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ना सड़क ना अस्पताल, बदतर है इस गांव का हाल - Randhir Kumar

गरीबी रेखा के नीचे शामिल सीतामढ़ी के बेलसंड अनुमंडल के ये परिवार भूमिहीन हैं और बड़ी मुश्किल से अपना गुजर-बसर करते हैं. सबसे खराब हालत उन मरीजों की होती है जो गंभीर रूप से बीमार होते हैं, उन्हें अस्पताल तक ले जाने के लिए सड़क तक नहीं है.

Belsand subdivision is deprived of basic facilities
Belsand subdivision is deprived of basic facilities
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Published : Feb 2, 2020, 2:02 PM IST

Updated : Feb 2, 2020, 3:05 PM IST

सीतामढ़ी: जिले के बेलसंड अनुमंडल का वार्ड नंबर 8 गाछी टोला मोहल्ला नगर पंचायत के अधीन है. आजादी के बाद से यह मोहल्ला टापू में तब्दील है. लेकिन 73 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस महादलित और अल्पसंख्यक मुहल्ले के निवासियों का जीना मुश्किल है. इनकी बदहाली पर किसी सरकार या पदाधिकारी ने न तो सोचा न ही कभी इनकी सुध ली. 50 घरों में रहने वाली 400 की आबादी आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है.

खाट के सहारे बीमार मरीज पहुंचते हैं अस्पताल
गरीबी रेखा के नीचे शामिल ये सभी परिवार भूमिहीन है और बड़ी मुश्किल से अपना गुजर-बसर करते हैं. इन्हें अपने घरों से बाहर जाने के लिए करीब आधा किलोमीटर की दूर तक पगडंडी और जलजमाव को पार करना होता है. सबसे खराब हालत उन मरीजों की होती है जो गंभीर रूप से बीमार होते हैं, उन्हें अस्पताल तक ले जाने के लिए सड़क तक मौजूद नहीं है, लिहाजा खाट के सहारे ही बीमार मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाता है. सड़क के अभाव में कई बार अस्पताल लेकर जाते-जाते कई मरीजों की मौत भी हो जाती है.

Belsand subdivision is deprived of basic facilities
पगडंडियों के सहारे सफर कर कैसे मिलेगी मंजिल

सड़क के अभाव में स्कूल नहीं जाते बच्चे
सड़क नहीं होने के कारण अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजना मुनासिब नहीं समझते. क्योंकि साल के 10 महीने मुहल्ला पानी से घिरा रहता है. लिहाजा बच्चों के लिए इन हालातों में स्कूल जाना मुमकिन नहीं हो पाता. इस कारण इलाके में अशिक्षा भी चरम पर है. हर प्रकार की समस्या झेल रहे स्थानीय बाशिंदों में जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों के प्रति काफी आक्रोश है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सभी सरकारी योजनाओं से वंचित आबादी
स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क सबसे बड़ी समस्या तो है ही, इसके अलावा यहां की अधिकांश आबादी सभी सरकारी योजनाओं से वंचित है. टापू में तब्दील इस इलाके में सड़क मार्ग नहीं होने के कारण युवक-युवतियों की शादी भी नहीं हो पाती.

कई समस्याएं पर समाधान नहीं
पूरे मामले पर वार्ड 8 के वार्ड सदस्य वीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि यह वार्ड सभी प्रकार की सुविधाओं से कोसों दूर है. यहां की जनता को काफी कष्ट भरा जीवन जीना पड़ रहा है. इसके लिए स्थानीय स्तर पर कई कोशिश की गई, लेकिन समाधान नहीं हो पाया.

काले पानी की सजा भुगत रही आबादी
नगर पंचायत के चेयरमैन रणधीर कुमार ने बताया कि इस मोहल्ले की 400 की आबादी काले पानी की सजा भुगत रही है. तीन तरफ नदियों से घिरे मुहल्ला वासियों को अपने घर से निकलने के लिए नाव, पगडंडी के अलावा और कोई साधन नहीं है. जल्द ही लोगों से जमीन लेकर सड़क बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

सीतामढ़ी: जिले के बेलसंड अनुमंडल का वार्ड नंबर 8 गाछी टोला मोहल्ला नगर पंचायत के अधीन है. आजादी के बाद से यह मोहल्ला टापू में तब्दील है. लेकिन 73 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस महादलित और अल्पसंख्यक मुहल्ले के निवासियों का जीना मुश्किल है. इनकी बदहाली पर किसी सरकार या पदाधिकारी ने न तो सोचा न ही कभी इनकी सुध ली. 50 घरों में रहने वाली 400 की आबादी आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है.

खाट के सहारे बीमार मरीज पहुंचते हैं अस्पताल
गरीबी रेखा के नीचे शामिल ये सभी परिवार भूमिहीन है और बड़ी मुश्किल से अपना गुजर-बसर करते हैं. इन्हें अपने घरों से बाहर जाने के लिए करीब आधा किलोमीटर की दूर तक पगडंडी और जलजमाव को पार करना होता है. सबसे खराब हालत उन मरीजों की होती है जो गंभीर रूप से बीमार होते हैं, उन्हें अस्पताल तक ले जाने के लिए सड़क तक मौजूद नहीं है, लिहाजा खाट के सहारे ही बीमार मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाता है. सड़क के अभाव में कई बार अस्पताल लेकर जाते-जाते कई मरीजों की मौत भी हो जाती है.

Belsand subdivision is deprived of basic facilities
पगडंडियों के सहारे सफर कर कैसे मिलेगी मंजिल

सड़क के अभाव में स्कूल नहीं जाते बच्चे
सड़क नहीं होने के कारण अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजना मुनासिब नहीं समझते. क्योंकि साल के 10 महीने मुहल्ला पानी से घिरा रहता है. लिहाजा बच्चों के लिए इन हालातों में स्कूल जाना मुमकिन नहीं हो पाता. इस कारण इलाके में अशिक्षा भी चरम पर है. हर प्रकार की समस्या झेल रहे स्थानीय बाशिंदों में जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों के प्रति काफी आक्रोश है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सभी सरकारी योजनाओं से वंचित आबादी
स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क सबसे बड़ी समस्या तो है ही, इसके अलावा यहां की अधिकांश आबादी सभी सरकारी योजनाओं से वंचित है. टापू में तब्दील इस इलाके में सड़क मार्ग नहीं होने के कारण युवक-युवतियों की शादी भी नहीं हो पाती.

कई समस्याएं पर समाधान नहीं
पूरे मामले पर वार्ड 8 के वार्ड सदस्य वीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि यह वार्ड सभी प्रकार की सुविधाओं से कोसों दूर है. यहां की जनता को काफी कष्ट भरा जीवन जीना पड़ रहा है. इसके लिए स्थानीय स्तर पर कई कोशिश की गई, लेकिन समाधान नहीं हो पाया.

काले पानी की सजा भुगत रही आबादी
नगर पंचायत के चेयरमैन रणधीर कुमार ने बताया कि इस मोहल्ले की 400 की आबादी काले पानी की सजा भुगत रही है. तीन तरफ नदियों से घिरे मुहल्ला वासियों को अपने घर से निकलने के लिए नाव, पगडंडी के अलावा और कोई साधन नहीं है. जल्द ही लोगों से जमीन लेकर सड़क बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

Intro:नगर पंचायत का गाछी टोला मोहल्ले का हाल बेहाल सड़क विहीन इस मोहल्ले में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव।


Body:जिले के बेलसंड अनुमंडल का वार्ड नंबर 8 गाछी टोला मुहल्ला नगर पंचायत के अंदर है। आजादी के बाद से यह मोहल्ला टापू में तब्दील है। लेकिन 73 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस महादलित और अल्पसंख्यक मुहल्ले के निवासियों की जिल्लत भरे जीवन पर किसी सरकार या पदाधिकारी ने न तो सोंचा ना ही कभी इनकी सुधि ली। लिहाजा 50 घरों और करीब 400 की आबादी आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है।
इस मोहल्ले में रहने वाले सभी परिवार गरीबी रेखा के नीचे आते हैं और सभी परिवार भूमिहीन है। इन्हें अपने घरों से बाहर जाने के लिए करीब आधा किलोमीटर की दूरी पगडंडी और जलजमाव को पार करना होता है। सबसे खराब हालत उन मरीजों की होती है जो गंभीर रूप से बीमार होते हैं। उन्हें अस्पताल तक ले जाने के लिए ना तो बाइक ना ही गाड़ी से ले जाने का रास्ता है। लिहाजा खाट के सहारे ही बीमार को अस्पताल पहुंचाया जाता है। और इस कारण अस्पताल जाते जाते कई मरीजों की मृत्यु तक हो जाती है। सड़क नहीं होने के कारण अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजना मुनासिब नहीं समझते। क्योंकि साल के 10 माह मुहल्ला पानी से घिरा रहता है। लिहाजा बच्चे डूब सकते हैं इस डर से मुहल्लावासी अपने बच्चों को स्कूल भी नहीं भेजते। इस कारण यहां अशिक्षा भी चरम पर है। हर प्रकार की समस्या झेल रहे इस मोहल्ले के लोग पशुपालन भी करना मुनासिब नहीं समझते क्योंकि जब खुद घर से निकलने का कोई रास्ता नहीं तो इन मवेशियों को लेकर वह कैसे और कहां जाएंगे। इन सभी समस्याओं को झेल रहे मोहल्ला वासियों के अंदर जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों के प्रति काफी आक्रोश देखा जा रहा है।
बाइट टू बाइट 1, मोहम्मद आलम। गाछी टोला निवासी। उजला कुर्ता बंडी टोपी में।
2, मोहम्मद सद्दाम हुसैन। छात्र। गाछी टोला मुहल्ला ब्लू स्वेटर में।
3, कुंती देवी। गाछी टोला मुहल्ला निवासी। पीला शॉल में।
4, सदरुल खातून। गाछी टोला मोहल्ला। ऑरेंज साड़ी में।
इस मोहल्ले के निवासियों का बताना है कि सड़क सबसे बड़ी समस्या तो है ही। इसके अलावा यहां की अधिकांश आबादी सभी सरकारी योजनाओं से वंचित है। टापू में तब्दील इस मोहल्ला में सड़क मार्ग नहीं रहने के कारण युवक-युवतियों की शादी ब्याह भी नहीं हो पा रही है।बच्चे जलजमाव के कारण विद्यालय नहीं पहुंच पाते जो थोड़ी बहुत पढ़ाई घरों में करते हैं वह परीक्षा में असफल हो जाते हैं। क्योंकि उनका अभ्यास नहीं हो पाता हालांकि इस संबंध में पूछे जाने पर वार्ड 8 का वार्ड सदस्य वीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि यह वार्ड सभी प्रकार की सुविधाओं से कोसों दूर है। यहां की जनता को काफी कष्ट भरा जीवन जीना पड़ रहा है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर प्रयास किए गए। लेकिन समाधान नहीं हो पाया। वहीं नगर पंचायत के चेयरमैन रणधीर कुमार ने बताया कि इस मोहल्ले की 400 की आबादी काले पानी की सजा भुगत रहा है। तीन तरफ नदियों से घिरे इस मुहल्ले वासियों को अपने घर से निकलने के लिए नाव, पगडंडी के अलावा और कोई साधन नहीं बचा है। इसके लिए कई बार प्रयास किए गए लेकिन जमीन उपलब्ध नहीं होने के कारण सड़क और अन्य सरकारी योजनाएं गांव तक नहीं पहुंच पाई है। लिहाजा यह महादलित बस्ती आज भी उपेक्षित है।
बाइट टू बाइट। 5, वीरेंद्र प्रसाद। वार्ड सदस्य। वार्ड नंबर 8, गाछी टोला मोहल्ला। पीला शर्ट में।
6, रणधीर कुमार। चेयरमैन। बेलसंड नगर पंचायत। उजला शर्ट और काला बंडी मफलर में।


Conclusion:7, पी टू सी ----राहुल देव सोलंकी।सीतामढ़ी।
Last Updated : Feb 2, 2020, 3:05 PM IST
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