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सीतामढ़ी में माता सीता की 251 फीट ऊंची अष्टधातु की लगेगी प्रतिमा लगेगी, 400 करोड़ का होगा प्रोजेक्ट

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Published : Nov 24, 2022, 7:47 PM IST

सीतामढ़ी के रामपुर बखरी (Rampur Bakhri of Sitamarhi) में माता सीता की विश्व की सबसे बड़ी 251 फीट ऊंची अष्टधातु की प्रतिमा लगेगी. 400 करोड़ रुपये की लागत से प्रतिमा को स्थापित करने में आईआईटी पटना तकनीकी मदद देगा .इसके लिए सहमति बन गई है.

सीतामढ़ी
सीतामढ़ी

पटना : बिहार के सीतामढ़ी में रामायण रिसर्च काउंसिल (Ramayana Research Council) के तत्वावधान में माता सीता की जन्मभूमि बिहार के सीतामढ़ी जिले में उनकी 251 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित ( 251 feet statue of Mother Sita will be installed in Sitamarhi) की जाएगी. प्रतिमा को स्थापित करने में आईआईटी पटना तकनीकी मदद देगा. इसके लिए सहमति बन गई है. 400 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस प्रतिमा कि चारों तरफ 108 और प्रतिमाओं का भी निर्माण किया जाएगा. जिनमें माता सीता के जन्म से लेकर उनके विवाह होने तक के जीवन वृत्त का उल्लेख रहेगा. इस प्रतिमा को स्थापित करने के लिए 50 एकड़ जमीन सरकार से मांगी गई है.

ये भी पढ़ें : सीतामढ़ी में बनेगी माता सीता की 251 फीट ऊंची प्रतिमा, खर्च होंगे 400 करोड़ रुपए

मांगी गई थी मदद : आईआईटी के द्वारा मदद मांगे जाने के संदर्भ में रामायण रिसर्च काउंसिल के महासचिव कुमार सुशांत (Kumar Sushant General Secretary of Ramayana Research Council) ने बताया कि यह प्रतिमा बहुत ऊंची होगी और अष्टधातु की होगी तो इसके लिए कई तकनीकी पहलुओं पर ध्यान देना होगा. इसके लिए आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के तकनीकी सहयोग की जरूरत पड़ेगी. इस प्रतिमा को स्थापित करने के लिए प्रारंभिक तौर पर पहले फाउंडेशन में आईआईटी से मदद करने का आग्रह किया गया है. इसके बाद प्रतिमा के लोंगिट्यूड, उसे स्थापित करने की प्रक्रिया और अन्य तकनीकी पहलुओं में आईआईटी की मदद ली जाएगी.

108 और प्रतिमाओं का भी निर्माण : रामायण रिसर्च काउंसिल के महासचिव कुमार सुशांत ने बताया कि इस प्रतिमा कि चारों तरफ 108 और प्रतिमाओं का भी निर्माण किया जाएगा. जिनमें माता सीता के जन्म से लेकर उनके विवाह होने तक के जीवन वृत्त का उल्लेख रहेगा. आईआईटी पटना फाउंडेशन के वक्त से लेकर पूरा प्रोजेक्ट समाप्त होने तक अपना तकनीकी सहयोग देगा. आईआईटी पटना से उनका आग्रह है कि संस्थान के एक्सपर्ट और अन्य रिसर्च प्रतिमा स्थल का जल्द दौरा करें.

सरकार से 50 एकड़ जमीन की मांग की गई है : सीतामढ़ी में माता सीती की प्रतिमा की स्थापना को लेकर सरकार से शुरुआती दौर में करीब 50 एकड़ जमीन की मांग की गई थी. जिसका निदान संभवतः हो गया है. प्रतिमा की स्थापना के बाद उस स्थल पर और भी कार्य होने हैं. जिसके लिए और भूमि की आवश्यकता पड़ेगी. इसके लिए रामायण रिसर्च काउंसिल वक्त पड़ने पर सरकार से आग्रह भी करेगा.

निदेशक ने कहा, संस्थान देगा मदद : प्रोफेसर नीलाद्री दास ने बताया कि संस्थान आईआईटी पटना के निदेशक प्रोफेसर टीएन सिंह में कहा कि इस तरह की प्रतिमा की स्थापना पूरे देश के लिए गौरव की बात होगी. इसकी स्थापना में रामायण रिसर्च काउंसिल की तरफ से जो भी तकनीकी जरूरत मांगी जाएगी, उसे संस्थान पूरा करेगा. प्रतिमा की स्थापना के साथ ही बिहार की गौरवशाली विरासत को देश और दुनिया के लोग जान सकेंगे. पर्यटन और रोजगार के नए आयाम भी विकसित होंगे.

ये भी पढ़ें : बहन के ससुराल से लौट रहे युवक पर ताबड़तोड़ फायरिंग, लूट की नियत से किया हमला

रिसर्च काउंसिल की टीम ने किया था दौरा : आईआईटी पटना के पीआरओ प्रोफेसर नीलाद्री दास ने बताया कि रामायण रिसर्च काउंसिल की तरफ से एक टीम ने 20 नवंबर को आईआईटी पटना का दौरा भी किया था. इस टीम में जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी वीरेंद्रानंद जी महाराज, जगदाचार्य आश्रम के महंत स्वामी आराध्या सरस्वती जी महाराज, काउंसिल के अध्यक्ष चंद्रशेखर मिश्र, उपाध्यक्ष जय कांत सिंह, महासचिव कुमार सुशांत और सचिव पितांबर मिश्र के साथ कई अन्य सदस्य शामिल थे.

पटना : बिहार के सीतामढ़ी में रामायण रिसर्च काउंसिल (Ramayana Research Council) के तत्वावधान में माता सीता की जन्मभूमि बिहार के सीतामढ़ी जिले में उनकी 251 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित ( 251 feet statue of Mother Sita will be installed in Sitamarhi) की जाएगी. प्रतिमा को स्थापित करने में आईआईटी पटना तकनीकी मदद देगा. इसके लिए सहमति बन गई है. 400 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस प्रतिमा कि चारों तरफ 108 और प्रतिमाओं का भी निर्माण किया जाएगा. जिनमें माता सीता के जन्म से लेकर उनके विवाह होने तक के जीवन वृत्त का उल्लेख रहेगा. इस प्रतिमा को स्थापित करने के लिए 50 एकड़ जमीन सरकार से मांगी गई है.

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मांगी गई थी मदद : आईआईटी के द्वारा मदद मांगे जाने के संदर्भ में रामायण रिसर्च काउंसिल के महासचिव कुमार सुशांत (Kumar Sushant General Secretary of Ramayana Research Council) ने बताया कि यह प्रतिमा बहुत ऊंची होगी और अष्टधातु की होगी तो इसके लिए कई तकनीकी पहलुओं पर ध्यान देना होगा. इसके लिए आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के तकनीकी सहयोग की जरूरत पड़ेगी. इस प्रतिमा को स्थापित करने के लिए प्रारंभिक तौर पर पहले फाउंडेशन में आईआईटी से मदद करने का आग्रह किया गया है. इसके बाद प्रतिमा के लोंगिट्यूड, उसे स्थापित करने की प्रक्रिया और अन्य तकनीकी पहलुओं में आईआईटी की मदद ली जाएगी.

108 और प्रतिमाओं का भी निर्माण : रामायण रिसर्च काउंसिल के महासचिव कुमार सुशांत ने बताया कि इस प्रतिमा कि चारों तरफ 108 और प्रतिमाओं का भी निर्माण किया जाएगा. जिनमें माता सीता के जन्म से लेकर उनके विवाह होने तक के जीवन वृत्त का उल्लेख रहेगा. आईआईटी पटना फाउंडेशन के वक्त से लेकर पूरा प्रोजेक्ट समाप्त होने तक अपना तकनीकी सहयोग देगा. आईआईटी पटना से उनका आग्रह है कि संस्थान के एक्सपर्ट और अन्य रिसर्च प्रतिमा स्थल का जल्द दौरा करें.

सरकार से 50 एकड़ जमीन की मांग की गई है : सीतामढ़ी में माता सीती की प्रतिमा की स्थापना को लेकर सरकार से शुरुआती दौर में करीब 50 एकड़ जमीन की मांग की गई थी. जिसका निदान संभवतः हो गया है. प्रतिमा की स्थापना के बाद उस स्थल पर और भी कार्य होने हैं. जिसके लिए और भूमि की आवश्यकता पड़ेगी. इसके लिए रामायण रिसर्च काउंसिल वक्त पड़ने पर सरकार से आग्रह भी करेगा.

निदेशक ने कहा, संस्थान देगा मदद : प्रोफेसर नीलाद्री दास ने बताया कि संस्थान आईआईटी पटना के निदेशक प्रोफेसर टीएन सिंह में कहा कि इस तरह की प्रतिमा की स्थापना पूरे देश के लिए गौरव की बात होगी. इसकी स्थापना में रामायण रिसर्च काउंसिल की तरफ से जो भी तकनीकी जरूरत मांगी जाएगी, उसे संस्थान पूरा करेगा. प्रतिमा की स्थापना के साथ ही बिहार की गौरवशाली विरासत को देश और दुनिया के लोग जान सकेंगे. पर्यटन और रोजगार के नए आयाम भी विकसित होंगे.

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रिसर्च काउंसिल की टीम ने किया था दौरा : आईआईटी पटना के पीआरओ प्रोफेसर नीलाद्री दास ने बताया कि रामायण रिसर्च काउंसिल की तरफ से एक टीम ने 20 नवंबर को आईआईटी पटना का दौरा भी किया था. इस टीम में जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी वीरेंद्रानंद जी महाराज, जगदाचार्य आश्रम के महंत स्वामी आराध्या सरस्वती जी महाराज, काउंसिल के अध्यक्ष चंद्रशेखर मिश्र, उपाध्यक्ष जय कांत सिंह, महासचिव कुमार सुशांत और सचिव पितांबर मिश्र के साथ कई अन्य सदस्य शामिल थे.

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