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सीतामढ़ी की 'सेहत' खराब! सिर्फ 50 डॉक्टरों पर है 42 लाख की आबादी को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी - lack of doctor

सिविल सर्जन डॉ. कामेश्वर प्रसाद का कहना है कि चिकित्सकों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवा पर खासा असर पड़ रहा है. मरीजों को स्वास्थ्य सेवा देने के लिए आयुर्वेद और आयुष चिकित्सकों के साथ जीएनएम और एएनएम की मदद ली जाती है.

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Published : Jan 25, 2020, 8:34 PM IST

सीतामढ़ी: सरकार और विभाग की उदासीनता के कारण जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. यहां लगभग 42 लाख की जनसंख्या पर 5 महिला और 50 पुरुष चिकित्सकों को तैनात किया गया है. चिकित्सकों की संख्या मरीजों की संख्या के सामने ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है. इसका खासा असर मरीजों की स्वास्थ्य सेवा पर पड़ रहा है, लेकिन डॉक्टर के रिक्त पद को भरने की दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं की जा रही है.

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डॉक्टर के कमी से मरीज परेशान

सीतामढ़ी में सदर, रेफरल, अनुमंडल अस्पताल के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 17 पीएचसी और 35 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, जिसके लिए सरकार की ओर से 383 चिकित्सकों का पद सृजित किया गया है, लेकिन 50 चिकित्सकों की ही तैनात की गई है. वहीं, अगर महिला चिकित्सक की बात करें तो विभाग की ओर से 19 विशेषज्ञ महिला चिकित्सकों का पद सृजित है, लेकिन केवल 5 महिला चिकित्सक ही तैनात हैं.

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जीएनएम और एएनएम करते है मरीजों का इलाज

डॉक्टर की कमी से मरीज परेशान
बता दें कि डॉक्टर की कमी जिले के लाचार मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. सदर अस्पताल में प्रतिदिन 3-4 सिजेरियन ऑपरेशन किए जाते हैं. वहीं, 25 से 30 प्रतिदिन नॉर्मल डिलीवरी कराई जाती है. इसके अलावा सभी पीएचसी में प्रसव के लिए महिला मरीज काफी संख्या में पहुंचते हैं, जिसका इलाज जीएनएम और एएनएम करती हैं.

डॉक्टरों की कमी के कारण मरीज परेशान

चिकित्सकों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवा प्रभावित
सिविल सर्जन डॉ. कामेश्वर प्रसाद का कहना है कि चिकित्सकों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवा पर खासा असर पड़ रहा है. मरीजों को स्वास्थ्य सेवा देने के लिए आयुर्वेद और आयुष चिकित्सकों के साथ जीएनएम और एएनएम की मदद ली जाती है. सदर अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजन का कहना है कि ऑपरेशन के बाद महिला चिकित्सक मरीजों को देखने के लिए भूले-भटके कभी चली आती है. उन्होंने कहा कि जब मरीज वार्ड में भर्ती हो जाते हैं तब जीएनएम और एएनएम ही सिजेरियन मरीजों को स्वास्थ्य सेवा देती हैं.

सीतामढ़ी: सरकार और विभाग की उदासीनता के कारण जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. यहां लगभग 42 लाख की जनसंख्या पर 5 महिला और 50 पुरुष चिकित्सकों को तैनात किया गया है. चिकित्सकों की संख्या मरीजों की संख्या के सामने ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है. इसका खासा असर मरीजों की स्वास्थ्य सेवा पर पड़ रहा है, लेकिन डॉक्टर के रिक्त पद को भरने की दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं की जा रही है.

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डॉक्टर के कमी से मरीज परेशान

सीतामढ़ी में सदर, रेफरल, अनुमंडल अस्पताल के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 17 पीएचसी और 35 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, जिसके लिए सरकार की ओर से 383 चिकित्सकों का पद सृजित किया गया है, लेकिन 50 चिकित्सकों की ही तैनात की गई है. वहीं, अगर महिला चिकित्सक की बात करें तो विभाग की ओर से 19 विशेषज्ञ महिला चिकित्सकों का पद सृजित है, लेकिन केवल 5 महिला चिकित्सक ही तैनात हैं.

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जीएनएम और एएनएम करते है मरीजों का इलाज

डॉक्टर की कमी से मरीज परेशान
बता दें कि डॉक्टर की कमी जिले के लाचार मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. सदर अस्पताल में प्रतिदिन 3-4 सिजेरियन ऑपरेशन किए जाते हैं. वहीं, 25 से 30 प्रतिदिन नॉर्मल डिलीवरी कराई जाती है. इसके अलावा सभी पीएचसी में प्रसव के लिए महिला मरीज काफी संख्या में पहुंचते हैं, जिसका इलाज जीएनएम और एएनएम करती हैं.

डॉक्टरों की कमी के कारण मरीज परेशान

चिकित्सकों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवा प्रभावित
सिविल सर्जन डॉ. कामेश्वर प्रसाद का कहना है कि चिकित्सकों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवा पर खासा असर पड़ रहा है. मरीजों को स्वास्थ्य सेवा देने के लिए आयुर्वेद और आयुष चिकित्सकों के साथ जीएनएम और एएनएम की मदद ली जाती है. सदर अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजन का कहना है कि ऑपरेशन के बाद महिला चिकित्सक मरीजों को देखने के लिए भूले-भटके कभी चली आती है. उन्होंने कहा कि जब मरीज वार्ड में भर्ती हो जाते हैं तब जीएनएम और एएनएम ही सिजेरियन मरीजों को स्वास्थ्य सेवा देती हैं.

Intro:42 लाख की जनसंख्या को चिकित्सा सेवा देने के लिए तैनात है 5 महिला और 50 पुरुष चिकित्सक।


Body:सरकार और विभाग की उदासीनता के कारण जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था बेहद चरमरा गई है। इस जिले की कुल जनसंख्या करीब 42 लाख है। जिन्हें स्वास्थ्य सेवा देने के लिए सरकार की ओर से 5 महिला और 50 पुरुष चिकित्सकों को तैनात किया गया है। और यह चिकित्सकों की संख्या मरीजों की संख्या के सामने ऊंट के मुंह में जीरा का फोरम साबित हो रहा है। और इसका खासा असर जरूरतमंद मरीजों के स्वास्थ्य सेवा पर पड़ रहा है। लेकिन इस रिक्त पद को भरने की दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं की जा रही है।
जिले के सिविल सर्जन डॉ कामेश्वर प्रसाद भी स्वीकार करते हैं कि चिकित्सकों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवा पर खासा असर पड़ रहा है। मरीजों को स्वास्थ्य सेवा देने के लिए आयुर्वेद और आयुष चिकित्सकों के साथ जीएनएम और एएनएम की मदद ली जाती है।
जिले में सदर, रेफरल, अनुमंडल अस्पताल के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 17 पीएचसी और 35 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित हो रहा है। जिसके लिए सरकार की ओर से 383 चिकित्सकों का पद सृजित है। लेकिन अभी 50 चिकित्सक ही तैनात है। अगर महिला चिकित्सक की बात करें तो विभाग की ओर से 19 विशेषज्ञ महिला चिकित्सकों का पद सृजित है। जिसमें केवल पांच महिला चिकित्सक ही तैनात है। और इस कमी का खामियाजा जिले के लाचार मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। जबकि सदर अस्पताल में प्रतिदिन तीन से चार सिजेरियन ऑपरेशन किए जाते हैं। वहीं 25 से 30 प्रतिदिन नॉर्मल डिलीवरी कराई जाती है। इसके अलावा सभी पीएचसी में प्रसव के लिए महिला मरीज काफी संख्या में पहुंचते हैं। जिनका इलाज जीएनएम एएनएम के द्वारा किया जाता है।
सदर अस्पताल के वार्ड में भर्ती सिजेरियन मरीज के परिजनों की शिकायत है कि ऑपरेशन करने के बाद महिला चिकित्सक मरीजों को देखने के लिए भूले भटके चली आती है। जब तक मरीज वार्ड में भर्ती होता है तब तक जीएनएम और एएनएम के अलावे एएनएम स्कूल की छात्रा ही सिजेरियन मरीजों को स्वास्थ्य सेवा देती है।
बाइट 1 सदर अस्पताल के प्रसव वार्ड में भर्ती सिजेरियन मरीज और उनके परिजन।
बाइट 2 डॉ कामेश्वर प्रसाद। सिविल सर्जन सीतामढ़ी।


Conclusion:स्वास्थ्य सेवा से जुड़े जानकारों का बताना है कि चिकित्सकों की कमी जिले के सरकारी अस्पतालों में लंबे समय से चलती आ रही है। इस रिक्त पद को भरने के लिए कई बार पत्राचार किया गया लेकिन अब तक चिकित्सकों के खाली पदों को भरा नहीं जा सका जिसका सीधा असर स्वास्थ्य सेवा पर हो रहा है।
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