सीतामढ़ी: जिले में गन्ने की फसल प्रभावित होने के कारण इथेनॉल का उत्पादन प्रभावित हो रहा है. सीतामढ़ी स्थित रीगा शुगर मिल की इकाई डिस्टलरी में गन्ना से निकलने वाले मोलासिस यानी छोआ इथेनॉल के उत्पादन में समस्या आ रही है. छोआ और बेगास की कमी के करण इथेनॉल का उत्पादन प्रभावित हो रहा है. साल 2020 में एक करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था लेकिन इस समस्या के कारण लक्ष्य को हासिल करना डिस्टलरी प्रबंधन के लिए मुश्किल हो रहा है.
प्रबंधन के अनुसार गन्ने की आपूर्ति लक्ष्य के अनुपात में नहीं होने के कारण छोआ और बेगास का उत्पादन ज्यादा नहीं हो सका है. लिहाजा महंगे दरों पर छोआ और बेगास खरीद कर उत्पादन करना प्रबंधन के लिए कठिन साबित हो रहा है. इसका असर इथेनॉल के उत्पादन पर पड़ रहा है.
1995 में हुई थी डिस्टलरी की स्थापना
डिस्टलरी की स्थापना शुगर मिल के संचालक ओमप्रकाश धानुका ने 1995 में कराया था. तब से लेकर साल 2016 तक इस डिस्टलरी में अल्कोहल का उत्पादन किया जाता था लेकिन नई उत्पाद नीति लागू होने के बाद अब इस डिस्टलरी में इथेनॉल का उत्पादन किया जाता है और उसकी आपूर्ति पेट्रोलियम कंपनी आइओसीएल, बीपीसीएल, एचपीसीएल सहित अन्य कंपनियों को की जाती है.
गन्ने की आपूर्ति है कम
पिछले सत्र में अधिक गन्ना मिलने के कारण करीब 80 लाख लीटर इथेनॉल का उत्पादन किया गया था, लेकिन इस बार गन्ने की आपूर्ति कम होने से उससे बनने वाले छोआ और बेगास का उत्पादन लक्ष्य से काफी कम हुआ है. डिस्टलरी के महाप्रबंधक शशि गुप्ता ने बताया कि यह उत्पादन सत्र डिस्टलरी के लिए अच्छा नहीं है. अब तक शुगर मिल और डिस्टलरी का बॉयलर चलाने के लिए करीब 2 करोड़ से अधिक मूल्य का बेगास खरीद की जा चुका है. 400 रुपये प्रति क्विंटल छोआ खरीदना मुश्किल हो रहा है. जिस कारण इथेनॉल उत्पादन प्रभावित हो रहा है. इससे उत्पादन लक्ष्य के अनुसार हासिल करना मुश्किल हो रहा है.