सीतामढ़ी: जिले के मारर गांव में जमीन के मुआवजे की मांग को लेकर 9 सितंबर से जारी आमरण अनशन को स्थानीय पदाधिकारियों के आश्वासन के बाद समाप्त कर दिया गया. मारर गांव के किसान 8 सालों से जमीन के मुआवजे को लेकर कार्यालय का चक्कर काट रहे थे. इस गांव के करीब 45 किसानों की जमीन पुल का संपर्क पथ बनाने के लिए वर्ष 2012 में ली गई थी, लेकिन आज तक इन किसानों को मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया था. इसको लेकर किसान आमरण अनशन पर बैठे हुए थे.
5 दिनों से जारी किसानों के आमरण अनशन को समाप्त कराने के लिए डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा के आदेश पर प्रखंड विकास पदाधिकारी कुणाल कुमार सहित कई अधिकारी मारर गांव के दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति भवन पहुंचे. वहां आमरण अनशन पर बैठे किसानों को ये आश्वासन दिया गया कि जल्द से जल्द किसानों की समस्या पर कार्रवाई की जाएगी, जिसके बाद बहुत जल्द बकाए मुआवजे की राशि का भुगतान किया जाएगा. इसके बाद अनशन पर बैठे किसानों ने अनशन समाप्त करने के लिए तैयार हुए. इसके बाद अधिकारियों ने जूस पिलाकर अनशन को समाप्त करवाया.
किसानों को नहीं मिला मुआवजा
बता दें कि बागमती नदी के ऊपर पुल बनाने के लिए वर्ष 2012 में काम प्रारंभ किया गया था. ये पुल साल 2017 में बनकर तैयार हो गया. पुल का संपर्क पथ बनाने के लिए मारर गांव के 45 किसानों की करीब 6 एकड़ भूमि और शिवहर जिले के तरियानी छपरा गांव के किसानों की करीब 8 एकड़ भूमि अधिग्रहण किया गया था. लेकिन 8 साल बीत जाने के बावजूद दोनों जिले के किसानों की भूमि के मुआवजे का भुगतान नहीं हो पाया है. मुआवजे की राशि के लिए मारर गांव के किसानों ने आमरण अनशन शुरू किया था.