शेखपुरा: जिले की स्थापना हुए 26 वर्ष हो गए हैं. लेकिन जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था में अभी तक सुधार नहीं आया है. शेखपुरा में कहने को तो 100 बेड का सदर अस्पताल है. वहीं, 5 साल पूर्व मुख्यमंत्री ने भी इसे अपग्रेड करते हुए 300 बेड का बनाने की घोषणा की थी. लेकिन, सदर अस्पताल की हालत बद से बदतर है.
महिला चिकित्सक नहीं है कार्यरत
स्त्री रोग संबंधित बीमारी के लिए एक भी महिला चिकित्सक कार्यरत नहीं है. जिला मुख्यालय में प्राइवेट तौर पर भी कोई महिला चिकित्सा कार्यरत नहीं है. जिसका खामियाजा जिले की चार लाख आबादी को भुगतना पड़ रहा है.
बिहारशरीफ जाने को मजबूर
महिला चिकित्सक के अभाव में इमरजेंसी की हालत में महिला को अपनी इलाज के लिए पुरुष चिकित्सक के पास विवश होकर जाना पड़ रहा है या मजबूरन उसे स्त्री रोग विशेषज्ञ से इलाज के लिए लखीसराय और बिहारशरीफ जाना पड़ता है.
कार्यशैली पर सवालिया निशान
26 साल हो जाने के बाद भी जिले की यह हालत सरकार की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा करता है. सदर अस्पताल में इलाजरत ममता देवी ने बताया कि स्त्री रोग का इलाज करवाने के लिए सदर अस्पताल आई थी. लेकिन सदर अस्पताल में एक भी महिला चिकित्सक नहीं रहने के कारण पुरुष चिकित्सक से शर्म की वजह से सारी बात नहीं बता पाई. मजबूरन कर्ज लेकर बिहारशरीफ इलाज के लिए जाना पड़ा. ममता की तरह अनेकों महिला का हाल इसी तरह का है.