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नदियों के जलस्तर में आई कमी से किसानों को राहत, खेतों में दोबारा फसल लगाने की तैयारी

खेतों से पानी निकलना शुरू हो गया है. जिससे किसानों को थोड़ी राहत मिली है. किसान भीम सिंह ने बताया कि जिन खेतों से पानी निकल गया है वहां फिर से धान की रोपनी शुरू कर दी गई है.

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Published : Jul 18, 2020, 7:54 PM IST

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सीतामढ़ीः जिले में 10 जुलाई को आई भीषण बाढ़ के कारण नेपाल की तराई से निकलने वाली बागमती नदी लाल निशान से ऊपर बह रही थी. किसानों के खेत में बाढ़ का पानी घुस गया था. जिससे उनकी फसलें डूबकर बर्बाद हो गई थी. लेकिन 13 जुलाई के बाद से नदी के जलस्तर में लगातार कमी दर्ज की जा रही है. जिससे किसान थोड़ी राहत महसूस कर रहे हैं.

2 मीटर 21 सेंटीमीटर कम हुआ पानी
बागमती नदी जिले के ढेंग, सोनाखान, डूबा घाट, मारर घाट, चंदौली घाट और कटौझा घाट के पास लाल निशान से ऊपर बह रही थी. बाढ़ के पानी की वजह से धान, गन्ना और सब्जी की फसलों को काफी नुकसान हुआ था. बागमती अवर प्रमंडल के एसडीओ आफताब आलम ने बताया कि 12 जुलाई तक बागमती नदी का जलस्तर 59.52 सेंटीमीटर दर्ज किया गया था. लेकिन 13 जुलाई से नदी का जलस्तर लगातार घट रहा है. जिससे पानी का जलस्तर 2 मीटर 21 सेंटीमीटर कम हो गया है. जो जिलेवासियों के लिए राहत भरी खबर है.

देखें रिपोर्ट

धान की रोपनी शुरू
बागमती और मनुष्यमरा नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि के कारण किसानों के खेत में लगी सभी तरह की फसल बर्बाद हो गई थी. अब दोनों नदियों के जलस्तर में कमी दर्ज की जा रही है और खेतों से पानी निकलना शुरू हो गया है. जिससे किसानों को थोड़ी राहत मिली है. किसान भीम सिंह ने बताया कि जिन खेतों से पानी निकल गया है वहां फिर से धान की रोपनी शुरू कर दी गई है.

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रोपनी करते किसान

किसानों को सता रही चिंता
किसान भीम सिंह ने बताया कि अगर इसी तरह जलस्तर में कमी जारी रहा तो अधिकांश किसान दुबारा धान की रोपनी करेंगे. साथ ही किसानों को यह चिंता भी सता रही है कि दोबारा बाढ़ आने पर उनकी मेहनत पर पानी फिर जाएगा.

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खेतों में लगी फसल

प्राकृतिक आपदा के सामने विवश किसान
किसान महादेव ठाकुर ने बताया कि हम किसान इस प्राकृतिक आपदा से हार नहीं मानते बार-बार फसल क्षति होने के बावजूद हम कर्ज लेकर मौसम के अनुसार सिंचाई में जुटे रहते हैं. लेकिन कभी-कभी प्राकृतिक आपदा के सामने हम लाचार और विवश हो जाते हैं. सभी जमा पूंजी लगा देने के बाद तीसरी और चौथी बार खेतों में फसल लगाने के लिए हमारे पास पैसे नहीं होते हैं.

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नदियों के जलस्तर में कमी

बर्बाद हो जाएगी फसल
महादेव ठाकुर ने बताया कि पैसों की बर्बादी के साथ हम किसानों को अनाज भी नसीब नहीं हो पाता है. जिससे परिवार का भरण-पोषण करना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में दोबारा बाढ़ आने पर किसानों की फसल बर्बाद हो जाएगी. साथ ही उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ेगा.

सीतामढ़ीः जिले में 10 जुलाई को आई भीषण बाढ़ के कारण नेपाल की तराई से निकलने वाली बागमती नदी लाल निशान से ऊपर बह रही थी. किसानों के खेत में बाढ़ का पानी घुस गया था. जिससे उनकी फसलें डूबकर बर्बाद हो गई थी. लेकिन 13 जुलाई के बाद से नदी के जलस्तर में लगातार कमी दर्ज की जा रही है. जिससे किसान थोड़ी राहत महसूस कर रहे हैं.

2 मीटर 21 सेंटीमीटर कम हुआ पानी
बागमती नदी जिले के ढेंग, सोनाखान, डूबा घाट, मारर घाट, चंदौली घाट और कटौझा घाट के पास लाल निशान से ऊपर बह रही थी. बाढ़ के पानी की वजह से धान, गन्ना और सब्जी की फसलों को काफी नुकसान हुआ था. बागमती अवर प्रमंडल के एसडीओ आफताब आलम ने बताया कि 12 जुलाई तक बागमती नदी का जलस्तर 59.52 सेंटीमीटर दर्ज किया गया था. लेकिन 13 जुलाई से नदी का जलस्तर लगातार घट रहा है. जिससे पानी का जलस्तर 2 मीटर 21 सेंटीमीटर कम हो गया है. जो जिलेवासियों के लिए राहत भरी खबर है.

देखें रिपोर्ट

धान की रोपनी शुरू
बागमती और मनुष्यमरा नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि के कारण किसानों के खेत में लगी सभी तरह की फसल बर्बाद हो गई थी. अब दोनों नदियों के जलस्तर में कमी दर्ज की जा रही है और खेतों से पानी निकलना शुरू हो गया है. जिससे किसानों को थोड़ी राहत मिली है. किसान भीम सिंह ने बताया कि जिन खेतों से पानी निकल गया है वहां फिर से धान की रोपनी शुरू कर दी गई है.

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रोपनी करते किसान

किसानों को सता रही चिंता
किसान भीम सिंह ने बताया कि अगर इसी तरह जलस्तर में कमी जारी रहा तो अधिकांश किसान दुबारा धान की रोपनी करेंगे. साथ ही किसानों को यह चिंता भी सता रही है कि दोबारा बाढ़ आने पर उनकी मेहनत पर पानी फिर जाएगा.

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खेतों में लगी फसल

प्राकृतिक आपदा के सामने विवश किसान
किसान महादेव ठाकुर ने बताया कि हम किसान इस प्राकृतिक आपदा से हार नहीं मानते बार-बार फसल क्षति होने के बावजूद हम कर्ज लेकर मौसम के अनुसार सिंचाई में जुटे रहते हैं. लेकिन कभी-कभी प्राकृतिक आपदा के सामने हम लाचार और विवश हो जाते हैं. सभी जमा पूंजी लगा देने के बाद तीसरी और चौथी बार खेतों में फसल लगाने के लिए हमारे पास पैसे नहीं होते हैं.

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नदियों के जलस्तर में कमी

बर्बाद हो जाएगी फसल
महादेव ठाकुर ने बताया कि पैसों की बर्बादी के साथ हम किसानों को अनाज भी नसीब नहीं हो पाता है. जिससे परिवार का भरण-पोषण करना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में दोबारा बाढ़ आने पर किसानों की फसल बर्बाद हो जाएगी. साथ ही उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ेगा.

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