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VIDEO: सीतामढ़ी में उफान पर बागमती नदी, बाढ़ और कटाव के डर से लोग उजाड़ रहे अपना आशियाना - सीतामढ़ी में बाढ़ के डर से लोगों ने घर तोड़ा

सीतामढ़ी में बागमती नदी उफान पर है. नदी किनारे मिट्टी का कटाव तेजी से जारी है. नदी की धारा तेजी से जिले के कई गांव के समीप (Flood In Sitamarhi) पहुंच चुकी है. बाढ़ से आतंकित ग्रामीण अपने घरों को बुलडोजर तोड़कर ईट को सुरक्षित करने में जुटे हैं. पढ़ें पूरी खबर....

सीतामढ़ी में उफान पर बागमती नदी
सीतामढ़ी में उफान पर बागमती नदी
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Published : Jul 2, 2022, 4:58 PM IST

सीतामढ़ी: नेपाल और उसके आसपास के बिहार के जिलों में लगातार हो रही बारिश से एक बार फिर बाढ़ का खतरा (Flood In Bihar) बढ़ गया है. नदी में जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ रहा है. सीतामढ़ी जिले में बागमती नदी की धारा मेजरगंज प्रखंड में रूसूलपुर गांव के समीप पहुंच चुकी है. खतरा को भांपते हुए लोगों ने अपने-अपने घरों को बुलडोजर से तोड़ना शुरू कर (Bihar Flood Update) दिया है. वे बाढ़ के विकराल रूप धारण करने पहले घरों में लगे ईट और सामान को दूसरे जगह सुरक्षित पहुंचाना चाहते हैं.

यह भी पढ़ें: OMG! बिहार के चूहों ने कर दिया नया कांड, आप जानकर पीट लेंगे माथा

नदी किनारे तेजी से मिट्टी का कटाव: जानकारी के मुताबिक मेजरगंज प्रखंड में रूसूलपुर गांव पड़ता है. गांव के समीप से बागमती नदी गुजरती है. नेपाल में लगातार जारी बारिश एवं जिले में तीन दिन तक हुए मुशलाधार वर्षा से बागमती नदी उफान पर है. नदी किनारे तेजी से मिट्टी का कटाव जारी है.अब नदी की धारा गांव के समीप पहुंच चुकी है. करीब 200 घरों वाले इस पूरे गांव पर बाढ़ का संकट तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में लोग अब अपने घरों को बुलडोजर से खुद ध्वस्त कर उसका एक-एक ईट दूसरे जगह ले जा रहे हैं.

यह भी पढ़ें: बिहार में बाढ़: अररिया में नूना नदी का जलस्तर बढ़ने से कई गांवों में घुसा पानी, मचा हाहाकार

लोगों को आशियाना तोड़ने का दर्द: स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि मेहनत से कमाकर एक-एक पैसा जमा कर सपनों का आशियाना बनाया था. अब उसे खुद के हाथ से तोड़ने में कलेजा फट रहा है. इधर, जैसे-जैसे नदी की धारा गांव के समीप पहुंच रही है, लोगों की घबराहट बढ़ती जा रही है. आफत में पड़ी ग्रामीणों की जान को हर समय बाढ़ का डर सता रहा है. गांव की अधिकांश आबादी खेती पर निर्भर करता है. ऐसे में बाढ़ के बाद खेती और फसल का भी नुकसान होगा. हर साल इसी स्थिति से लोग गुजरना पड़ता है.

"वर्तमान में नेपाल और सीतमढ़ी में मूसलाधार बारिश हुई है. तेजी से नदियों का जलस्तर बढ़ा है. खतरे के निशान के आसपास नदी बह रहा है. तटबंधों पर लगातार निगरानी रखी जा रही है. पेट्रोलिंग टीम से फीडबैक लिया जा रहा है. दो गांव नदी के बीच में बसे हुए है. जिसमें रूसूलपुर गांव और जमला गांव, ऐसे में नदी का धार बढ़ने पर स्वाभाविक रूप से कटाव होता है. प्रशासन की तरह से ग्रामीणों को सुविधा मुहैया करायी जा रही है" -मनेस कुमार मीणा, जिलाधिकारी, सीतामढ़ी

प्रशासन पर ग्रामीणों की नाराजगी: ग्रमीणों ने प्रशासन पर नाराजगी जाहिर की है. उनका कहना है कि बाढ़ के खतरे से बचने के लिए प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. बागमती नदी का तेजी से जलस्तर बढ़ने से मिट्टी का कटाव तेजी से जारी है. कभी भी बाढ़ का पानी गांव में घुस सकता है. वहीं सीतामढ़ी जिला प्रशासन का कहना है कि कटाव वाले स्थल पर बचाव के लिए रात दिन काम चल रहा है. तटबंधों का लगातार निगरानी रखी जा रही है. आपदा के लिए राहत कार्य किए जा रहे है.

सीतामढ़ी: नेपाल और उसके आसपास के बिहार के जिलों में लगातार हो रही बारिश से एक बार फिर बाढ़ का खतरा (Flood In Bihar) बढ़ गया है. नदी में जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ रहा है. सीतामढ़ी जिले में बागमती नदी की धारा मेजरगंज प्रखंड में रूसूलपुर गांव के समीप पहुंच चुकी है. खतरा को भांपते हुए लोगों ने अपने-अपने घरों को बुलडोजर से तोड़ना शुरू कर (Bihar Flood Update) दिया है. वे बाढ़ के विकराल रूप धारण करने पहले घरों में लगे ईट और सामान को दूसरे जगह सुरक्षित पहुंचाना चाहते हैं.

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नदी किनारे तेजी से मिट्टी का कटाव: जानकारी के मुताबिक मेजरगंज प्रखंड में रूसूलपुर गांव पड़ता है. गांव के समीप से बागमती नदी गुजरती है. नेपाल में लगातार जारी बारिश एवं जिले में तीन दिन तक हुए मुशलाधार वर्षा से बागमती नदी उफान पर है. नदी किनारे तेजी से मिट्टी का कटाव जारी है.अब नदी की धारा गांव के समीप पहुंच चुकी है. करीब 200 घरों वाले इस पूरे गांव पर बाढ़ का संकट तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में लोग अब अपने घरों को बुलडोजर से खुद ध्वस्त कर उसका एक-एक ईट दूसरे जगह ले जा रहे हैं.

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लोगों को आशियाना तोड़ने का दर्द: स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि मेहनत से कमाकर एक-एक पैसा जमा कर सपनों का आशियाना बनाया था. अब उसे खुद के हाथ से तोड़ने में कलेजा फट रहा है. इधर, जैसे-जैसे नदी की धारा गांव के समीप पहुंच रही है, लोगों की घबराहट बढ़ती जा रही है. आफत में पड़ी ग्रामीणों की जान को हर समय बाढ़ का डर सता रहा है. गांव की अधिकांश आबादी खेती पर निर्भर करता है. ऐसे में बाढ़ के बाद खेती और फसल का भी नुकसान होगा. हर साल इसी स्थिति से लोग गुजरना पड़ता है.

"वर्तमान में नेपाल और सीतमढ़ी में मूसलाधार बारिश हुई है. तेजी से नदियों का जलस्तर बढ़ा है. खतरे के निशान के आसपास नदी बह रहा है. तटबंधों पर लगातार निगरानी रखी जा रही है. पेट्रोलिंग टीम से फीडबैक लिया जा रहा है. दो गांव नदी के बीच में बसे हुए है. जिसमें रूसूलपुर गांव और जमला गांव, ऐसे में नदी का धार बढ़ने पर स्वाभाविक रूप से कटाव होता है. प्रशासन की तरह से ग्रामीणों को सुविधा मुहैया करायी जा रही है" -मनेस कुमार मीणा, जिलाधिकारी, सीतामढ़ी

प्रशासन पर ग्रामीणों की नाराजगी: ग्रमीणों ने प्रशासन पर नाराजगी जाहिर की है. उनका कहना है कि बाढ़ के खतरे से बचने के लिए प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. बागमती नदी का तेजी से जलस्तर बढ़ने से मिट्टी का कटाव तेजी से जारी है. कभी भी बाढ़ का पानी गांव में घुस सकता है. वहीं सीतामढ़ी जिला प्रशासन का कहना है कि कटाव वाले स्थल पर बचाव के लिए रात दिन काम चल रहा है. तटबंधों का लगातार निगरानी रखी जा रही है. आपदा के लिए राहत कार्य किए जा रहे है.

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