सीतामढ़ीः कई दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण जिले की सभी नदियों के जलस्तर में लगातार वृद्धि जारी है. जिलावासियों को तीसरी बार भीषण बाढ़ का प्रकोप झेलना पड़ रहा है. बाढ़ के पानी ने किसानों की फसल को बर्बाद कर दिया है. लेकिन बाढ़ पीड़ितों को अबतक सरकार से मुआवजा भी नहीं मिला है.
जिले में आई बाढ़ के कारण धान, गन्ना और अन्य फसलें डूब कर पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं. बाढ़ का पानी जिले के ज्यादातर प्रखंड में फैला है. इसलिए इंसान के साथ साथ चारा के अभाव में मवेशियों का भी बुरा हाल है.
'कर्ज लेकर लगाई धान की फसल'
किसानों का कहना है कि कर्ज उधार लेकर तीसरी बार धान की फसल लगाई थी और उस धान की फसल में बाली लग चुकी थी, कुछ ही दिनों बाद फसल तैयार होने वाली थी. लेकिन तीसरी बार आई भीषण बाढ़ में यह धान की फसल भी डूब गई. अब हमारे सामने भुखमरी की नौबत आ गई है. पीड़ित किसानों का कहना है कि अब उनके सामने आत्महत्या के अलावा कोई चारा नहीं बचा है.
'नहीं मिली मुआवजे की राशि'
पीड़ित किसानों का आरोप है कि जिले में पहली और दूसरी बार जब बाढ़ आई तो सरकार ने 6000 रुपये प्रति किसान बाढ़ राहत राशि देने की घोषणा की. लेकिन वह राशि भी अब तक नसीब नहीं हुई है. लिहाजा ऐसे हालात में किसानों के सामने परिवार का भरण पोषण करना बेहद मुश्किल हो चुका है.
'जिले में तीसरी बार बाढ़ का प्रकोप'
बागमती अवर प्रमंडल के अभियंता ललन यादव और गेज रीडर मोहम्मद रिजवान आलम ने बताया कि भारी बारिश के कारण सभी नदियों के जल स्तर में बेतहाशा वृद्धि दर्ज की जा रही है. जिले में तीसरी बार बाढ़ का प्रकोप जिलावासियों को झेलना पड़ रहा है. होमगार्ड के जवान और बागमती अवर प्रमंडल के कर्मचारी लगातार तटबंध की निगरानी करने में जुटे हुए हैं.
जिले की सभी नदियां उफान पर
बता दें कि जिले से गुजरने वाली बागमती, अधवारा समूह, झीम नदी, लालबकेया और मनुष्यमारा नदी समेत अन्य नदियों के जलस्तर में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है. नेपाल की तराई से निकलने वाली बागमती नदी लाल निशान से 44 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. अगर बारिश होती रही तो जल स्तर में वृद्धि भी जारी रहेगा. बारिश बंद होने के बाद ही नदियों के जलस्तर में कमी आ सकती है.