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'मुखिया फेम' रितु जायसवाल के पति लड़ सकते हैं पंचायत चुनाव, जानें कौन हैं अरुण कुमार - सीतामढ़ी न्यूज

रितु जायसवाल के पति की इस बार पंचायत चुनाव लड़ने की प्रबल संभावना है. चूंकि रितु जायसवाल ने पहले ही पंचायत चुनाव लड़ने से मना कर दिया है, ऐसे में उनके पति चुनाव लड़ सकते हैं. इस पर खुद उन्होंने क्या कहा जानने के लिए पढ़ें खबर...

रितु जायसवाल के पति अरुण कुमार
रितु जायसवाल के पति अरुण कुमार
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Published : Oct 7, 2021, 11:01 AM IST

सीतामढ़ीः मुखिया फेम रितु जायसवाल (Ritu Jaiswal) के पति अब पंचायत चुनाव में किस्मत आजमाने जा रहे हैं. सीतामढ़ी के सिंहवाहिनी पंचायत की मुखिया के तौर पर रितु जायसवाल का कार्यकाल काफी चर्चित रहा. क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्यों की खूब चर्चा हुई थी. लेकिन इस बार वो पंचायत चुनाव नहीं लड़ेंगी. उनकी जगह पर उनके पति अरुण कुमार इस बार पंचायत चुनाव लड़ सकते हैं.

इसे भी पढ़ें- 'मुखिया फेम' रितु जायसवाल ने पंचायत चुनाव से किया तौबा, जानिए वजह

रितु जायसवाल के पति अरुण कुमार एलाईड सर्विस में रह चुके हैं. अरुण कुमार 1995 बैच के ऑफिसर हैं. अरुण को पहली जॉइनिंग नागपुर के ऑर्डिनेंस फैक्टरी में मिली थी. कारगिल युद्ध के समय बोफोर्स एम्युनिशन में भी उन्होंने काफी योगदान दिया. हालांकि, 2 साल पहले ही अरुण कुमार ने नौकरी से वीआरएस लिया है.

अरुण कुमार की नौकरी अभी 12 साल बची थी. वीआरएस लेते समय अरुण दिल्ली में सेंट्रल विजिलेंस कमीशन में डायरेक्टर थे. वे वहां डिपार्टमेंटल इंक्वायरी के पद पर भी कर रहे थे. अरुण कुमार का कहना है कि 9:00 से 5:00 तक नौकरी करने से हटकर वह कुछ अलग करना चाहते हैं. इसलिए उन्होंने वीआरएस लिया था.

इसे भी पढ़ें- मुखिया रितु जायसवाल का बड़ा ऐलान, केंद्र से मिली पुरस्कार राशि से होगा पंचायत का समग्र विकास

बता दें कि सिविल सर्विसेज में वैल्यू एजुकेशन वाले युवाओं को लाने के लिए अरूण कुमार ने उन्हें प्रॉपर गाइडलाइन देना शुरू कर दिया था. उनके पिता ब्रह्मदेव चौधरी ब्लॉक के प्रथम स्नातक थे. उनके पिता ने माइनर इरिगेशन में अकाउंटेड की नौकरी को छोड़ कर किसानी शुरू की थी.

अरुण कुमार 240 स्टूडेंट को यूपीएससी एग्जाम के लिए तैयार कर रहे हैं. वे कहते हैं कि अभी भी समाज के लिए कुछ करने के लिए सबसे बेहतर गांव ही है. अरुण कुमार ने कहा कि गांधी विदेश से आए तो उन्होंने आंदोलन के लिए चनपटिया जैसी छोटी जगह को ही चुना था. रितु जायसवाल ने दिल्ली की बेहतरीन दुनिया को छोड़ अपने ससुराल सिंह वाहिनी गांव को चुना और गांव में बिजली से लेकर सड़क लाने का काम किया. वह 2015 में वह मुखिया बनीं.

इसे भी पढ़ें- मुखिया रितु जायसवाल ने दिलाई सिंहवाहिनी पंचायत को पहचान, मेहनत से बदल दी गांव की सूरत

बताते चलें कि रितु जायसवाल 2012 से गांव में आकर लोगों की मदद में जुट गईं थीं. सोनबरसा प्रखंड के सिंघवाहिनी पंचायत जिले का पहला ओडीएफ पंचायत बना. इसके बाद रितु जायसवाल ने जिले के परिहार विधानसभा से राजद के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन वह चुनाव हार गईं थीं. उन्हें 71,851 वोट मिले थे. लेकिन 1569 वोट से वह जीत से दूर रह गईं.

हालांकि इस बारे में जब रितु जायसवाल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव को लेकर उनके पति ने अब तक कोई फैसला नहीं किया है. इसपर वह अपने पति के साथ मिलकर निर्णय लेंगी. इसके बाद उन्होंने कहा कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य सिंघवाहिनी पंचायत का जनप्रतिनिधि रहे या नहीं रहे, वह हमेशा क्षेत्र और जनता के विकास के लिए काम करती रहेंगी.

सीतामढ़ीः मुखिया फेम रितु जायसवाल (Ritu Jaiswal) के पति अब पंचायत चुनाव में किस्मत आजमाने जा रहे हैं. सीतामढ़ी के सिंहवाहिनी पंचायत की मुखिया के तौर पर रितु जायसवाल का कार्यकाल काफी चर्चित रहा. क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्यों की खूब चर्चा हुई थी. लेकिन इस बार वो पंचायत चुनाव नहीं लड़ेंगी. उनकी जगह पर उनके पति अरुण कुमार इस बार पंचायत चुनाव लड़ सकते हैं.

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रितु जायसवाल के पति अरुण कुमार एलाईड सर्विस में रह चुके हैं. अरुण कुमार 1995 बैच के ऑफिसर हैं. अरुण को पहली जॉइनिंग नागपुर के ऑर्डिनेंस फैक्टरी में मिली थी. कारगिल युद्ध के समय बोफोर्स एम्युनिशन में भी उन्होंने काफी योगदान दिया. हालांकि, 2 साल पहले ही अरुण कुमार ने नौकरी से वीआरएस लिया है.

अरुण कुमार की नौकरी अभी 12 साल बची थी. वीआरएस लेते समय अरुण दिल्ली में सेंट्रल विजिलेंस कमीशन में डायरेक्टर थे. वे वहां डिपार्टमेंटल इंक्वायरी के पद पर भी कर रहे थे. अरुण कुमार का कहना है कि 9:00 से 5:00 तक नौकरी करने से हटकर वह कुछ अलग करना चाहते हैं. इसलिए उन्होंने वीआरएस लिया था.

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बता दें कि सिविल सर्विसेज में वैल्यू एजुकेशन वाले युवाओं को लाने के लिए अरूण कुमार ने उन्हें प्रॉपर गाइडलाइन देना शुरू कर दिया था. उनके पिता ब्रह्मदेव चौधरी ब्लॉक के प्रथम स्नातक थे. उनके पिता ने माइनर इरिगेशन में अकाउंटेड की नौकरी को छोड़ कर किसानी शुरू की थी.

अरुण कुमार 240 स्टूडेंट को यूपीएससी एग्जाम के लिए तैयार कर रहे हैं. वे कहते हैं कि अभी भी समाज के लिए कुछ करने के लिए सबसे बेहतर गांव ही है. अरुण कुमार ने कहा कि गांधी विदेश से आए तो उन्होंने आंदोलन के लिए चनपटिया जैसी छोटी जगह को ही चुना था. रितु जायसवाल ने दिल्ली की बेहतरीन दुनिया को छोड़ अपने ससुराल सिंह वाहिनी गांव को चुना और गांव में बिजली से लेकर सड़क लाने का काम किया. वह 2015 में वह मुखिया बनीं.

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बताते चलें कि रितु जायसवाल 2012 से गांव में आकर लोगों की मदद में जुट गईं थीं. सोनबरसा प्रखंड के सिंघवाहिनी पंचायत जिले का पहला ओडीएफ पंचायत बना. इसके बाद रितु जायसवाल ने जिले के परिहार विधानसभा से राजद के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन वह चुनाव हार गईं थीं. उन्हें 71,851 वोट मिले थे. लेकिन 1569 वोट से वह जीत से दूर रह गईं.

हालांकि इस बारे में जब रितु जायसवाल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव को लेकर उनके पति ने अब तक कोई फैसला नहीं किया है. इसपर वह अपने पति के साथ मिलकर निर्णय लेंगी. इसके बाद उन्होंने कहा कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य सिंघवाहिनी पंचायत का जनप्रतिनिधि रहे या नहीं रहे, वह हमेशा क्षेत्र और जनता के विकास के लिए काम करती रहेंगी.

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