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खोखला साबित हो रहा DM का आदेश, भगवान भरोसे सदर अस्पताल की सुरक्षा - हथियारबंद सुरक्षाकर्मी

सीतामढ़ी डीएम डॉ रंजीत कुमार अपने आश्वासनों के कारण चर्चा में हैं. सदर अस्पताल में कई बार सुरक्षाकर्मियों की बहाली का कोरा आश्वासन दे चुके हैं. लेकिन आज तक एक भी हथियारबंद सुरक्षाकर्मी की बहाली नहीं हुई.

सदर अस्पताल
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Published : Jul 3, 2019, 5:25 AM IST

सीतामढ़ी: सीतामढ़ी डीएम डॉ रंजीत कुमार सिंह का आदेश जमीन पर नहीं उतर पा रहा है. डीएम साहब सदर अस्पताल को लेकर भले ही गंभीरता दिखला रहे हैं लेकिन उनके आदेश का पालन अब तक नहीं हो पाया है. अस्पताल में विधी-व्यवस्था के लिए सुरक्षाकर्मियों की बहाली अधर में लटका है.

सदर अस्पताल में सुरक्षा पर जानकारी देते सिविल सर्जन

चुनाव के बाद रंजीत कुमार सिंह पुनः जिले के डीएम बने. पदभार ग्रहण के दूसरे दिन सदर अस्पताल में जच्चा और बच्चा की मौत पर हंगामा हुआ था. मौके पर पहुंचे जिलाधिकारी ने अस्पताल में 24 घंटे के अंदर 10 सैफ और बिहार पुलिस के हथियारबंद जवानों की तैनाती का आश्वासन दिया. हालांकि जिलाधिकारी का आश्वासन कोरा ही रह गया.

sitamarhi
सदर अस्पताल

डीएम के आदेश का नहीं हो रहा पालन
इसके बाद भी एक मरीज के मौत होते ही हंगामा हुआ. परिजनों ने इमरजेंसी वार्ड में जमकर तोड़फोड़ की. डॉक्टर पर जानलेवा हमला भी किया गया. नतीजन, आक्रोशित स्वास्थ्य कर्मियों और चिकित्सकों ने सेवा ठप करते हुए हड़ताल किया था. जिलाधिकारी ने 24 घंटे के भीतर हथियार से लैस जवानों की तैनाती की बात पुनः दुहरायी. लेकिन आज तक स्थिति में कोई बदलाव नहीं हो पाया. सुरक्षा के व्यवस्था नहीं होने से लिहाजा डॉक्टर और कर्मी बेहद चिंतित रहते है. डीएम के खोखले आदेश की चर्चा भी जोरों पर है. आदेश का पालन समय पर नहीं होने के कारण लोग इसकी तीव्र निंदा भी कर रहे हैं. डीएम के क्रियाकलाप पर सवाल भी उठाने लगे हैं.

sitamarhi
सदर अस्पताल की सुरक्षा

अस्पताल प्रशासन ने शुरू की टेंडर की प्रक्रिया
अस्पताल का सुरक्षा का जिम्मा लाठी युक्त होमगार्ड के हवाले है. अक्सर हंगामे में होमगार्ड के जवान मूकदर्शक बन देखते रह जाते हैं. प्रशासन के रवैये से निराश अस्पताल प्रशासन ने हथियारबंद सुरक्षाकर्मी के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी है. अस्पताल में जल्द से जल्द सुरक्षा कर्मी की तैनाती करने की कोशिश की जा रही है.

सीतामढ़ी: सीतामढ़ी डीएम डॉ रंजीत कुमार सिंह का आदेश जमीन पर नहीं उतर पा रहा है. डीएम साहब सदर अस्पताल को लेकर भले ही गंभीरता दिखला रहे हैं लेकिन उनके आदेश का पालन अब तक नहीं हो पाया है. अस्पताल में विधी-व्यवस्था के लिए सुरक्षाकर्मियों की बहाली अधर में लटका है.

सदर अस्पताल में सुरक्षा पर जानकारी देते सिविल सर्जन

चुनाव के बाद रंजीत कुमार सिंह पुनः जिले के डीएम बने. पदभार ग्रहण के दूसरे दिन सदर अस्पताल में जच्चा और बच्चा की मौत पर हंगामा हुआ था. मौके पर पहुंचे जिलाधिकारी ने अस्पताल में 24 घंटे के अंदर 10 सैफ और बिहार पुलिस के हथियारबंद जवानों की तैनाती का आश्वासन दिया. हालांकि जिलाधिकारी का आश्वासन कोरा ही रह गया.

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सदर अस्पताल

डीएम के आदेश का नहीं हो रहा पालन
इसके बाद भी एक मरीज के मौत होते ही हंगामा हुआ. परिजनों ने इमरजेंसी वार्ड में जमकर तोड़फोड़ की. डॉक्टर पर जानलेवा हमला भी किया गया. नतीजन, आक्रोशित स्वास्थ्य कर्मियों और चिकित्सकों ने सेवा ठप करते हुए हड़ताल किया था. जिलाधिकारी ने 24 घंटे के भीतर हथियार से लैस जवानों की तैनाती की बात पुनः दुहरायी. लेकिन आज तक स्थिति में कोई बदलाव नहीं हो पाया. सुरक्षा के व्यवस्था नहीं होने से लिहाजा डॉक्टर और कर्मी बेहद चिंतित रहते है. डीएम के खोखले आदेश की चर्चा भी जोरों पर है. आदेश का पालन समय पर नहीं होने के कारण लोग इसकी तीव्र निंदा भी कर रहे हैं. डीएम के क्रियाकलाप पर सवाल भी उठाने लगे हैं.

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सदर अस्पताल की सुरक्षा

अस्पताल प्रशासन ने शुरू की टेंडर की प्रक्रिया
अस्पताल का सुरक्षा का जिम्मा लाठी युक्त होमगार्ड के हवाले है. अक्सर हंगामे में होमगार्ड के जवान मूकदर्शक बन देखते रह जाते हैं. प्रशासन के रवैये से निराश अस्पताल प्रशासन ने हथियारबंद सुरक्षाकर्मी के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी है. अस्पताल में जल्द से जल्द सुरक्षा कर्मी की तैनाती करने की कोशिश की जा रही है.

Intro:सदर अस्पताल की सुरक्षा को लेकर डीएम का आदेश खोखला साबित। आदेश के 2 माह बाद भी नहीं हो पाई पुलिस कर्मियों की तैनाती।


Body:सीतामढ़ी के डीएम डॉ रंजीत कुमार सिंह का आदेश जमीनी रूप से खोखला साबित हो रहा है। डीएम की कथनी और करनी में फर्क देखा जा रहा है। चुनाव के बाद डीएम रंजीत कुमार सिंह पुनः जिला में पदभार ग्रहण करने के दूसरे दिन ही सदर अस्पताल पहुंचे थे। और जच्चे बच्चे की मौत के बाद जो विधि व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हुई थी। उस दौरान डीएम ने सिविल सर्जन व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को आश्वासन दिया था कि 24 घंटे के अंदर अस्पताल में 10 सैफ जवान और बिहार पुलिस के राइफल धारी जवानों की तैनाती की जाएगी। ताकि विधि व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न ना हो और स्वास्थ्य कर्मी सुरक्षित रहें। लेकिन उसके 15 रोज बाद ही एक 70 वर्षीय महिला मरीज की इलाज के दौरान मौत हो गई और मरीज के परिजनों ने इमरजेंसी वार्ड में जमकर तोड़फोड़ की थी। और डॉक्टर पर जानलेवा हमला भी किया गया था। घटना के अगले दिन आक्रोशित स्वास्थ्य कर्मियों और चिकित्सकों ने स्वास्थ्य सेवा ठप कर हड़ताल पर चले गए थे। उस दिन भी जिलाधिकारी ने दोबारा यह आश्वासन दिया कि 24 घंटे के भीतर हथियार से लैस जवानों की तैनाती कर दी जाएगी। इस आश्वासन के बाद स्वास्थ्य कर्मी अपने काम पर लौटे थे। लेकिन आज 2 माह बीत जाने के बावजूद किसी भी सुरक्षा कर्मी की तैनाती नहीं हो पाई है। इसका नतीजा है कि सदर अस्पताल में आए दिन विधि व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो रही है। और इस पर नियंत्रण करने या काबू पाने के लिए एक भी बिहार पुलिस या सैप के जवानों की तैनाती नहीं हो पाई है। लिहाजा डॉक्टर और कर्मी बेहद चिंतित है। और इसको लेकर डीएम के खोखले आदेश की खूब चर्चा भी जारी है। जिलाधिकारी के आदेश का अनुपालन समय पर नहीं हो पाने के कारण लोग इसकी तीव्र निंदा भी कर रहे हैं। साथ ही डीएमके क्रियाकलाप पर सवाल भी उठ रहा हैं। हथियारबंद सुरक्षाकर्मी नहीं मिलने से निराश अस्पताल प्रशासन ने अब इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दिया है। ताकि प्रक्रिया के तहत ही सही जल्द से जल्द सुरक्षा कर्मी की तैनाती की जा सके। और विधि व्यवस्था की जो स्थिति उत्पन्न हो रही है उस पर काबू पाया जा सके। विजुअल---------1. बाइट--1. डॉ रविंद्र कुमार। सिविल सर्जन सीतामढ़ी।


Conclusion:फिलहाल सदर अस्पताल की सुरक्षा का कमान डंडा धारी होमगार्ड के जवानों के जिम्मे है। लिहाजा सुरक्षा व्यवस्था कितनी मुकम्मल होगी इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता हैं। होमगार्ड के जवानों ने भी बताया कि जब विधि व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होती है तो वह भीड़ के सामने लाचार हो जाते हैं। नतीजा आए दिन तोड़फोड़ और कर्मियों पर हमले का प्रयास होता रहता है।
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