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रीगा चीनी मिल के कचरे से काले पानी में तब्दील हुई ये नदी, परेशान हैं लोग

50 किलोमीटर से अधिक लंबी मनुषमारा नदी आज लोगों के लिए शोभा की वस्तु बनकर रह गई है. इससे सबसे ज्याद परेशानी किसानों को हो रही है.

दूषित नदी
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Published : Jun 12, 2019, 11:24 AM IST

सीतामढ़ीः रीगा शुगर मिल के डिस्टलरी से निकले गंदे पानी और कचरे से मनुषमारा नदी का जल काला पानी में तब्दील हो चुका है. इस मिल से निकले कचरे को नदी में छोड़ा जाता है. जिससे नदी का जल दूषित होता जा रहा है. सिंचाई और निजी उपयोग के लिए पानी का उपयोग नहीं किया जा सकता है. इससे लाखों किसानों की जिंदगी तबाह हो रही है.

रात के समय छोड़ा जाता है पानी
जिला के रीगा स्थित रीगा शुगर मिल लिमिटेड का डिस्टलरी प्लांट का कचरा लाखों लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. मिल प्रबंधन की मनमानी और सरकार की उदासीनता के कारण दर्जनों गांव के लाखों की आबादी 'काला पानी' की सजा भुगतने को मजबूर है. मनुषमारा नदी के किनारे बसे दर्जनों गांव के लोगों का कहना है कि रीगा मिल प्रबंधन वर्षों पूर्व शुगर मिल की धुलाई कर गंदे पानी को नदी की धारा में पहुंचा देता था. अब कुछ वर्षों से मिल प्रबंधन डिस्टलरी का गंदा पानी चोरी छिपे रात के समय अपने निजी नाले के जरिए नदी में प्रवाहित कर देता है.

river
नदी में फैला जलकुंभी का जाल

दूषित नदी से कई गांव प्रभावित
इसका नतीजा है कि 50 किलोमीटर से अधिक लंबी यह नदी आज लोगों के लिए शोभा की वस्तु बनकर रह गई है. रीगा से लेकर रूनीसैदपुर के आगे तक बहने वाली मनुषमारा नदी के किनारे बसे रीगा, कुसुमारी, परशुरामपुर, उफरोलिया, रामपुर, बराही, खरसान, मीनापुर बलहा, बसतपुर, पकरी, परसौनी, धुरवार, कन्हौली, कोर्रा, रमणी, भोरहा, पताही, मुसहरी, जाफरपुर, बसौल, रुपौली, सॉली और सिरसिया गांव इस काले पानी के कारण परेशान हैं.

mill
रीगा शुगर मिल

पानी के इस्तेमाल से होती है बीमारी
इस दूषित जल को ना तो सिंचाई में उपयोग किया जा सकता है ना ही निजी उपयोग. इसके साथ ही इस पानी के कारण नदी में रहने वाले जलीय जीव भी असमय मर जाते हैं. इस जल को अगर कोई उपयोग में लाता भी है तो उसे कई प्रकार की बीमारियां हो जाती है. इस नदी की धारा के बीच जलकुंभी जैसा जलीय जंगल फैल चुका है. यहां फैले मच्छरों ने नदी किनारे गांवों में रहने वाले लोगों का जीना मुहाल कर दिया है.

दुषित जल की जानकारी देते किसान और अधिकारी

जल्द दूर की जाएगी समस्या
इस सिलसिले में डीएम रंजीत कुमार ने बताया कि इस समस्या को दूर करने के लिए बहुत जल्द ही शुगर मिल प्रबंधक से बात कर इसका निदान करेंगे. नदी में स्वच्छ जल प्रवाहित हो इस दिशा में काम किया जायेगा. मिल प्रबंधन की ओर से भी इस समस्या के समाधान का अश्वासन दिया गया है.

सीतामढ़ीः रीगा शुगर मिल के डिस्टलरी से निकले गंदे पानी और कचरे से मनुषमारा नदी का जल काला पानी में तब्दील हो चुका है. इस मिल से निकले कचरे को नदी में छोड़ा जाता है. जिससे नदी का जल दूषित होता जा रहा है. सिंचाई और निजी उपयोग के लिए पानी का उपयोग नहीं किया जा सकता है. इससे लाखों किसानों की जिंदगी तबाह हो रही है.

रात के समय छोड़ा जाता है पानी
जिला के रीगा स्थित रीगा शुगर मिल लिमिटेड का डिस्टलरी प्लांट का कचरा लाखों लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. मिल प्रबंधन की मनमानी और सरकार की उदासीनता के कारण दर्जनों गांव के लाखों की आबादी 'काला पानी' की सजा भुगतने को मजबूर है. मनुषमारा नदी के किनारे बसे दर्जनों गांव के लोगों का कहना है कि रीगा मिल प्रबंधन वर्षों पूर्व शुगर मिल की धुलाई कर गंदे पानी को नदी की धारा में पहुंचा देता था. अब कुछ वर्षों से मिल प्रबंधन डिस्टलरी का गंदा पानी चोरी छिपे रात के समय अपने निजी नाले के जरिए नदी में प्रवाहित कर देता है.

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नदी में फैला जलकुंभी का जाल

दूषित नदी से कई गांव प्रभावित
इसका नतीजा है कि 50 किलोमीटर से अधिक लंबी यह नदी आज लोगों के लिए शोभा की वस्तु बनकर रह गई है. रीगा से लेकर रूनीसैदपुर के आगे तक बहने वाली मनुषमारा नदी के किनारे बसे रीगा, कुसुमारी, परशुरामपुर, उफरोलिया, रामपुर, बराही, खरसान, मीनापुर बलहा, बसतपुर, पकरी, परसौनी, धुरवार, कन्हौली, कोर्रा, रमणी, भोरहा, पताही, मुसहरी, जाफरपुर, बसौल, रुपौली, सॉली और सिरसिया गांव इस काले पानी के कारण परेशान हैं.

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रीगा शुगर मिल

पानी के इस्तेमाल से होती है बीमारी
इस दूषित जल को ना तो सिंचाई में उपयोग किया जा सकता है ना ही निजी उपयोग. इसके साथ ही इस पानी के कारण नदी में रहने वाले जलीय जीव भी असमय मर जाते हैं. इस जल को अगर कोई उपयोग में लाता भी है तो उसे कई प्रकार की बीमारियां हो जाती है. इस नदी की धारा के बीच जलकुंभी जैसा जलीय जंगल फैल चुका है. यहां फैले मच्छरों ने नदी किनारे गांवों में रहने वाले लोगों का जीना मुहाल कर दिया है.

दुषित जल की जानकारी देते किसान और अधिकारी

जल्द दूर की जाएगी समस्या
इस सिलसिले में डीएम रंजीत कुमार ने बताया कि इस समस्या को दूर करने के लिए बहुत जल्द ही शुगर मिल प्रबंधक से बात कर इसका निदान करेंगे. नदी में स्वच्छ जल प्रवाहित हो इस दिशा में काम किया जायेगा. मिल प्रबंधन की ओर से भी इस समस्या के समाधान का अश्वासन दिया गया है.

Intro:रीगा मील के डिस्टलरी का गंदा पानी मनुषमारा नदी में छोड़ने से नदी का जल हुआ दूषित। सिंचाई व निजी उपयोग के लिए पानी का नहीं हो रहा उपयोग। लाखों किसानों की जिंदगी हो रही तबाह।


Body:जिला के रीगा स्थित रीगा शुगर मील लिमिटेड का डिस्टलरी प्लांट का कचरा लाखों लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। मील प्रबंधन की मनमानी और सरकार की उदासीनता के कारण दर्जनों गांव के लाखों की आबादी काला पानी की सजा भुगतने को मजबूर है। मानुसमारा नदी के किनारे बसा दर्जनों गांव के निवासियों का बताना है कि रीगा मील प्रबंधन वर्षो पूर्व शुगर मील की धुलाई कर गंदे पानी को नदी की धारा में पहुंचा देता था। जिसे बंद कर अब कुछ वर्षों से मिल प्रबंधन डिस्टलरी का गंदा पानी चोरी छुपे रात के समय अपने निजी नाले के द्वारा नदी में प्रवाहित कर देता हैं। इसका नतीजा है कि 50 किलोमीटर से अधिक लंबी यह नदी आज लोगों के लिए शोभा की वस्तु बनकर परेशानी का सबब बन गई है। काला पानी से कई प्रकार की क्षति। रीगा से लेकर रूनीसैदपुर के आगे तक बहने वाली मनुषमारा नदी के किनारे बसे गांवो में रीगा, कुसुमारी, परशुरामपुर, उफरोलिया, रामपुर, बराही, खरसान, मीनापुर बलहा, बसतपुर, पकरी, परसौनी, धुरवार, कन्हौली, कोर्रा, रमणी, भोरहा, पताही, मुसहरी, जाफरपुर, बसौल, रुपौली, सॉली और सिरसिया आदि गांव के लोगों ने बताया कि इस काले पानी के कारण कई प्रकार की क्षति पहुंच रही है। इस दूषित जल को ना तो सिंचाई में उपयोग किया जा सकता है ना ही निजी उपयोग में। इसके साथ ही इस पानी के कारण नदी में रहने वाला जलीय जीव भी असमय मर जाता है। और इस जल को अगर कोई भूल बस उपयोग में लाता भी है। तो उसे कई प्रकार की बीमारियां हो जाती है। इसके अलावे ग्रामीणों द्वारा नदी की धारा को बसौल गांव के नजदीक बांधकर अवरुद्ध कर दिया गया है। इसका नतीजा है कि बाढ़ के समय भी नदी की धारा अवरुद्ध रहती है। इसलिए नदी की धारा के बीच जलकुंभी जैसे जलीय जंगल फैल चुका है। और इस जल के जंगल में मच्छरों का बास है। और यह मच्छर नदी किनारे के गांवों में रहने वाले लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। उसके काटने से लोग बीमार हो रहे है। 15 वर्ष पूर्व तक नदी की ऐसी हालत नहीं थी। सुखार होने के बावजूद इस नदी के जल का उपयोग नहीं कर पाना हम लोगों के लिए अभिशाप बना हुआ है। डीएम ने दिलाया भरोसा। डीएम रंजीत कुमार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बताया कि हम इस समस्या को दूर करने के लिए बहुत जल्द ही शुगर मिल प्रबंधक से बात कर इसका निदान करेंगे। नदी में स्वच्छ जल प्रवाहित हो इस दिशा में काम तेजी से किया जायेगा। मील प्रबंधन की ओर से भी दिया गया अश्वासन। रीगा शुगर मील हाल के दिनों में कई समस्याओं से जूझ रहा है। इस की खराब हालत को देखते हुए मील के संचालक के आदेश पर ऊपर के कई वरीय अधिकारियों को हटाया गया है। इसको लेकर मील अभी अव्यवस्थित है। 2 रोज पूर्व जीएम के पद पर पदभार ग्रहण करने वाले शशि गुप्ता ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है। इसकी जांच कराकर जल्द ही डिस्टलरी के दूषित पानी को नदी में जाने से रोका जाएगा। और इसके लिए एक प्रबंधन कमेटी भी बनाई जाएगी। बाइट-1. डॉ रंजीत कुमार सिंह।डीएम सीतामढ़ी। बाइट-2. पीके सिंह, सुरेश ठाकुर, परीक्षण पासवान, बिगन साहनी व अन्य जिले के किसान। बाइट-3. p2c राहुल देव सोलंकी। विजुअल--------------


Conclusion:पी टू सी। राहुल देव सोलंकी। सीतामढ़ी।
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