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2018 में सीतामढ़ी हुआ ODF, प्लास्टिक मुक्त जिला बनाने की थी तैयारी, कोरोना ने लगाई ब्रेक - campaign to ban plastic in Sitamarhi

बिहार का सीतामढ़ी खुले में शौच मुक्त बनने वाला पहला जिला था. इसके बाद इसे प्रदेश का पहला प्लास्टिक मुक्त जिला बनाने का संकल्प लिया गया. लेकिन कोरोना ने इस संकल्प पर ब्रेक लगा दी...

प्लास्टिक फ्री जिला
प्लास्टिक फ्री जिला
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Published : Aug 8, 2020, 6:05 AM IST

सीतामढ़ी: साल 2018 में सीतामढ़ी खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित कर दिया गया था. इसके साथ ही सीतामढ़ी बिहार का पहला ओडीएफ जिला बन गया. ये सब कुछ तत्कालीन डीएम डॉ. रणजीत कुमार सिंह के प्रयासों की वजह से संभव हुआ. इसके बाद डीएम साहब ने एक और सपना देखा, जिसके लिए बढ़चढ़ कर कैंपेनिंग शुरू की. लेकिन उनके ट्रांसफर और कोरोना की दस्तक ने जिले के लिए देखा गए सपने को तोड़ दिया.

वर्तमान में प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ. रणजीत कुमार सिंह पहले सीतामढ़ी के डीएम थे. उन्होंने काफी सराहनीय कदम उठाते हुए जिले को शौच मुक्त कराया. इसके साथ ही उन्होंने जिले को प्लास्टिक मुक्त बनाने का संकल्प लिया और युद्ध स्तर पर अभियान चलाने का आदेश दिया. कई महीनों तक ये अभियान चला. छापा दल ने प्लास्टिक का प्रयोग करने वालों पर कार्रवाई भी की और जुर्माना भी लगाया. उस समय ऐसा लगने लगा था कि मानों, सीतामढ़ी प्रदेश का पहला प्लास्टिक मुक्त जिला भी बन जाएगा.

सीतामढ़ी से राहुल देव सोलंकी की रिपोर्ट

धड़ल्ले से हो रहा प्लास्टिक का प्रयोग
डीएम तबादला होते ही जिले का प्लास्टिक मुक्त अभियान भी ठंडे बस्ते में चला गया. आज हालात ये हैं कि बाजार हो या गली मुहल्ले की दुकान, प्लास्टिक का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है. इसको लेकर स्थानीय लोगों और समाजसेवियों में नाराजगी भी है.

दुकानदार धड़ल्ले से कर रहे प्लास्टिक का इस्तेमाल
दुकानदार धड़ल्ले से कर रहे प्लास्टिक का इस्तेमाल

कोरोना ने भी लगाया ग्रहण
जिले के जनप्रतिनिधि और समाजसेवियों ने कहा कि तत्कालीन डीएम ने प्लास्टिक मुक्त अभियान संचालन के लिए कई टीम भी गठित की गई थी. उस अभियान का व्यापक असर संपूर्ण जिले में दिखाई दे रहा था. इसी बीच उनका तबादला कर दिया गया और अभियान की गति थम गई. ऊपर से कोरोना संक्रमण भी प्रभावी हुआ. वर्तमान डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा कोरोना संक्रमण की रोकथाम में जुट गईं. हालांकि, डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा भी प्लास्टिक मुक्त जिला बनाना चाहती हैं. लेकिन लॉकडाउन के कारण इस अभियान को अभी गति नहीं दी जा रही है.

'चाचा नहीं मानने वाले'
'चाचा नहीं मानने वाले'

लोगों का कहना है कि इसका नतीजा है कि जो लोग अपने घरों से सामान खरीदने के लिए जूट और कपड़े का थैला लेकर निकलते थे, अब वह खाली हाथ जाते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि दुकानदार आसानी से प्लास्टिक का थैले में सामान मुहैया करा देगा. इसका नतीजा है कि जहां-तहां उपयोग में लाए गए प्लास्टिक का अंबार लगा रहता है.

धीमा पड़ा अभियान
धीमा पड़ा अभियान

फिर चलेगा अभियान-जदयू
जिला जदयू जिला अध्यक्ष और नगर पंचायत के चेयरमैन ने कहा कि तत्कालीन डीएम के स्थानांतरण के कारण प्लास्टिक मुक्त जिला बनाने का अभियान आगे नहीं चल पाया. इसकी दूसरी वजह है कि कोरोना संक्रमण को लेकर भी यह अभियान प्रभावित हो गया. अब स्थिति सामान्य होने के बाद वर्तमान डीएम द्वारा प्लास्टिक मुक्त जिला बनाने का अभियान युद्ध स्तर पर चलाया जाएगा.

दुकानों में मिल रहा पॉलीबैग
दुकानों में मिल रहा पॉलीबैग

युद्ध स्तर पर चलेगा अभियान- डीएम
डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने कहा कि जिला प्रशासन की पहली प्राथमिकता है कि जिले को प्लास्टिक मुक्त कराया जाए, इसके लिए अभियान प्रारंभ भी किया गया था. लेकिन इसी बीच कोरोना संक्रमण को लेकर स्थिति बिगड़ गई. युद्ध स्तर पर सभी कर्मियों को कोरोना संक्रमण की रोकथाम और बीमार लोगों के इलाज में लगा दिया गया. साथ ही लॉकडाउन के अनुपालन के लिए अभियान शुरू किया गया. इस वजह से प्लास्टिक मुक्त अभियान की गति थोड़ी धीमी हो गई है. स्थिति सामान्य होने के बाद इस अभियान को युद्ध स्तर पर चला कर जिले को प्लास्टिक मुक्त बनाना है.

सीतामढ़ी: साल 2018 में सीतामढ़ी खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित कर दिया गया था. इसके साथ ही सीतामढ़ी बिहार का पहला ओडीएफ जिला बन गया. ये सब कुछ तत्कालीन डीएम डॉ. रणजीत कुमार सिंह के प्रयासों की वजह से संभव हुआ. इसके बाद डीएम साहब ने एक और सपना देखा, जिसके लिए बढ़चढ़ कर कैंपेनिंग शुरू की. लेकिन उनके ट्रांसफर और कोरोना की दस्तक ने जिले के लिए देखा गए सपने को तोड़ दिया.

वर्तमान में प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ. रणजीत कुमार सिंह पहले सीतामढ़ी के डीएम थे. उन्होंने काफी सराहनीय कदम उठाते हुए जिले को शौच मुक्त कराया. इसके साथ ही उन्होंने जिले को प्लास्टिक मुक्त बनाने का संकल्प लिया और युद्ध स्तर पर अभियान चलाने का आदेश दिया. कई महीनों तक ये अभियान चला. छापा दल ने प्लास्टिक का प्रयोग करने वालों पर कार्रवाई भी की और जुर्माना भी लगाया. उस समय ऐसा लगने लगा था कि मानों, सीतामढ़ी प्रदेश का पहला प्लास्टिक मुक्त जिला भी बन जाएगा.

सीतामढ़ी से राहुल देव सोलंकी की रिपोर्ट

धड़ल्ले से हो रहा प्लास्टिक का प्रयोग
डीएम तबादला होते ही जिले का प्लास्टिक मुक्त अभियान भी ठंडे बस्ते में चला गया. आज हालात ये हैं कि बाजार हो या गली मुहल्ले की दुकान, प्लास्टिक का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है. इसको लेकर स्थानीय लोगों और समाजसेवियों में नाराजगी भी है.

दुकानदार धड़ल्ले से कर रहे प्लास्टिक का इस्तेमाल
दुकानदार धड़ल्ले से कर रहे प्लास्टिक का इस्तेमाल

कोरोना ने भी लगाया ग्रहण
जिले के जनप्रतिनिधि और समाजसेवियों ने कहा कि तत्कालीन डीएम ने प्लास्टिक मुक्त अभियान संचालन के लिए कई टीम भी गठित की गई थी. उस अभियान का व्यापक असर संपूर्ण जिले में दिखाई दे रहा था. इसी बीच उनका तबादला कर दिया गया और अभियान की गति थम गई. ऊपर से कोरोना संक्रमण भी प्रभावी हुआ. वर्तमान डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा कोरोना संक्रमण की रोकथाम में जुट गईं. हालांकि, डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा भी प्लास्टिक मुक्त जिला बनाना चाहती हैं. लेकिन लॉकडाउन के कारण इस अभियान को अभी गति नहीं दी जा रही है.

'चाचा नहीं मानने वाले'
'चाचा नहीं मानने वाले'

लोगों का कहना है कि इसका नतीजा है कि जो लोग अपने घरों से सामान खरीदने के लिए जूट और कपड़े का थैला लेकर निकलते थे, अब वह खाली हाथ जाते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि दुकानदार आसानी से प्लास्टिक का थैले में सामान मुहैया करा देगा. इसका नतीजा है कि जहां-तहां उपयोग में लाए गए प्लास्टिक का अंबार लगा रहता है.

धीमा पड़ा अभियान
धीमा पड़ा अभियान

फिर चलेगा अभियान-जदयू
जिला जदयू जिला अध्यक्ष और नगर पंचायत के चेयरमैन ने कहा कि तत्कालीन डीएम के स्थानांतरण के कारण प्लास्टिक मुक्त जिला बनाने का अभियान आगे नहीं चल पाया. इसकी दूसरी वजह है कि कोरोना संक्रमण को लेकर भी यह अभियान प्रभावित हो गया. अब स्थिति सामान्य होने के बाद वर्तमान डीएम द्वारा प्लास्टिक मुक्त जिला बनाने का अभियान युद्ध स्तर पर चलाया जाएगा.

दुकानों में मिल रहा पॉलीबैग
दुकानों में मिल रहा पॉलीबैग

युद्ध स्तर पर चलेगा अभियान- डीएम
डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने कहा कि जिला प्रशासन की पहली प्राथमिकता है कि जिले को प्लास्टिक मुक्त कराया जाए, इसके लिए अभियान प्रारंभ भी किया गया था. लेकिन इसी बीच कोरोना संक्रमण को लेकर स्थिति बिगड़ गई. युद्ध स्तर पर सभी कर्मियों को कोरोना संक्रमण की रोकथाम और बीमार लोगों के इलाज में लगा दिया गया. साथ ही लॉकडाउन के अनुपालन के लिए अभियान शुरू किया गया. इस वजह से प्लास्टिक मुक्त अभियान की गति थोड़ी धीमी हो गई है. स्थिति सामान्य होने के बाद इस अभियान को युद्ध स्तर पर चला कर जिले को प्लास्टिक मुक्त बनाना है.

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