सीतामढ़ी: बिहार शिक्षा विभाग ( Bihar Education Department ) ने नियोजित शिक्षकों ( Niyojit Teachers ) को सर्टिफिकेट ऑनलाइन अपलोड करने को लेकर 30 अगस्त तक अंतिम मौका दिया गया था. लेकिन विभाग द्वारा स्थापना डीपीओ और पोर्टल पर जारी सूची के अनुसार सीतामढ़ी जिले के करीब 84 शिक्षकों द्वारा सर्टिफिकेट अपलोड नहीं कराया जा सका है. अब ऐसे इन शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ गई है. इन लोगों की नौकरी भी जा सकती है.
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दरअसल, बिहार के संदिग्ध 91 हजार से ज्यादा नियोजित शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है. इससे पहले शिक्षा विभाग ने 21 जून से 20 जुलाई तक का वक्त बिहार के ऐसे करीब 91 हजार नियोजित शिक्षकों को दिया था, जिनके फोल्डर निगरानी ( Vigilance ) को जांच के दौरान नहीं मिले थे. आशंका जताई जा रही थी कि ये तमाम शिक्षक फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहे हैं और यही वजह है कि यह अपने डॉक्यूमेंट उपलब्ध नहीं करा पाए.
इधर, बड़ी संख्या में कई नियोजित शिक्षक आखिरी तारीख बढ़ाने की मांग कर रहे थे. उनका कहना था कि कई शिक्षकों के नाम या उनके विभिन्न सर्टिफिकेट पर किसी न किसी तरह की त्रुटि है, जिसे दूर करने में समय लगेगा. जिसके बाद शिक्षा विभाग ने इनकी मांग को मानते हुए अब सर्टिफिकेट अपलोड करने के लिए 31 अगस्त तक का समय दिया था.
बता दें कि 2006 से 2015 के बीच 'सर्टिफिकेट लाओ नौकरी पाओ' की तर्ज पर बिहार में लाखों शिक्षकों की बहाली हुई थी. इनमें से बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक हैं, जिन पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर स्कूलों में ज्वाइन कर लिया. पटना हाई कोर्ट के आदेश पर नियोजित शिक्षकों के नियोजन की वैधता की निगरानी अन्वेषण ब्यूरो से जांच चल रही है. निगरानी द्वारा विभागीय अधिकारी के माध्यम से नियोजन इकाईवार कार्यरत शतप्रतिशत शिक्षकों का शैक्षणिक और प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों का फोल्डर की मांग की गई.
बताया गया है कि इस क्रम में शिक्षा स्थापना डीपीओ द्वारा निगरानी को पूर्व में 9447 शिक्षकों का शैक्षणिक-प्रमाण पत्रों का फोल्डर उपलब्ध कराया गया था. शेष वंचित शिक्षकों का सर्टिफिकेट, मेधा सूची और मूल आवेदन आदि प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने के लिए निगरानी द्वारा विभागीय अधिकारी से बार-बार मांग की जाती रही है. कुछ शिक्षकों के द्वारा सिर्टिफिकेट उपलब्ध कराने में टालमटौल किया जा रहा है.
निगरानी ब्यूरों के मुजफ्फरपुर प्रक्षेत्र के पुलिस उपाधीक्षक सह सीतामढ़ी निगरानी जांच कैंप के प्रभारी मनोज कुमार श्रीवास्तव ने पिछले माह स्थापना डीपीओ को पत्र भेजकर शिक्षा विभाग और नियोजन इकाई से संबंधित शिक्षकों का सांठ-गांठ की बात कही थी. वहीं, स्थापना डीपीओ द्वारा भी संबंधित नियोजन इकाइयों से वंचित शिक्षकों का सर्टिफिकेट उपलब्ध कराने की मांग की जाती रही है. लेकिन शतप्रतिशत शिक्षकों का सभी सर्टिफिकेट उपलब्ध नहीं हो सका.
यह स्थिति सीतमढ़ी जिले में भी पाए जाने पर विभाग ने संबंधित शिक्षकों पर शिकंजा कसते हुए वेबपोर्टल खोलकर संबंधित शिक्षकों को स्वयं पोर्टल पर सभी सर्टिफिकेट अपलोड करने का आदेश दिया. इसके लिए अंतिम रुप से 30 अगस्त तक का समय दिया गया. स्थापना डीपीओ कार्यालय सूत्रों के अनुसार निर्धारित अवधि के अंदर जिले के 84 शिक्षकों को छोड़ अधिकांश शिक्षकों का सर्टिफिकेट पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया है. साथ ही निगरानी को फोल्डर उपलब्ध कराई जा चुकी है.
वहीं, निगरानी जांच कैंप कार्यालय सूत्रों की माने तो विभाग द्वारा शिक्षकों का उपलब्ध कराई गई फोल्डर में कई शिक्षकों का सभी सर्टिफिकेट उपलब्ध नहीं है. इसके कारण जांच प्रक्रिया प्रभावित है. विभाग द्वारा स्पष्ट चेतावनी दी गई थी कि जिन शिक्षकों द्वारा निर्धारित अवधि में विभागीय पोर्टल पर सर्टिफिकेट अपलोड नहीं कराया जाएगा, उन्हें फर्जी मानते हुए सेवा समाप्त की जाएगी.
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