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सीतामढ़ी: पॉक्सो एक्ट को लेकर जागरुकता शिविर का आयोजन, कानून के बारे में दी गई जानकारी - पॉक्सो एक्ट पर जागरुकता शिविर

सीतामढ़ी में पॉक्सो एक्ट को लेकर जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया. इस दौरान न्यायाधीश ने कानून के बारे में जानकारी दी.

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जागरुकता शिविर का आयोजन
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Published : Nov 8, 2020, 10:35 PM IST

सीतामढ़ी: जिला विधिक प्राधिकार सेवा आयोग की तरफ से रविवार को किशोर न्यायालय और पॉक्सो कानून को लेकर एक शिविर का आयोजन किया गया. मौके पर जिला और सत्र न्यायाधीश कृष्ण बिहारी पांडे, प्रधान न्यायाधीश मलिक जी और आरक्षी अधीक्षक अनिल कुमार ने दीप जलाकर शिविर का उद्घाटन किया.

कानून के बारे में जानकारी
रविवार की देर शाम तक चले शिविर में अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सोने लाल रजक ने मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए 18 वर्ष से कम उम्र के बालक-बालिका के साथ होने वाले लैंगिक अपराध विचारण जांच मेडिकल कराने सहित अन्य बातों को विस्तार पूर्वक बताया.

उन्होंने कहा कि 18 वर्ष से कम उम्र के बालक-बालिका के साथ होने वाले अपराध में भी सजा का प्रावधान है.

क्या कहते हैं सचिव
मौके पर सचिव सदन लाल प्रियदर्शी ने कहा कि बालिका के साथ होने वाले उत्पीड़न के बाद मीडिया को उनका नाम उजागर नहीं करना है. साथ ही पुलिस को पीड़िता का नाम उजागर किए बिना ही कार्रवाई करनी है. वक्ता सुशील कुमार ने कहा कि 18 वर्ष कम आयु के बालक-बालिका को मुआवजा दिलाने का साथ पुनर्वास का भी प्रावधान है.

घर जाकर लेना है बयान
सुशील कुमार ने बताया कि समाज में उनकी सम्मान की रक्षा करने को लेकर पिता का नाम, पिता का बयान, मीडिया में फोटो या नाम उजागर नहीं करना है. घर जाकर ही पुलिस को पीड़िता का बयान लेना है. मौके पर प्रधान न्यायाधीश किशोर, बिक्रम कुमार, ज्योति कुमार, सिविल सर्जन ज्योति कुमारी सहित कई पुलिस अधिकारी मौजूद रहे.

सीतामढ़ी: जिला विधिक प्राधिकार सेवा आयोग की तरफ से रविवार को किशोर न्यायालय और पॉक्सो कानून को लेकर एक शिविर का आयोजन किया गया. मौके पर जिला और सत्र न्यायाधीश कृष्ण बिहारी पांडे, प्रधान न्यायाधीश मलिक जी और आरक्षी अधीक्षक अनिल कुमार ने दीप जलाकर शिविर का उद्घाटन किया.

कानून के बारे में जानकारी
रविवार की देर शाम तक चले शिविर में अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सोने लाल रजक ने मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए 18 वर्ष से कम उम्र के बालक-बालिका के साथ होने वाले लैंगिक अपराध विचारण जांच मेडिकल कराने सहित अन्य बातों को विस्तार पूर्वक बताया.

उन्होंने कहा कि 18 वर्ष से कम उम्र के बालक-बालिका के साथ होने वाले अपराध में भी सजा का प्रावधान है.

क्या कहते हैं सचिव
मौके पर सचिव सदन लाल प्रियदर्शी ने कहा कि बालिका के साथ होने वाले उत्पीड़न के बाद मीडिया को उनका नाम उजागर नहीं करना है. साथ ही पुलिस को पीड़िता का नाम उजागर किए बिना ही कार्रवाई करनी है. वक्ता सुशील कुमार ने कहा कि 18 वर्ष कम आयु के बालक-बालिका को मुआवजा दिलाने का साथ पुनर्वास का भी प्रावधान है.

घर जाकर लेना है बयान
सुशील कुमार ने बताया कि समाज में उनकी सम्मान की रक्षा करने को लेकर पिता का नाम, पिता का बयान, मीडिया में फोटो या नाम उजागर नहीं करना है. घर जाकर ही पुलिस को पीड़िता का बयान लेना है. मौके पर प्रधान न्यायाधीश किशोर, बिक्रम कुमार, ज्योति कुमार, सिविल सर्जन ज्योति कुमारी सहित कई पुलिस अधिकारी मौजूद रहे.

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