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Sheikhpura News : गवय गांव में काली पूजा के मौके पर दंगल प्रतियोगिता, मूर्ति स्थापित करने के लिए कराई गई लॉटरी

Dangal Competition In Sheikhpura: शेखपुरा के गवय गांव में मां काली की भव्य प्रतिमा की स्थापना को लेकर कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. इस दौरान दंगल कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. वहीं लॉटरी के माध्यम से मूर्ति स्थापित कराई जाती है.

स्थापित करने के लिए कराई गई लॉटरी
मां काली प्रतिमा स्थापित करने के लिए कराई गई लॉटरी
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 15, 2023, 8:24 PM IST

76 वर्षों से गवय गांव में मां काली की पूजा

शेखपुरा: बिहार के शेखपुरा के सदर प्रखंड अंतर्गत गवय गांव में लगभग 76 वर्षों से मां काली की प्रतिमा स्थापित की जा रही है. आजादी के बाद से यहां लगातार मूर्ति स्थापित हो रही है. इस कार्यक्रम में दंगल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है, जिसका उद्घाटन बुधवार को नवादा लोकसभा के सांसद चंदन सिंह ने फीता काटकर किया. गांव पहुंचने पर सांसद का ग्रामीणों ने भव्य स्वागत किया.

सांसद ने काली मंदिर में की पूजा: सांसद चंदन सिंह ने काली मंदिर में पूजा अर्चना कर मां काली का आशीर्वाद लिया. पूजा अर्चना के बाद वे दंगल प्रतियोगिता का उद्घाटन करने पहुंचे. काली मां की प्रतिमा के बगल में ही अष्टभुजी दुर्गा मंदिर भी स्थापित है, जिसका निर्माण कार्य कई वर्षों से लगातार जारी है. मंदिर में अलग-अलग जगहों के लोग चंदा इकट्ठा करते हुए मंदिर का निर्माण कार्य कर रहे हैं, जिसमें कुछ जनप्रतिनिधि और अधिकारियों ने भी सहयोग दिया है.

मां काली की भव्य प्रतिमा
मां काली की भव्य प्रतिमा

कई वर्षों से दंगल का आयोजन: गांव में काली पूजा के आयोजन के मौके पर कई वर्षों से दंगल का आयोजन भी किया जाता रहा है. इस बार इस दंगल प्रतियोगिता का उद्घाटन करने नवादा लोकसभा सांसद चंदन सिंह पहुंचे. इस दंगल प्रतियोगिता में बिहार, झारखंड, बंगाल और उत्तर प्रदेश के अलावे अन्य जगहों से नामी ग्रामी पहलवान पहुंचते हैं और प्रतियोगिता में शामिल होते हैं. जीतने वाले प्रतिभागी को ट्रॉफी के साथ नगद उपहार दिया जाता है.

दंगल प्रतियोगिता आयोजित
दंगल प्रतियोगिता आयोजित

मूर्ति स्थापित करने के लिए लॉटरी: गवय गांव में आयोजित होने वाले मां काली की प्रतिमा को मनोकामना पूर्ण देवी भी कहा जाता है. कहा जाता है कि श्रद्धाभाव से मनोकामना मांगने वाले लोगों की हर मनोकामना पूरी होती है. यही कारण है कि मूर्ति स्थापित करने के लिए लोगों की लॉटरी कराई जाती है. प्रत्येक वर्ष गांव के अलावा आसपास के जगह के लोग भी इस लॉटरी में हिस्सा लेते हैं. इस बार संजय सिंह ने मूर्ति बनाने का खर्च उठाया है.

लॉटरी में नाम आने पर बनवाते है मां की मूर्ति: लॉटरी के माध्यम से नाम निकाला जाता है, वह मूर्ति बनाने का पूरा खर्च उठाते हैं. इस लाइन में 200 से ज्यादा लोग खड़े हैं. परंतु कई लोगों का कई वर्षों से नाम नहीं निकला है. कई जनप्रतिनिधि और स्थानीय नेता भी लॉटरी में अपना नाम डालते हैं, लेकिन उनका नाम भी नहीं निकला है. पंडित बताते हैं कि जिसके ऊपर मां की कृपा रहे उन्हीं का लॉटरी के माध्यम से नाम निकलता है.

"लॉटरी के माध्यम से तीन नाम निकाले जाते हैं. प्रथम व्यक्ति अगर मूर्ति बनाने के खर्च के लिए तैयार नहीं होते हैं तो दूसरे व्यक्ति से पूछा जाता है. अगर दूसरा व्यक्ति भी नहीं तैयार होता है तो फिर तीसरे व्यक्ति को जिम्मेदारी दी जाती है. अगर तीनों व्यक्ति नहीं मूर्ति बनाते हैं तो फिर से लॉटरी के माध्यम से दूसरा नाम निकाला जाता है. परंतु आज तक ऐसा नहीं हुआ है कि जिस व्यक्ति का नाम निकले वह मूर्ति ना बनावाता हो."- राजेश पांडे, मुख्य पुजारी, काली मंदिर

मंदिर बनाने में सहयोग की अपील: मंदिर के पुजारी सहित अन्य ग्रामीणों ने विभिन्न जनप्रतिनिधियों और नेताओं से मंदिर निर्माण में सहयोग करने की अपील की है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में मंदिर के बगल में खुदाई के दौरान एक अष्टधातु से निर्मित बड़ी भगवान विष्णु की प्रतिमा भी निकली, जिसे मंदिर के समीप स्थापित किया गया है. यह प्रतिमा पूरे भारतवर्ष में सबसे बड़ी प्रतिमा विष्णु जी की बताई जाती है, जिसका दूर-दराज से भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं.

पढ़ें: Shardiya Navratra 2023: बिहार का यह काली मंदिर 400 साल पुराना है, जहां माता स्थापित हैं, वहां 108 नरमुंडों की बली दी गई थी..

76 वर्षों से गवय गांव में मां काली की पूजा

शेखपुरा: बिहार के शेखपुरा के सदर प्रखंड अंतर्गत गवय गांव में लगभग 76 वर्षों से मां काली की प्रतिमा स्थापित की जा रही है. आजादी के बाद से यहां लगातार मूर्ति स्थापित हो रही है. इस कार्यक्रम में दंगल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है, जिसका उद्घाटन बुधवार को नवादा लोकसभा के सांसद चंदन सिंह ने फीता काटकर किया. गांव पहुंचने पर सांसद का ग्रामीणों ने भव्य स्वागत किया.

सांसद ने काली मंदिर में की पूजा: सांसद चंदन सिंह ने काली मंदिर में पूजा अर्चना कर मां काली का आशीर्वाद लिया. पूजा अर्चना के बाद वे दंगल प्रतियोगिता का उद्घाटन करने पहुंचे. काली मां की प्रतिमा के बगल में ही अष्टभुजी दुर्गा मंदिर भी स्थापित है, जिसका निर्माण कार्य कई वर्षों से लगातार जारी है. मंदिर में अलग-अलग जगहों के लोग चंदा इकट्ठा करते हुए मंदिर का निर्माण कार्य कर रहे हैं, जिसमें कुछ जनप्रतिनिधि और अधिकारियों ने भी सहयोग दिया है.

मां काली की भव्य प्रतिमा
मां काली की भव्य प्रतिमा

कई वर्षों से दंगल का आयोजन: गांव में काली पूजा के आयोजन के मौके पर कई वर्षों से दंगल का आयोजन भी किया जाता रहा है. इस बार इस दंगल प्रतियोगिता का उद्घाटन करने नवादा लोकसभा सांसद चंदन सिंह पहुंचे. इस दंगल प्रतियोगिता में बिहार, झारखंड, बंगाल और उत्तर प्रदेश के अलावे अन्य जगहों से नामी ग्रामी पहलवान पहुंचते हैं और प्रतियोगिता में शामिल होते हैं. जीतने वाले प्रतिभागी को ट्रॉफी के साथ नगद उपहार दिया जाता है.

दंगल प्रतियोगिता आयोजित
दंगल प्रतियोगिता आयोजित

मूर्ति स्थापित करने के लिए लॉटरी: गवय गांव में आयोजित होने वाले मां काली की प्रतिमा को मनोकामना पूर्ण देवी भी कहा जाता है. कहा जाता है कि श्रद्धाभाव से मनोकामना मांगने वाले लोगों की हर मनोकामना पूरी होती है. यही कारण है कि मूर्ति स्थापित करने के लिए लोगों की लॉटरी कराई जाती है. प्रत्येक वर्ष गांव के अलावा आसपास के जगह के लोग भी इस लॉटरी में हिस्सा लेते हैं. इस बार संजय सिंह ने मूर्ति बनाने का खर्च उठाया है.

लॉटरी में नाम आने पर बनवाते है मां की मूर्ति: लॉटरी के माध्यम से नाम निकाला जाता है, वह मूर्ति बनाने का पूरा खर्च उठाते हैं. इस लाइन में 200 से ज्यादा लोग खड़े हैं. परंतु कई लोगों का कई वर्षों से नाम नहीं निकला है. कई जनप्रतिनिधि और स्थानीय नेता भी लॉटरी में अपना नाम डालते हैं, लेकिन उनका नाम भी नहीं निकला है. पंडित बताते हैं कि जिसके ऊपर मां की कृपा रहे उन्हीं का लॉटरी के माध्यम से नाम निकलता है.

"लॉटरी के माध्यम से तीन नाम निकाले जाते हैं. प्रथम व्यक्ति अगर मूर्ति बनाने के खर्च के लिए तैयार नहीं होते हैं तो दूसरे व्यक्ति से पूछा जाता है. अगर दूसरा व्यक्ति भी नहीं तैयार होता है तो फिर तीसरे व्यक्ति को जिम्मेदारी दी जाती है. अगर तीनों व्यक्ति नहीं मूर्ति बनाते हैं तो फिर से लॉटरी के माध्यम से दूसरा नाम निकाला जाता है. परंतु आज तक ऐसा नहीं हुआ है कि जिस व्यक्ति का नाम निकले वह मूर्ति ना बनावाता हो."- राजेश पांडे, मुख्य पुजारी, काली मंदिर

मंदिर बनाने में सहयोग की अपील: मंदिर के पुजारी सहित अन्य ग्रामीणों ने विभिन्न जनप्रतिनिधियों और नेताओं से मंदिर निर्माण में सहयोग करने की अपील की है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में मंदिर के बगल में खुदाई के दौरान एक अष्टधातु से निर्मित बड़ी भगवान विष्णु की प्रतिमा भी निकली, जिसे मंदिर के समीप स्थापित किया गया है. यह प्रतिमा पूरे भारतवर्ष में सबसे बड़ी प्रतिमा विष्णु जी की बताई जाती है, जिसका दूर-दराज से भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं.

पढ़ें: Shardiya Navratra 2023: बिहार का यह काली मंदिर 400 साल पुराना है, जहां माता स्थापित हैं, वहां 108 नरमुंडों की बली दी गई थी..

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