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आपदा को अवसर में बदला, कोरोनाकाल में कोराबार को लगाए पंख, बन गए दूसरों के लिए नजीर

एक सामान्य तरीके से चल रही जिंदगी में कोरोना ने ऐसा बदलाव लाया कि कई लोग ने आपदा में भी अवसर तलाश लिया. सीतामढ़ी के मुकेश और उनकी पत्नी भी उन्हीं लोगों में से एक हैं, जो आज दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं.

corona era in sitamarhi
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Published : Apr 28, 2021, 12:52 PM IST

सीतामढ़ी: मुकेश ने कोरोना की आपदा को अवसर में बदलकर आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है. मुकेश पिछले 10 सालों से दिल्ली में काम कर रहे थे, लेकिन कोरोनाकाल में घर वापस आना पड़ा. प्रवासियों के लिए बनाई गई सरकार की योजनाओं और जिला प्रशासन के सहयोग से मुकेश ने चप्पल बनाने का छोटा सा कारखाना खोला. और आज ना सिर्फ अपने पैरों पर खड़े हैं बल्कि अपने जैसे अन्य युवाओं को भी राह दिखा रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

यह भी पढ़ें- होम्योपैथी से कोरोना के इलाज का दावा, डॉ. मुचकुंद मल्लिक मुफ्त बांट रहे दवा

कोरोनाकाल में प्रशासन कर रहा मदद
कोरोना महामारी ने कईयों की जिंदगी पर असर डाला है. महानगरों में काम के लिए गए प्रवासी मजदूर जब अपने गृह जिला लौटे तो उन्हें जिला प्रशासन के सहयोग से अपने सपनों को उड़ान देने के लिए पंख मिल गये. कोरोना के दौरान इन लोगों ने विकट परिस्थितियों में भी अपना धैर्य और साहस नहीं खोया.

corona era in sitamarhi
मुकेश अपनी पत्नी के साथ कर रहे चप्पल निर्माण का काम

आत्मनिर्भरता की मिसाल
मुकेश अपनी पत्नी के साथ दिल्ली की कंपनी में चप्पल निर्माण का कार्य करता था. कोरोनावायरस को लेकर जब पूरे देश में लॉकडाउन हुआ तो मुकेश अपने घर पत्नी के साथ लौट गए. इस दौरान आर्थिक तंगी का भी मुकेश को सामना करना पड़ा. मुकेश और उसकी पत्नी ने सीतामढ़ी की डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा से मिलकर अपनी समस्या रखी. डीएम के निर्देश पर स्वयं सहायता समूह एवं अन्य माध्यमों के द्वारा मुकेश को आर्थिक मदद पहुंचाई गई.

corona era in sitamarhi
कोरोनाकाल में प्रशासन कर रहा मदद

यह भी पढ़ें- PM के आह्वान पर आत्मनिर्भर बनी लालसा, कई महिलाओं के साथ मिलकर कर रही ये काम

सीतामढ़ी: मुकेश ने कोरोना की आपदा को अवसर में बदलकर आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है. मुकेश पिछले 10 सालों से दिल्ली में काम कर रहे थे, लेकिन कोरोनाकाल में घर वापस आना पड़ा. प्रवासियों के लिए बनाई गई सरकार की योजनाओं और जिला प्रशासन के सहयोग से मुकेश ने चप्पल बनाने का छोटा सा कारखाना खोला. और आज ना सिर्फ अपने पैरों पर खड़े हैं बल्कि अपने जैसे अन्य युवाओं को भी राह दिखा रहे हैं.

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कोरोना महामारी ने कईयों की जिंदगी पर असर डाला है. महानगरों में काम के लिए गए प्रवासी मजदूर जब अपने गृह जिला लौटे तो उन्हें जिला प्रशासन के सहयोग से अपने सपनों को उड़ान देने के लिए पंख मिल गये. कोरोना के दौरान इन लोगों ने विकट परिस्थितियों में भी अपना धैर्य और साहस नहीं खोया.

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मुकेश अपनी पत्नी के साथ कर रहे चप्पल निर्माण का काम

आत्मनिर्भरता की मिसाल
मुकेश अपनी पत्नी के साथ दिल्ली की कंपनी में चप्पल निर्माण का कार्य करता था. कोरोनावायरस को लेकर जब पूरे देश में लॉकडाउन हुआ तो मुकेश अपने घर पत्नी के साथ लौट गए. इस दौरान आर्थिक तंगी का भी मुकेश को सामना करना पड़ा. मुकेश और उसकी पत्नी ने सीतामढ़ी की डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा से मिलकर अपनी समस्या रखी. डीएम के निर्देश पर स्वयं सहायता समूह एवं अन्य माध्यमों के द्वारा मुकेश को आर्थिक मदद पहुंचाई गई.

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