सीतामढ़ी: मां जगत जननी जानकी की जन्मस्थली सीतामढ़ी का पुनौरा धाम आज सरकारी उदासीनता का दंश झेलने को विवश है. दरअसल, सरकारी अनदेखी के कारण यहां आने वाले श्रद्धालुओं को मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना पड़ता है. साथ ही मंदिर की दशा भी बेहद दयनीय है.
नहीं सुधरी दशा
त्रेता युग से प्रसिद्ध मां सीता की जन्मस्थली पुनौरा धाम राजनेताओं और अधिकारियों के उदासीन रवैये का खामियाजा यहां आने वाले भक्तों ओर श्रद्धालुओं को भुगतना पड़ रहा है. जबकि प्रजातंत्र व्यवस्था कायम होने के बाद कितनी बार सरकार बनी. सैकड़ों पदाधिकारी आये और गए. लेकिन, किसी ने मां जानकी के परिसर में आने वाले भक्तों की कठिनाइयों को दूर करने का प्रयास नहीं किया. इसमें राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री सभी शामिल हैं. सभी यंहा आए और सिर्फ आश्वासन देकर चलते बने हैं.
नहीं है मूलभूत सुविधाएं
12 एकड़ 96 डिसमिल क्षेत्र में बने इस मंदिर परिसर में शुद्ध पेयजल, शौचालय, बिजली और विश्रामालय के अलावा साफ-सफाई का भी घोर अभाव है. मंदिर के महंत कौशल किशोर जी ने बताया कि राष्ट्रपति बनने से पहले रामनाथ कोविंद भी यहां आये थे. उन्होंने भी सहयोग करने की बात कही थी. लेकिन, वह सिर्फ घोषणा ही रह गया. पीएम ने भी ट्रेन चलाने की बात कही थी. लेकिन, वह भी अधूरा रह गया. ट्रेन चली पर पांच किलोमीटर दूर से गुजरती है.
स्थानीय मंत्री भी बेखबर
जिले के रहने वाले बिहार सरकार के पूर्व पर्यटन मंत्री और जदयू के लोकसभा उम्मीदवार सुनील कुमार पिंटू भी सभी चुनाव से पहले माता के दरबार में माथा टेकने आते हैं. हर बार सहयोग करने का वचन देकर जाते हैं. लेकिन, जीतने के बाद अपना वादा भूल जाते हैं. मंदिर में आने वाला आय भी सरकारी खजाने में जमा हो जाता है. इसलिये सेवकों को वेतन, साधु-सेवा, प्रसाद, खान-पान और धार्मिक उत्सवों के लिए पैसों की किल्लत बनी रहती है.