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जीविका दीदीयों के साथ मिलकर प्रवासी श्रमिक बना रहे हैं मास्क, 3200 मजदूर रोजगार के लिए चयनित

डीएम के निर्देश पर सीतामढ़ी के बेलसंड, सुरसंड और बाजपट्टी प्रखंड में 10 ऐसे सेंटर बनाए गए हैं. जहां लुधियाना से आए कारीगरों की ओर से मास्क का निर्माण कराया जा रहा है.

मास्क बनाते प्रवासी श्रमिक
मास्क बनाते प्रवासी श्रमिक
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Published : May 26, 2020, 3:57 PM IST

Updated : Jun 19, 2020, 4:18 PM IST

सीतामढ़ी: जिले में लॉकडाउन के बीच जिला प्रशासन ने 3200 प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिलाने को लेकर चयनित किया है. श्रमिक मजदूर मास्क पर मिथिला पेंटिंग बनाकर मास्क को आकर्षक बना रहे हैं. इस प्रयास से अब तक 1100 से ज्यादा प्रवासी मजदूर और उनके परिवार के महिला सदस्यों को काम मिल गया है. इतना ही नहीं रोजगार के इस व्यवस्था से मधुबनी पेंटिंग जैसे लुप्त होती जा रही कला को भी जिंदा रखने की कोशिश रंग लाती दिखाई दे रही है.

sitamarhi
मास्क

प्रवासी मजदूरों को मिला रोजगार
लॉकडाउन की वजह से सारी दुकाने और कारखाने बंद कर दिए गए थे. जिससे लोगों के सामने रोजगार की समस्या उत्पन्न हो गई था. सीतामढ़ी में भी ट्रेनों के माध्यम से अब तक 17 हजार प्रवासी मजदूर वापस अपने घर आ चुके है ऐसी स्थिति में सीतामढ़ी प्रशासन ने प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए नई पहल की है. जिसके जरिए प्रवासी मजदूरों को काम मुहैया कराया जा रहा है. साथ ही उनके परिवार के महिला सदस्य जिनको मधुबनी पेंटिंग में महारत हासिल है. उनको भी अपनी कला को प्रदर्शित करने का एक नया मौका मिला है. जिले में स्किल डेवलमेंट के तहत सिलाई-कढ़ाई मे निपुण 32 00 प्रवासी मजदूरो को चिन्हित किया गया है. जिन्हे जिला प्रशासन प्रथम चरण में रोजगार देने के प्रयास में है.

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मास्क बनाते प्रवासी श्रमिक

हर दिन 300 से 400 की होती है आमदनी
डीएम के निर्देश पर सीतामढ़ी के बेलसंड, सुरसंड और बाजपट्टी प्रखंड में 10 ऐसे सेंटर बनाए गए हैं. जहां लुधियाना से आए कारीगरों की ओर से मास्क का निर्माण कराया जा रहा है. इतना ही नहीं प्रवासी मजदूर के महिला सदस्य उन मास्क पर मधुबनी पेंटिंग करके उनकी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ाने का काम कर रही हैं. इस काम में प्रवासी मजदूर और उनके परिवार के महिला सदस्यों की हर दिन 300 से 400 आमदनी हो जाया करती है. इतना ही नहीं इन प्रवासी मजदूरों से कार्य के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा जा रहा है. उन्हे सेनिटाइजर, नाश्ता समेत दूसरे संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. सभी प्रवासी मजदूर काम पाकर बेहद खुश नजर आ रहे है और फिर वापस न जाने की बात कह रहे हैं.

रोजगार दिलाने को लेकर गंभीर है जिला प्रशासन
जिला प्रशासन इन प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिलाने को लेकर बेहद गंभीर नजर आ रही है. इतना ही नहीं कोरोना संक्रमण काल के इस दहशत के दौड़ में पुरानी लुप्त होती कला जिंदा रहे इसके लिए भी प्रयास किया का रहा है. सीतामढ़ी प्रशासन आने वाले दिनों में 50 नए इस तरह के सेंटर को और शुरू करने की योजना पर काम कर रही हैं. इसमें पंचायतों की भी मदद ली जा रही है. आने वाले दिनों में उन 50 सेंटरों पर तकरीबन 1000 मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी. साथ ही वहां बनाए गए मास्क की बिक्री के लिए सरकारी कार्यालय में काम करने वाले कर्मियों को खरीदने के लिए भी निर्देश दिया जाएगा. इतना ही नहीं शहर के बड़े बड़े रेडीमेड के दुकानों से भी इन मास्क को बेचने की व्यवस्था की जाएगी.

सीतामढ़ी: जिले में लॉकडाउन के बीच जिला प्रशासन ने 3200 प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिलाने को लेकर चयनित किया है. श्रमिक मजदूर मास्क पर मिथिला पेंटिंग बनाकर मास्क को आकर्षक बना रहे हैं. इस प्रयास से अब तक 1100 से ज्यादा प्रवासी मजदूर और उनके परिवार के महिला सदस्यों को काम मिल गया है. इतना ही नहीं रोजगार के इस व्यवस्था से मधुबनी पेंटिंग जैसे लुप्त होती जा रही कला को भी जिंदा रखने की कोशिश रंग लाती दिखाई दे रही है.

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प्रवासी मजदूरों को मिला रोजगार
लॉकडाउन की वजह से सारी दुकाने और कारखाने बंद कर दिए गए थे. जिससे लोगों के सामने रोजगार की समस्या उत्पन्न हो गई था. सीतामढ़ी में भी ट्रेनों के माध्यम से अब तक 17 हजार प्रवासी मजदूर वापस अपने घर आ चुके है ऐसी स्थिति में सीतामढ़ी प्रशासन ने प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए नई पहल की है. जिसके जरिए प्रवासी मजदूरों को काम मुहैया कराया जा रहा है. साथ ही उनके परिवार के महिला सदस्य जिनको मधुबनी पेंटिंग में महारत हासिल है. उनको भी अपनी कला को प्रदर्शित करने का एक नया मौका मिला है. जिले में स्किल डेवलमेंट के तहत सिलाई-कढ़ाई मे निपुण 32 00 प्रवासी मजदूरो को चिन्हित किया गया है. जिन्हे जिला प्रशासन प्रथम चरण में रोजगार देने के प्रयास में है.

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मास्क बनाते प्रवासी श्रमिक

हर दिन 300 से 400 की होती है आमदनी
डीएम के निर्देश पर सीतामढ़ी के बेलसंड, सुरसंड और बाजपट्टी प्रखंड में 10 ऐसे सेंटर बनाए गए हैं. जहां लुधियाना से आए कारीगरों की ओर से मास्क का निर्माण कराया जा रहा है. इतना ही नहीं प्रवासी मजदूर के महिला सदस्य उन मास्क पर मधुबनी पेंटिंग करके उनकी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ाने का काम कर रही हैं. इस काम में प्रवासी मजदूर और उनके परिवार के महिला सदस्यों की हर दिन 300 से 400 आमदनी हो जाया करती है. इतना ही नहीं इन प्रवासी मजदूरों से कार्य के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा जा रहा है. उन्हे सेनिटाइजर, नाश्ता समेत दूसरे संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. सभी प्रवासी मजदूर काम पाकर बेहद खुश नजर आ रहे है और फिर वापस न जाने की बात कह रहे हैं.

रोजगार दिलाने को लेकर गंभीर है जिला प्रशासन
जिला प्रशासन इन प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिलाने को लेकर बेहद गंभीर नजर आ रही है. इतना ही नहीं कोरोना संक्रमण काल के इस दहशत के दौड़ में पुरानी लुप्त होती कला जिंदा रहे इसके लिए भी प्रयास किया का रहा है. सीतामढ़ी प्रशासन आने वाले दिनों में 50 नए इस तरह के सेंटर को और शुरू करने की योजना पर काम कर रही हैं. इसमें पंचायतों की भी मदद ली जा रही है. आने वाले दिनों में उन 50 सेंटरों पर तकरीबन 1000 मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी. साथ ही वहां बनाए गए मास्क की बिक्री के लिए सरकारी कार्यालय में काम करने वाले कर्मियों को खरीदने के लिए भी निर्देश दिया जाएगा. इतना ही नहीं शहर के बड़े बड़े रेडीमेड के दुकानों से भी इन मास्क को बेचने की व्यवस्था की जाएगी.

Last Updated : Jun 19, 2020, 4:18 PM IST
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