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सीतामढ़ी में बकरा पालन से युवा किसान संजय सिंह लिख रहे तकदीर की इबारत - बकरी पालन

तरियानी छपरा गांव निवासी किसान संजय सिंह एक बकरा से साल के कई हजार रुपये आमदनी प्राप्त कर रहे हैं. इनके इस कार्य को देखते हुए आसपास के अन्य किसान भी प्रेरित हो रहे हैं. तो आइये जानते है कि इस युवा किसान को कैसे सुझी यह तकनीक

बकरा पालन
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Published : Jan 30, 2021, 2:34 PM IST

Updated : Oct 8, 2022, 12:53 PM IST

सीतामढ़ी: शिवहर जिले के तरियानी छपरा गांव निवासी युवा किसान संजय सिंह खेती के साथ-साथ बकरा पालन के जरिए अपनी तकदीर की इबारत लिख रहे हैं. एक साल पूर्व मुजफ्फरपुर के बकरी बाजार से उन्हें बकरा पालन की प्रेरणा मिली थी. जिसके बाद से युवा किसान बकरा पालन प्रारंभ कर दिया जिससे वे अच्छी आमदनी कर रहे हैं.

वैसे तो यह युवा किसान दुधारू मवेशी भैंस और गाय का भी पालन करते हैं. लेकिन बकरा पालन से उन्हें काफी अच्छी आय हो रही है. जिस कारण बकरा पालन को और ज्यादा बढ़ावा देने में जुटे हुए हैं. एक साल पूर्व किसान संजय सिंह राजस्थान से सिरोही नस्ल के बकरे का बच्चा खरीद किया था. उस दौरान बच्चे का वजन 6 से 8 किलो था. लेकिन 1 साल के अंदर इस बकरे का वजन 50 किलो हो चुका है. संजय सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया.

'राजस्थान में खरीद के दौरान बच्चे का खरीदारी मूल्य प्रति केजी 350 रुपये आया था. इसके अलावा घर तक लाने के लिए किराया भाड़ा अतिरिक्त लगा था. लेकिन 1 साल के अंदर इसका वजन 40 से 42 किलो बढ़ गया है जो अच्छी आमदनी में काफी सहायक साबित हो रहा है.' -संजय सिंह, किसान

अन्य किसान हो रहे जागरूक : युवा किसान के इस प्रयास कि हर तरफ सराहना हो रही है. ग्रामीण भी संजय सिंह के माध्यम से किए जा रहे बकरा पालन को लेकर बेहद खुश है. उनके माध्यम से किए जा रहे इस प्रयास की हर हर तरफ प्रशंसा की जा रही है. छपरा गांव निवासी राकेश कुमार सिंह ने बताया कि संजय सिंह बेहद जागरूक और मेहनती किसान है. जिसका नतीजा है कि राजस्थान के सिरोही नस्ल के बकरे का पालन कर वह अच्छी आमदनी कर रहे हैं. एक साल की आमदनी को देखते हुए अब इस बकरा फार्म का विस्तार करने में जुटे हुए हैं. संजय सिंह के इस बकरा पालन को देखकर आस-पास के युवा किसान भी बकरा पालन प्रारंभ करने के लिए उत्सुक है.

बच्चों की तरह की जाती है सेवा : किसान संजय सिंह ने बताया कि राजस्थानी सिरोही नस्ल के बकरा पालन से अच्छी आमदनी हो रही है. बकरा पालन को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. बकरे की तबीयत खराब होती है तो उसे घरेलू उपचार के जरिए ठीक किया जाता है. सर्दी जुकाम होने पर उसे शहद, गुड़, हल्दी चूर्ण और लहसन खिलाया जाता है. साथ ही प्रतिदिन आहार के रूप में उसे हरा और सूखा चारा के अलावा मूंग, मसूर और खेसारी का चूर्ण के साथ-साथ गेहूं के भूसा में दाना डाल कर खिलाते है. ताकि उसके वजन में बढ़ोतरी होती रहे. 1 साल के अंदर एक बकरे से 25-30,000 रुपये की आमदनी प्राप्त होती है.

सीतामढ़ी: शिवहर जिले के तरियानी छपरा गांव निवासी युवा किसान संजय सिंह खेती के साथ-साथ बकरा पालन के जरिए अपनी तकदीर की इबारत लिख रहे हैं. एक साल पूर्व मुजफ्फरपुर के बकरी बाजार से उन्हें बकरा पालन की प्रेरणा मिली थी. जिसके बाद से युवा किसान बकरा पालन प्रारंभ कर दिया जिससे वे अच्छी आमदनी कर रहे हैं.

वैसे तो यह युवा किसान दुधारू मवेशी भैंस और गाय का भी पालन करते हैं. लेकिन बकरा पालन से उन्हें काफी अच्छी आय हो रही है. जिस कारण बकरा पालन को और ज्यादा बढ़ावा देने में जुटे हुए हैं. एक साल पूर्व किसान संजय सिंह राजस्थान से सिरोही नस्ल के बकरे का बच्चा खरीद किया था. उस दौरान बच्चे का वजन 6 से 8 किलो था. लेकिन 1 साल के अंदर इस बकरे का वजन 50 किलो हो चुका है. संजय सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया.

'राजस्थान में खरीद के दौरान बच्चे का खरीदारी मूल्य प्रति केजी 350 रुपये आया था. इसके अलावा घर तक लाने के लिए किराया भाड़ा अतिरिक्त लगा था. लेकिन 1 साल के अंदर इसका वजन 40 से 42 किलो बढ़ गया है जो अच्छी आमदनी में काफी सहायक साबित हो रहा है.' -संजय सिंह, किसान

अन्य किसान हो रहे जागरूक : युवा किसान के इस प्रयास कि हर तरफ सराहना हो रही है. ग्रामीण भी संजय सिंह के माध्यम से किए जा रहे बकरा पालन को लेकर बेहद खुश है. उनके माध्यम से किए जा रहे इस प्रयास की हर हर तरफ प्रशंसा की जा रही है. छपरा गांव निवासी राकेश कुमार सिंह ने बताया कि संजय सिंह बेहद जागरूक और मेहनती किसान है. जिसका नतीजा है कि राजस्थान के सिरोही नस्ल के बकरे का पालन कर वह अच्छी आमदनी कर रहे हैं. एक साल की आमदनी को देखते हुए अब इस बकरा फार्म का विस्तार करने में जुटे हुए हैं. संजय सिंह के इस बकरा पालन को देखकर आस-पास के युवा किसान भी बकरा पालन प्रारंभ करने के लिए उत्सुक है.

बच्चों की तरह की जाती है सेवा : किसान संजय सिंह ने बताया कि राजस्थानी सिरोही नस्ल के बकरा पालन से अच्छी आमदनी हो रही है. बकरा पालन को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. बकरे की तबीयत खराब होती है तो उसे घरेलू उपचार के जरिए ठीक किया जाता है. सर्दी जुकाम होने पर उसे शहद, गुड़, हल्दी चूर्ण और लहसन खिलाया जाता है. साथ ही प्रतिदिन आहार के रूप में उसे हरा और सूखा चारा के अलावा मूंग, मसूर और खेसारी का चूर्ण के साथ-साथ गेहूं के भूसा में दाना डाल कर खिलाते है. ताकि उसके वजन में बढ़ोतरी होती रहे. 1 साल के अंदर एक बकरे से 25-30,000 रुपये की आमदनी प्राप्त होती है.

Last Updated : Oct 8, 2022, 12:53 PM IST
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