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सीतामढ़ी: बारिश नहीं होने से गहराया जल संकट, सुखाड़ से किसान और व्यवसायी हलकान

स्थानीय किसानों का कहना है कि सुखाड़ के कारण सब्जी और फलों की पैदावार कम हुई है. इस कारण से बाजारों में हरी सब्जी, फल और अन्य जरूरतों के समान में काफी मूल्य वृद्धि हुई है.

सुखाड़ से किसान परेशान
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Published : Jun 5, 2019, 2:23 PM IST

सीतामढ़ी: जिले में वर्षा नहीं होने के कारण सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है. इससे किसान और व्यवसायी दोनों ही परेशान है. आम लोग भी इस गर्मी के कारण काफी परेशान है. वहीं, किसान सब्जी और फल के झुलस जाने के कारण आर्थिक तंगी झेलने को विवश हो गए हैं.

स्थानीय किसानों का कहना है कि सुखाड़ के कारण सब्जी और फलों की पैदावार कम हुई है. इस कारण से बाजारों में हरी सब्जी, फल और अन्य जरूरतों के समान में काफी मूल्य वृद्धि हुई है. जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है. साथ ही उन लोगों ने कहा कि रोहिणी शुरू होते ही किसान धान की रोपनी के लिए बीज डालते थे. लेकिन बारिश नहीं होने के कारण किसान धान का बीज भी नहीं गिरा पाए हैं. इसलिए इस बार धान की खेती नहीं होने की भी संभावना बनी हुई है.

सुखाड़ से किसान परेशान

महंगाई से क्रेता भी परेशान

बारिश का कुप्रभाव सब्जी और अन्य सामान खरीदने वाले क्रेताओं के भी जीवन पर असर डाल रहा है. खरीदारों का कहना है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष साग-सब्जी, फल और अन्य सामाग्री काफी महंगी बिक रही है.

डीएम ने दिया सहायता का भरोसा

डीएम डॉ रंजीत कुमार सिंह ने इस सुखाड़ की मार झेल रहे किसानों, व्यापारियों और आम लोगों के बारे में कहा कि जिला प्रशासन अपने स्तर पर कार्य कर रहा है. गांवों के तालाब का जिर्णोद्धार कराया जा रहा है. जिले में जलापूर्ती करने के लिए टैंकरों के माध्यम से पानी पहुंचाया जायेगा. साथ ही उन्होंने किसान भाईयों से कहा कि खेतों की सिंचाई करने के लिए पास के तालाबों के पानी का उपयोग करें.

सीतामढ़ी: जिले में वर्षा नहीं होने के कारण सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है. इससे किसान और व्यवसायी दोनों ही परेशान है. आम लोग भी इस गर्मी के कारण काफी परेशान है. वहीं, किसान सब्जी और फल के झुलस जाने के कारण आर्थिक तंगी झेलने को विवश हो गए हैं.

स्थानीय किसानों का कहना है कि सुखाड़ के कारण सब्जी और फलों की पैदावार कम हुई है. इस कारण से बाजारों में हरी सब्जी, फल और अन्य जरूरतों के समान में काफी मूल्य वृद्धि हुई है. जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है. साथ ही उन लोगों ने कहा कि रोहिणी शुरू होते ही किसान धान की रोपनी के लिए बीज डालते थे. लेकिन बारिश नहीं होने के कारण किसान धान का बीज भी नहीं गिरा पाए हैं. इसलिए इस बार धान की खेती नहीं होने की भी संभावना बनी हुई है.

सुखाड़ से किसान परेशान

महंगाई से क्रेता भी परेशान

बारिश का कुप्रभाव सब्जी और अन्य सामान खरीदने वाले क्रेताओं के भी जीवन पर असर डाल रहा है. खरीदारों का कहना है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष साग-सब्जी, फल और अन्य सामाग्री काफी महंगी बिक रही है.

डीएम ने दिया सहायता का भरोसा

डीएम डॉ रंजीत कुमार सिंह ने इस सुखाड़ की मार झेल रहे किसानों, व्यापारियों और आम लोगों के बारे में कहा कि जिला प्रशासन अपने स्तर पर कार्य कर रहा है. गांवों के तालाब का जिर्णोद्धार कराया जा रहा है. जिले में जलापूर्ती करने के लिए टैंकरों के माध्यम से पानी पहुंचाया जायेगा. साथ ही उन्होंने किसान भाईयों से कहा कि खेतों की सिंचाई करने के लिए पास के तालाबों के पानी का उपयोग करें.

Intro:जिला में बारिश नहीं होने से जल संकट गहराया। सुखार के कारण किसान व्यापारी और क्रेता बेहद परेशान।


Body:इंद्र देवता की बेरुखी का असर जिला में देखने को मिल रहा है। पिछले कई दिनों से जिला के किसान व्यापारी और खरीददार आसमान की ओर टकटकी लगाए बारिश होने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन वर्षा नहीं होने के कारण सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। और इसका असर आम लोगों के जीवन पर पड़ रहा है। खासकर खेतों में लगने वाले फसल खेतों से कोसों दूर है। और जो सब्जी और फल की खेती की गई है वह सुखाड़ की मार के कारण जल और झुलस रहा है। इसका नतीजा है कि फसल लगाने वाले किसान आर्थिक तंगी झेलने को विवश हो गए हैं। सुखार के कारण महंगाई भी काफी बढ़ गया है। बाजारों में हरी सब्जी फल और अन्य जरूरतों के समान में काफी मूल्य वृद्धि हुआ है। जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। जिला के किसानों का बताना है कि रोहिणी शुरू होते ही किसान धान की रोपनी के लिए बीज गिरा डालते थे। लेकिन बारिश नहीं होने के कारण किसान धान का बीज भी नहीं गिरा पाए हैं। इसलिए इस बार धान की खेती नही होने की संभावना बानी हुई है। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार किसान बेहद परेशान हैं। उनका मानना है कि पिछले वर्ष इस माह में जरूरत के अनुसार वर्षा हुई थी। इसलिए समय से धान सब्जी फल आदि की फसल बेहद अच्छा हुआ था। लेकिन इस बार बारिश नहीं होने के कारण सब्जी फल और अन्य अनाज की खेती पर बुरा असर पड़ रहा है। हरी सब्जी उगाने वाले किसानों को दोहरी मार। जिला में हरी सब्जी की खेती कर नगदी आमदनी प्राप्त करने वाले किसानों का खस्ता हाल है। उनका बताना है कि बारिश नहीं होने और जल संकट गहराने के कारण कर्ज लेकर जो खेतों में सब्जी की खेती की गई है। वह झुलस गया है और जितना उत्पादन होना चाहिए उससे काफी कम उत्पादन हो रहा है। इसलिए जो खेतों में पूंजी लगाए गए हैं उसमें काफी घाटा लग रहा है। वहीं जब कम मात्रा में सब्जी लेकर बाजार जाते हैं तो खरीददार यह कह कर निकल चलते हैं कि आपका सब्जी बेहद महंगा है। इसलिए सब्जी उगाने वाले किसानों को दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है। महंगाई से क्रेता भी परेशान। बारिश का कुप्रभाव सब्जी और अन्य सामान खरीदने वाले क्रेता ओं के भी जीवन पर असर डाल रहा है। खरीदारों का बताना है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष साग सब्जी फल और अन्य सामाग्री काफी महंगा बिक रहा है। इसलिए वह घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजार के लिए निकलते तो जरूर हैं।लेकिन महंगाई को देखकर उल्टे कदम वापस भी हो जाते हैं। क्योंकि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष हरी सब्जी फल और अन्य सामाग्री बेहद महंगा बिक रहा है। इस मौसम में विगत वर्ष बिकने वाले सब्जी और फलों का कीमत। विगत वर्ष इस मौसम में भिंडी 6 से ₹7 प्रति किलो, टमाटर 20 से ₹25 प्रति किलो, कद्दू 4 से ₹5 प्रति पीस, नेनुआ 6 से ₹7 प्रति किलो, झिगनी 10 से ₹15 केजी, कटहल 6 से ₹8 प्रति किलो, आलू 8 से ₹10 प्रति किलो, प्याज 10 से ₹12 प्रति किलो, परवल 10 से ₹20 के बीच, लीची 40 से ₹50 प्रति सैकड़ा आम 30 से ₹40 प्रति केजी। खीरा 10 से ₹15 प्रति केजी की दर से बिका था। अभी बिकने वाला दर। भिंडी 10 से ₹15 प्रति केजी, कद्दू 10 से ₹30 प्रति पीस, कटहल 12 से ₹15 प्रति केजी, टमाटर 40 से ₹50 प्रति केजी, नेनुआ 10 से ₹15 प्रति केजी, झिगनी 20 से ₹30 प्रति केजी, आलू 14 से ₹15 प्रति केजी, प्याज 15 से ₹16 प्रति केजी की दर से बिक रहा है। चापाकल पंपसेट तालाब और नहर भी सुखा। सुखार के कारण जिला के अधिकांश हिस्सों में लगे हुए चापाकल और पंप सेट का जलस्तर काफी नीचे खिसक गया है। इसलिए जो पर्याप्त मात्रा में किसानों को पानी की जरूरत है उतना नहीं मिल पा रहा है। वही जिले के अधिकतर हिस्सों में खोदे गए तालाब और नहर का पानी सूख चुका है। इसका नतीजा है कि किसान अपने जरूरतों के हिसाब से खेतों में पानी नहीं दे पा रहे हैं। जिसका असर सभी के जनजीवन पर बुरी तरह पर रहा है। बाइट-1. फसल लगाने वाले किसान और सब्जी फल व्यापारी। बाइट-2. बाजारों में खरीदारी करने वाले क्रेता। बाइट-3. डॉ रंजीत कुमार सिंह डीएम सीतामढ़ी। विजुअल-1, 2, 3


Conclusion:सुखार की मार किसानों व्यापारियों और आम लोगों के जीवन पर काफी असर डाल रहा है। अगर समय रहते इसके निदान के लिए सही कदम नहीं उठाए गए तो अकाल जैसी परिस्थिति बनने की पूर्ण संभावना है।
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