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लॉकडाउन ने बढ़ाई फूल किसानों की परेशानी, सरकार से लगाई मदद की गुहार

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Published : May 12, 2020, 3:33 PM IST

किसानों का कहना है कि शादी-विवाह के समय बाजार में फूलों की काफी मांग रहती थी. लेकिन बंदी के कारण सब कारोबार ठप है. किसानों का कहना है कि बैंक से लोन लेकर खेती की थी. लेकिन लॉकडाउन ने सभी अरमानों पर पानी फेर दिया है.

फूल की खेती
फूल की खेती

सीतामढ़ी: कोरोना वैश्विक महामारी को लेकर केंद्र सरकार ने पूरे देश को लॉकडाउन लागू किया है. इस वजह से लगभग सभी काम धंधे ठप हैं. ऐसे हालत में जिले के किसानों की माली हालत बेहद खराब हो चुकी है. एक तरफ प्राकृतिक आपदा के कारण किसानों के गेहूं के फसल आम और लीची की फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है. वहीं लॉकडाउन के कारण किसानों के फूल भी नहीं बिक रहे हैं.

'सरकार से मदद की आस'
फूल के किसानों का कहना है कि जो फूल मंदिरों में भगवान को अर्पित किए जाते थे शादी और दूसरे कार्यक्रमों में चार चांद लगाते थे. वही फूल अपनी खुशबू फैलाने में भी असमर्थ है. लॉकडाउन में मंदिर बंद है. मंदिरों में पूजा-पाठ के लिए सबसे ज्यादा फूलों का इस्तेमाल होते थे. इस महीने में शादी जैसे मांगलिक कार्यक्रमों का भी मौसम रहता था. लेकिन बंदी के कारण सब ठप पड़ा हुआ है. किसानों ने सरकार से इस संकट की घड़ी में मदद करने की गुहार लगाई.

फूल की खेती
फूल की खेती

'खेतों में ही मुरझा रहे हैं फूल'
जिले में बड़े पैमाने पर फूलों की खेती की जाती है. क्षेत्रों में खिले रंग-बिरंगे फूल और धीरे-धीरे मुरझा रहे हैं.फूलों के साथ ही किसानों के चेहरे भी मुरझा रहे हैं. जिन्होंने आमदनी की उम्मीद से इसकी खेती की थी. लॉकडाउन ने किसानों की खुशियां को लॉक कर दिया है. कोरोना वायरस के संक्रमण ने फूलों की व्यवसायिक खेती को बुरी तरह से प्रभावित किया है. सब कुछ ठप हो जाने के कारण फूल के किसानों और कारोबारियों की कमर टूट गई है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

फूलों को तोड़कर खेत से दूर फेंकने को मजबूर किसान
किसानों का कहना है कि बाजार में फूलों की डिमांड बिल्कुल नहीं है. जो थोड़ी बहुत बिक्री हो रही है. उसकी कीमत काफी कम मिल रही हैं. जिस वजह से फूलों को तोड़ने की लागत भी नहीं निकल पा रही है. ऐसे हालत में किसान खेतों में लगे फूलों को अपने हाथों खुद ही तोड़कर फेंक रहे हैं. पूरे जिले में फूलों की खेती करने वाले किसानों का यही दर्द है. बिक्री नहीं होने से मायूस है.

शादी-विवाह के समय बाजार में रहती थी भारी मांग
किसानों का कहना है कि शादी-विवाह के समय बाजर में फूलों की काफी मांग रहती थी. लेकिन बंदी के कारण सब कारोबार ठप है. किसानों का कहना है कि बैंक से लोन लेकर खेती की थी. फसल काफी बंपर थी. लॉकडाउन ने सभी आरमानों पर पानी फेर दिया है.

'मंदिरों में होती थी फूलों की मांग'
बता दें कि जगत जननी मां सीता की जन्म भूमि होने के कारण विश्व में विख्यात सीतामढ़ी जिले में लगातार पर्यटकों का आना जाना लगा रहता था. जिससे फूलों की बिक्री अधिक होती थी. लॉकडाउन के बाद से पर्यटकों का आना-जाना बंद है. मंदिरों के कपाट बंद है. जिस वजह से फूलों की बिक्री नहीं हो रही है. किसानों का कहना है कि मई के महीने में 2 से 3 हजार रुपये की रोज बिक्री होती थी. वर्तमान समय में 100 रुपये के फूल भी नहीं बिक पा रहे हैं.

सीतामढ़ी: कोरोना वैश्विक महामारी को लेकर केंद्र सरकार ने पूरे देश को लॉकडाउन लागू किया है. इस वजह से लगभग सभी काम धंधे ठप हैं. ऐसे हालत में जिले के किसानों की माली हालत बेहद खराब हो चुकी है. एक तरफ प्राकृतिक आपदा के कारण किसानों के गेहूं के फसल आम और लीची की फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है. वहीं लॉकडाउन के कारण किसानों के फूल भी नहीं बिक रहे हैं.

'सरकार से मदद की आस'
फूल के किसानों का कहना है कि जो फूल मंदिरों में भगवान को अर्पित किए जाते थे शादी और दूसरे कार्यक्रमों में चार चांद लगाते थे. वही फूल अपनी खुशबू फैलाने में भी असमर्थ है. लॉकडाउन में मंदिर बंद है. मंदिरों में पूजा-पाठ के लिए सबसे ज्यादा फूलों का इस्तेमाल होते थे. इस महीने में शादी जैसे मांगलिक कार्यक्रमों का भी मौसम रहता था. लेकिन बंदी के कारण सब ठप पड़ा हुआ है. किसानों ने सरकार से इस संकट की घड़ी में मदद करने की गुहार लगाई.

फूल की खेती
फूल की खेती

'खेतों में ही मुरझा रहे हैं फूल'
जिले में बड़े पैमाने पर फूलों की खेती की जाती है. क्षेत्रों में खिले रंग-बिरंगे फूल और धीरे-धीरे मुरझा रहे हैं.फूलों के साथ ही किसानों के चेहरे भी मुरझा रहे हैं. जिन्होंने आमदनी की उम्मीद से इसकी खेती की थी. लॉकडाउन ने किसानों की खुशियां को लॉक कर दिया है. कोरोना वायरस के संक्रमण ने फूलों की व्यवसायिक खेती को बुरी तरह से प्रभावित किया है. सब कुछ ठप हो जाने के कारण फूल के किसानों और कारोबारियों की कमर टूट गई है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

फूलों को तोड़कर खेत से दूर फेंकने को मजबूर किसान
किसानों का कहना है कि बाजार में फूलों की डिमांड बिल्कुल नहीं है. जो थोड़ी बहुत बिक्री हो रही है. उसकी कीमत काफी कम मिल रही हैं. जिस वजह से फूलों को तोड़ने की लागत भी नहीं निकल पा रही है. ऐसे हालत में किसान खेतों में लगे फूलों को अपने हाथों खुद ही तोड़कर फेंक रहे हैं. पूरे जिले में फूलों की खेती करने वाले किसानों का यही दर्द है. बिक्री नहीं होने से मायूस है.

शादी-विवाह के समय बाजार में रहती थी भारी मांग
किसानों का कहना है कि शादी-विवाह के समय बाजर में फूलों की काफी मांग रहती थी. लेकिन बंदी के कारण सब कारोबार ठप है. किसानों का कहना है कि बैंक से लोन लेकर खेती की थी. फसल काफी बंपर थी. लॉकडाउन ने सभी आरमानों पर पानी फेर दिया है.

'मंदिरों में होती थी फूलों की मांग'
बता दें कि जगत जननी मां सीता की जन्म भूमि होने के कारण विश्व में विख्यात सीतामढ़ी जिले में लगातार पर्यटकों का आना जाना लगा रहता था. जिससे फूलों की बिक्री अधिक होती थी. लॉकडाउन के बाद से पर्यटकों का आना-जाना बंद है. मंदिरों के कपाट बंद है. जिस वजह से फूलों की बिक्री नहीं हो रही है. किसानों का कहना है कि मई के महीने में 2 से 3 हजार रुपये की रोज बिक्री होती थी. वर्तमान समय में 100 रुपये के फूल भी नहीं बिक पा रहे हैं.

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