ETV Bharat / state

सीतामढ़ी: फिशरीज के लिए नई तकनीक विकसित, 6 माह में तैयार होंगी मछलियां

सीतामढ़ी जिले में मछली उत्पादन के लिए बायोफ्लॉक विधि की शुरुआत होने वाली है. इस विधि द्वारा 6 माह में मछली बाजार के लायक तैयार हो जाती हैं.

मछली पालन के लिए नई तकनीक विकसित.
मछली पालन के लिए नई तकनीक विकसित.
author img

By

Published : Jun 24, 2020, 8:44 PM IST

सीतामढ़ी: जिले में मछली पालन की नई तकनीक बायोफ्लॉक विधि की शुरुआत होने वाली है. इस तकनीक का मुख्य उद्देश्य कृषिकों और युवाओं को नई तकनीक से अवगत कराना है, ताकि सीमित जगह एवं कम पानी में बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए मत्स्य उत्पादन किया जा सके.

etv bharat
6 माह में तैयार होंगी मछलियां.

कम पानी में भी हो सकेगा मत्स्य उत्पादन
इस तकनीक से नियंत्रित वातावरण से अधिक सघनता के साथ मत्स्य पालन कर कम पानी में मत्स्य उत्पादकता बढ़ाने में सहायक होगी. वहीं रोजगार के नए अवसर के साथ-साथ कृषकों की आमदनी को भी बढ़ाया जा सकेगा. इस योजना के तहत 50% के अनुदान पर सामान्य वर्ग के लाभुकों और 75% अनुदान पर अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति एवं अति पिछड़ा वर्ग के लिए स्वीकृति प्रदान की गई है.

6 माह में तैयार हो जाएगी मछली
सीतामढ़ी जिले में 7 बायोफ्लॉक यूनिट स्थापित करने की मंजूरी मिली है, जिसमें 605 टैंक वाले एवं एक यूनिट 10 टैंक वाले हैं. 5 टैंक वाले एक यूनिट की इकाई लागत 850000 एवं 10 टैंक वाले एक यूनिट की इकाई लागत 13 लाख रुपये 60000 निर्धारित है. इस विधि से कई प्रकार की प्रजाति की मछली का पालन किया जा सकता है, जैसे तिलापिया, पंगेशियस, कबैय, सिंधी, मांगूर और अन्य कैटफिश शामिल है. इस विधि से टैंक में 6 माह में मछली बाजार के लायक तैयार हो जाता है.

प्रति फसल से लगभग 400 किलोग्राम तैयार होगी मछली
बायोफ्लॉक तकनीक से प्रतिवर्ष दो बार उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. हर बार लगभग 400 किलोग्राम तक मत्यस्य उत्पादन किया जा सकता है. बायोफ्लॉक मत्स्य पालक बृजेश कुमार के द्वारा बनाया गया है, जिसका जायजा जिला मत्स्य पदाधिकारी द्वारा लिया गया है.

सीतामढ़ी: जिले में मछली पालन की नई तकनीक बायोफ्लॉक विधि की शुरुआत होने वाली है. इस तकनीक का मुख्य उद्देश्य कृषिकों और युवाओं को नई तकनीक से अवगत कराना है, ताकि सीमित जगह एवं कम पानी में बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए मत्स्य उत्पादन किया जा सके.

etv bharat
6 माह में तैयार होंगी मछलियां.

कम पानी में भी हो सकेगा मत्स्य उत्पादन
इस तकनीक से नियंत्रित वातावरण से अधिक सघनता के साथ मत्स्य पालन कर कम पानी में मत्स्य उत्पादकता बढ़ाने में सहायक होगी. वहीं रोजगार के नए अवसर के साथ-साथ कृषकों की आमदनी को भी बढ़ाया जा सकेगा. इस योजना के तहत 50% के अनुदान पर सामान्य वर्ग के लाभुकों और 75% अनुदान पर अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति एवं अति पिछड़ा वर्ग के लिए स्वीकृति प्रदान की गई है.

6 माह में तैयार हो जाएगी मछली
सीतामढ़ी जिले में 7 बायोफ्लॉक यूनिट स्थापित करने की मंजूरी मिली है, जिसमें 605 टैंक वाले एवं एक यूनिट 10 टैंक वाले हैं. 5 टैंक वाले एक यूनिट की इकाई लागत 850000 एवं 10 टैंक वाले एक यूनिट की इकाई लागत 13 लाख रुपये 60000 निर्धारित है. इस विधि से कई प्रकार की प्रजाति की मछली का पालन किया जा सकता है, जैसे तिलापिया, पंगेशियस, कबैय, सिंधी, मांगूर और अन्य कैटफिश शामिल है. इस विधि से टैंक में 6 माह में मछली बाजार के लायक तैयार हो जाता है.

प्रति फसल से लगभग 400 किलोग्राम तैयार होगी मछली
बायोफ्लॉक तकनीक से प्रतिवर्ष दो बार उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. हर बार लगभग 400 किलोग्राम तक मत्यस्य उत्पादन किया जा सकता है. बायोफ्लॉक मत्स्य पालक बृजेश कुमार के द्वारा बनाया गया है, जिसका जायजा जिला मत्स्य पदाधिकारी द्वारा लिया गया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.