सीतामढ़ी: सरकार और विभाग की उदासीनता के कारण जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. यहां लगभग 42 लाख की जनसंख्या पर 5 महिला और 50 पुरुष चिकित्सकों को तैनात किया गया है. चिकित्सकों की संख्या मरीजों की संख्या के सामने ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है. इसका खासा असर मरीजों की स्वास्थ्य सेवा पर पड़ रहा है, लेकिन डॉक्टर के रिक्त पद को भरने की दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं की जा रही है.
सीतामढ़ी में सदर, रेफरल, अनुमंडल अस्पताल के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 17 पीएचसी और 35 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, जिसके लिए सरकार की ओर से 383 चिकित्सकों का पद सृजित किया गया है, लेकिन 50 चिकित्सकों की ही तैनात की गई है. वहीं, अगर महिला चिकित्सक की बात करें तो विभाग की ओर से 19 विशेषज्ञ महिला चिकित्सकों का पद सृजित है, लेकिन केवल 5 महिला चिकित्सक ही तैनात हैं.
डॉक्टर की कमी से मरीज परेशान
बता दें कि डॉक्टर की कमी जिले के लाचार मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. सदर अस्पताल में प्रतिदिन 3-4 सिजेरियन ऑपरेशन किए जाते हैं. वहीं, 25 से 30 प्रतिदिन नॉर्मल डिलीवरी कराई जाती है. इसके अलावा सभी पीएचसी में प्रसव के लिए महिला मरीज काफी संख्या में पहुंचते हैं, जिसका इलाज जीएनएम और एएनएम करती हैं.
चिकित्सकों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवा प्रभावित
सिविल सर्जन डॉ. कामेश्वर प्रसाद का कहना है कि चिकित्सकों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवा पर खासा असर पड़ रहा है. मरीजों को स्वास्थ्य सेवा देने के लिए आयुर्वेद और आयुष चिकित्सकों के साथ जीएनएम और एएनएम की मदद ली जाती है. सदर अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजन का कहना है कि ऑपरेशन के बाद महिला चिकित्सक मरीजों को देखने के लिए भूले-भटके कभी चली आती है. उन्होंने कहा कि जब मरीज वार्ड में भर्ती हो जाते हैं तब जीएनएम और एएनएम ही सिजेरियन मरीजों को स्वास्थ्य सेवा देती हैं.