सीतामढ़ी: आजादी के कई सालों के बाद से अब तक कई सरकारें आई और गई, लेकिन जिले के चंदौली घाट पर बागमती नदी के ऊपर पुल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है. जिसके कारणआधुनिक भारत में तीन जिलों के लोग चचरी पुल के सहारे ही बागमती नदी को पार करते हैं.

तीन जिलों को जोड़ता है चचरी पुल
चंदौली घाट प्रत्येक वर्ष बाढ़ के दौरान नाव हादसे का गवाह बनता है. इसके बावजूद राज्य सरकार ने चचरी पुल से निजात दिलाने की दिशा में आज तक कोई पहल नहीं की है. हर साल बाढ़ का पानी उतरने के बाद जन सहयोग से चचरी पुल का निर्माण किया जाता है जो सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर और शिवहर जिले के सैकड़ों लोगों के लिए वरदान साबित होता है.

लोग जान जोखिम में डालकर कर रहे नदी पार
लोग जान जोखिम में डालकर कर रहे नदी पार

'चचरी पुल को बनाने में 3 से 4 लाख का खर्चा आता है. जिसे बनाने में करीब एक महीने का समय लगता है. इस पुल पर 6 महीने तक लोग आवागमन करते हैं. बाढ़ आने पर लोग 6 महीने तक नाव के सहारे नदी पार करते हैं'-ब्रह्मदेव साहनी, चचरी पुल निर्माण करने वाला कारीगर

तीन जिलों को जोड़ता है चचरी पुल
तीन जिलों को जोड़ता है चचरी पुल

चचरी पुल के निर्माण में लाखों का खर्चा
चचरी पुल का निर्माण और रखरखाव करने वाले ब्रह्मदेव साहनी का कहना है कि इस चचरी पुल के निर्माण में करीब एक हजार पीस बांस का उपयोग होता है. जिसका मूल्य करीब एक लाख से ज्यादा होता है. इसके अलावा करीब 10 हजार रुपए के एल्युमीनियम तार और कांटी, 20 हजार रुपए की नारियल की रस्सी और करीब एक लाख रुपए की मजदूरी लगती है. तब जाकर 100 मीटर से अधिक लंबा चचरी पुल का निर्माण होता है.

बागमती नदी पर बना चचरी पुल
बागमती नदी पर बना चचरी पुल

आवागमन के लिए देना होता है शुल्क
चचरी पुल का निर्माण कराने और रखरखाव करने वाले व्यक्ति के द्वारा यात्रियों से शुल्क लिया जाता है. जिस पैसे से 6 माह तक चचरी पुल की मरम्मत की जाती है. यात्रियों से पैसा लेने वाले घटवार का बताना है कि प्रत्येक बाइक सवार से 20 रुपए, साइकिल सवार से 15 रुपए और पैदल यात्री से 10 रुपए की दर से शुल्क वसूल किया जाता है.

हजारों लोगों की लाइफ लाइन चचरी पुल
हजारों लोगों की लाइफ लाइन चचरी पुल

'तीन जिलों को जोड़ने वाली चंदौली घाट अति व्यस्तम सड़क मार्ग है. इसके बावजूद इस जटिल समस्या पर किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया. लिहाजा हर साल जन सहयोग से चचरी पुल का निर्माण कर आवागमन बहाल किया जाता है'- मनीष कुमार सिंह, मुखिया चंदौली पंचायत

तीन जिलों को जोड़ता चचरी पुल

अधर में स्थाई पुल का निर्माण कार्य
चंदौली पंचायत के मुखिया मनीष कुमार सिंह ने बताया कि वर्ष 2015 में चचरी पुल से 100 मीटर पूर्व पुल निर्माण के लिए तत्कालीन विधायक सुनीता सिंह चौहान ने शिलान्यास किया था. उसके बाद निर्माण कार्य शुरू किया गया था. लेकिन 5 साल पूरे होने के बावजूद भी पुल का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है. जिसके कारण आजादी के बाद से अब तक तीन जिलों के लोग आज भी चचरी पुल और नाव के सहारे आवागमन कर रहे हैं.

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