सीतामढ़ी: जिले के बेलसंड अनुमंडल का वार्ड नंबर 8 गाछी टोला मोहल्ला नगर पंचायत के अधीन है. आजादी के बाद से यह मोहल्ला टापू में तब्दील है. लेकिन 73 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस महादलित और अल्पसंख्यक मुहल्ले के निवासियों का जीना मुश्किल है. इनकी बदहाली पर किसी सरकार या पदाधिकारी ने न तो सोचा न ही कभी इनकी सुध ली. 50 घरों में रहने वाली 400 की आबादी आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है.
खाट के सहारे बीमार मरीज पहुंचते हैं अस्पताल
गरीबी रेखा के नीचे शामिल ये सभी परिवार भूमिहीन है और बड़ी मुश्किल से अपना गुजर-बसर करते हैं. इन्हें अपने घरों से बाहर जाने के लिए करीब आधा किलोमीटर की दूर तक पगडंडी और जलजमाव को पार करना होता है. सबसे खराब हालत उन मरीजों की होती है जो गंभीर रूप से बीमार होते हैं, उन्हें अस्पताल तक ले जाने के लिए सड़क तक मौजूद नहीं है, लिहाजा खाट के सहारे ही बीमार मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाता है. सड़क के अभाव में कई बार अस्पताल लेकर जाते-जाते कई मरीजों की मौत भी हो जाती है.
सड़क के अभाव में स्कूल नहीं जाते बच्चे
सड़क नहीं होने के कारण अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजना मुनासिब नहीं समझते. क्योंकि साल के 10 महीने मुहल्ला पानी से घिरा रहता है. लिहाजा बच्चों के लिए इन हालातों में स्कूल जाना मुमकिन नहीं हो पाता. इस कारण इलाके में अशिक्षा भी चरम पर है. हर प्रकार की समस्या झेल रहे स्थानीय बाशिंदों में जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों के प्रति काफी आक्रोश है.
सभी सरकारी योजनाओं से वंचित आबादी
स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क सबसे बड़ी समस्या तो है ही, इसके अलावा यहां की अधिकांश आबादी सभी सरकारी योजनाओं से वंचित है. टापू में तब्दील इस इलाके में सड़क मार्ग नहीं होने के कारण युवक-युवतियों की शादी भी नहीं हो पाती.
कई समस्याएं पर समाधान नहीं
पूरे मामले पर वार्ड 8 के वार्ड सदस्य वीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि यह वार्ड सभी प्रकार की सुविधाओं से कोसों दूर है. यहां की जनता को काफी कष्ट भरा जीवन जीना पड़ रहा है. इसके लिए स्थानीय स्तर पर कई कोशिश की गई, लेकिन समाधान नहीं हो पाया.
काले पानी की सजा भुगत रही आबादी
नगर पंचायत के चेयरमैन रणधीर कुमार ने बताया कि इस मोहल्ले की 400 की आबादी काले पानी की सजा भुगत रही है. तीन तरफ नदियों से घिरे मुहल्ला वासियों को अपने घर से निकलने के लिए नाव, पगडंडी के अलावा और कोई साधन नहीं है. जल्द ही लोगों से जमीन लेकर सड़क बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.