सीतामढ़ी: कोरोना वायरस को लेकर जब से सरकार ने पूरे देश में लॉक डाउन किया है, तब से किसानों को गेहूं की कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं. हालांकि सरकार ने जब किसानों को गेहूं काटने का निर्देश दिया, उसके बाद आसमान के प्रकोप ने किसानों के 40 प्रतिशत फसल को बर्बाद कर दिया. बारिश और आंधी के कारण रवि की फसल के साथ मक्का, मूंग, तिल सहित सब्जी की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है.
गेहूं की फसल या तो खेतों में ही खराब हो गए या ओलावृष्टि के कारण उसके दाने टूटकर खेतों में रह गए. जिले के किसानों के आम और लीची की फसल भी ओलावृष्टि के कारण बर्बाद हो गई. वहीं ओलावृष्टि के कारण सब्जी की फसल जमीन दोज हो गई है.
भुखमरी के कगार पर किसान
गेहूं के बर्बाद होने के बाद किसान आम और लीची की फसल पर आस लगाए बैठे थे कि आम और लीची की फसल की अच्छी पैदावार होगी. जिससे गेहूं के फसल में हुए नुकसान की भरपाई हो जाएगी. लेकिन 14 अप्रैल के बाद लगातार हो रही बारिश और ओलावृष्टि के कारण किसानों की मुश्किलें बढ़ गई है. किसानों के सामने अब भुखमरी के अलावा और कोई चारा नहीं बचा है. उनका कहना है कि इतनी तबाही के बाद सरकार जिले के किसानों के लिए किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं दे रही है.
सरकार से विशेष पैकेज की मांग
किसानों का कहना है कि लगातार हो रही बारिश और ओलावृष्टि के कारण उनके गेहूं के फसल के साथ-साथ अब आम और लीची की फसल भी पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं. अब किसानों का अपना घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. लॉक डाउन के बाद रोजी रोजगार के लिए खेती छोड़कर कोई अन्य कार्य करना पड़ेगा. गुरूवार को जिले के किसानों ने संयुक्त संघर्ष किसान मोर्चा के बैनर तले एक दिवसीय धरना और उपवास का कार्यक्रम किया. मोर्चा के संरक्षक आनंद किशोर ने सरकार और जिला प्रशासन से मांग की है कि किसानों को तेलंगाना और पंजाब की तरह विशेष पैकेज मिले. जिससे किसानों को राहत मिल सके.