सीतामढ़ी: बिहार में बेहतर स्वास्थ्य (Health Services In Bihar) सेवाओं का मंत्री और अधिकारी दावा करते हैं. लेकिन सीतामढ़ी जिला मुख्यालय से महज दो किलोमीटर दूर मुरादपुर गांव में स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र की तस्वीर कुछ और ही कहानी बयां करती है. मुरादपुर स्वास्थ्य केंद्र लगभग 5 साल से (Muradpur Sub Health Centre Closed From Several Years) बंद पड़ा है. जिसके बाद यहां के ग्रामीणों ने उप स्वास्थ्य केंद्र पर कब्जा कर उसे भैंसों का तबेला बना दिया है. साथ ही जहां एक तरफ शराबबंदी कानून को पालन कराने के लिए प्रशासन लगातार अभियान चला रहा है. वहीं, इस उपस्वास्थ्य केंद्र पर शाम के समय ताड़ी पीने वालों का जमवाड़ा लगा रहता है. इस मामले में जब सिविल सर्जन से सवाल किया गया तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.
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मुरादपुर उप स्वास्थ्य केंद्र बना भैंसों का तबेला: जहां एक ओर सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए लगातार स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टर और हेल्थ वर्करों की तैनाती करने का दावा कर रही है. लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि कई स्वास्थ्य केंद्र बंद परे हैं. इन दिनों जिला मुख्यालय से सटे मुरादपुर पंचायत में बना उप स्वास्थ्य केंद्र काफी चर्चा में है. मुरादपुर में उप स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टरों और हेल्थ वर्करों की तैनाती गई है पर यहां आता कोई भी नहीं. जिसके बाद स्वास्थ्य केंद्र भैंसों का तबेला बनकर रह गया है. हालांकि, उप स्वास्थ्य केंद्र पर कब्जा करने वाली महिला ने बताया कि उप स्वास्थ्य केंद्र में आवश्यक दवाएं मौजूद है.
5 साल से बंद पड़ा है मुरादपुर उप स्वास्थ्य केंद्र: बता दें कि लगभग 5 वर्षों से जिला मुख्यालय से सटे मुरादपुर गांव में बने उप स्वास्थ्य केंद्र बंद पड़ा है. हालांकि इसको लेकर सिविल सर्जन ने कई बार अधिकारियों को आदेश दिया कि उप स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य सेवाएं बहाल कराया जाए. लेकिन आदेश के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई. बताया जाता है कि उप स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर और नर्स की तैनाती भी की गई है. लेकिन यहां ना तो डॉक्टर आते हैं और ना ही कोई अन्य कर्मचारी पहुंचते हैं. जिसके वजह से पिछले 5 साल से इस स्वास्थ्य केंद्र पर ताला लटका है.
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इलाज के लिए जाना होता 2 किलोमीटर दूर: वहीं, मुरादपुर उप स्वास्थ्य केंद्र बंद होने की वजह से आसपास के करीब आधा दर्जन गांव के लोगों को इलाज के लिए जिला मुख्यालय स्थित पीएचसी में जाना पड़ता है. हालांकि इसकी जानकारी स्वास्थ्य महकमे के आला अधिकारियों को भी है. लेकिन इसको लेकर कोई पहल नहीं किया जा रहा. जिसके कारण आसपास के ग्रामीणों में काफी आक्रोश का माहौल है. साथ ही ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों से मिलकर उप स्वास्थ्य केंद्र को भैंसों का तबेला बनाया गया है. स्वास्थ्य कर्मी की तैनाती होने के बावजूद यहां कोई स्वास्थ्य कर्मी नहीं पहुंचता है. वहीं जब सिविल सर्जन से इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.
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