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शेखपुरा में बदला खेती का ट्रेंड, किसान उपजा रहे बंपर मिर्ची, फिर भी सरकारी मदद की दरकार - Chilli farming

Chilli farming in Sheikhpura : शेखपुरा में किसान पारंपरिक खेती छोड़ मिर्च की खेती कर रहे हैं. उत्पादन भी काफी हो रहा है, लेकिन उस अनुरूप उन्हें लाभ नहीं मिल पा रहा है. क्योंकि आसपास मंडी नहीं होने के कारण औने-पौने दाम में मिर्च बेचनी पड़ रही है. इस कारण सिर्फ किसी तरह से मजदूरी भर पैसा निकल पाता है. पढ़ें पूरी खबर..

शेखपुरा में मिर्च की खेती
शेखपुरा में मिर्च की खेती
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 17, 2023, 6:23 AM IST

शेखपुरा में मिर्च की खेती

शेखपुरा : जैसे-जैसे मौसम में परिवर्तन हो रहा है. वैसे-वैसे खेती का ट्रेंड भी बदलता जा रहा है. जहां ठंड के मौसम में गेहूं की पैदावार काफी होती थी. उसके उलट अब किसान सब्जियों की पैदावार करने में जुटे हुए हैं. शेखपुरा सदर प्रखंड के लगभग एक दर्जन से ज्यादा गांव ऐसे हैं. जहां बड़े पैमाने पर मिर्च की खेती होती है. धीरे-धीरे इसका ट्रेंड और गांवों में बढ़ता जा रहा है.

मिर्च की हो रही बंपर पैदावार : किसान मिर्च की खेती कर बंपर पैदावार कर रहे हैं. इस कारण किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है. हालांकि, इन किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इस वजह से किसानों में थोड़ी मायूसी है. ईटीवी भारत की टीम ने किसानों से बात की और उनके समस्याओं को जानने उनके खेतों तक पहुंचे. सदर प्रखंड के बिहटा गांव के निवासी किसान रामाश्रय यादव ने बताया कि मात्र बिहटा गांव में ही 40 बीघा में मिर्च की खेती की जाती है.

"मिर्च के अलावा कुछ अन्य किसान गोभी, बैगन, मूली सहित अन्य सब्जियों की पैदावार कर रहे हैं. इसमें मिर्च खासतौर पर अपनी पकड़ बनाए हुए है. उन्होंने कहा कि सही से पटवन की जाए और खाद अच्छी मात्रा में दी जाए तो एक माह में दो बार मिर्च को तोड़कर बाजार में बेच देते हैं."- रामाश्रय यादव, किसान

खेत में लगी मिर्च की फसल
खेत में लगी मिर्च की फसल

बिहार के कई जिलों में पहुंचती है यहां की मिर्च : रामाशंकर यादव ने बताया कि अक्टूबर से लेकर मार्च तक मिर्च की अच्छी खेती क्षेत्र में होती है. एक कट्ठा में लगभग 40 किलो के आसपास उत्पादन होता है. हालांकि, शेखपुरा बाजार में उन्हें पैदावार की सही कीमत नहीं मिल पाती है. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा उन्हें कोई भी सहायता नहीं मिल पाती है.

औने-पौने दाम पर बिकती है मिर्च : किसानों ने बताया कि यहां की मिर्च शेखपुरा जिले के अलावा जमुई, मोकामा, बाढ़, बख्तियारपुर, दलसिंहसराय, समस्तीपुर, दरभंगा, नवादा एवं झारखंड तथा बंगाल के कुछ जिलों में पहुंचती है. अगर क्षेत्र में आसपास मिर्च पाउडर बनाने की कंपनी होती तो किसानों को इसका बड़ा व्यापक फायदा होता. अच्छा बाजार नहीं होने के कारण उन्हें औने पौने दाम में अपने मिर्च को बेचना पड़ता है.

मंडी होने से बढ़ेगी आमदनी : किसान अरुण यादव, सचिन कुमार सहित अन्य ने बताया कि जिले में बेहतर मंडी की व्यवस्था नहीं है. इस कारण से उन्हें अपने सब्जियों का दाम ठीक से नहीं मिल पाता है. अगर बेहतर तरीके से मंडी की व्यवस्था और उनके सब्जियों को स्टोर करने की क्षमता रहती तो वे काफी समय तक इससे अच्छे पैदावार कर बेहतर कमाई कर सकते हैं. किसानों ने बताया कि बिहिटा के अलावे रमजानपुर, कारे, खलासपुर, गवय, ऐझि बादशाहपुर के साथ-साथ अरियरी प्रखंड के कई गांव में मिर्च की अच्छी पैदावार होती है.

"मिर्च की खेती में प्रति सप्ताह दो से तीन हजार का खर्च होता है. उत्पादन तो ठीक-ठाक है, लेकिन मंडी नहीं होने के कारण 12 रुपया किलो में ही बेचना पड़ता है. ऐसे में अच्छी आमदनी नहीं हो पाती है."- अरुण यादव, किसान

खेत में मिर्च तोड़ती महिलाएं
खेत में मिर्च तोड़ती महिलाएं

किसानों ने सरकारी मदद की उठाई मांग : स्थानीय किसानों ने सरकारी मदद की मांग उठाई है. किसानों ने कहा कि सरकार की तरफ से बेहतर अनुदान, पटवन और खाद की व्यवस्था की जाती तो इस क्षेत्र में मिर्च के साथ अन्य सब्जियों का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सकता है. बहुत से लोग अब गेहूं की खेती छोड़ सब्जियों की खेती में जुट गए हैं. ऐसे में उन्हें सरकार की तरफ से कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है. इस कारण उनका मनोबल टूटता जा रहा है.

पटवन की व्यवस्था की जरूरत : किसानों ने कहा कि जिला प्रशासन पटवन की अच्छी व्यवस्था कर दे, तो इससे काफी अच्छी पैदावार हो सकती है. खास तौर पर गांव के नदी किनारे स्थित खेतों में पैदावार काफी अच्छी रहती है. हालांकि, पिछले दो वर्षों से नदी में पानी नहीं आ रहा है. इस कारण पटवन की एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है. नदी में पानी रहता तो पटवन की समस्या नहीं होती और पैदावार भी दोगुना होता.

ये भी पढ़ें : कटिहार: लॉकडाउन में किसानों को मिली राहत पर कुदरत ने बरपाया कहर, कई फसलों को बड़ा नुकसान

शेखपुरा में मिर्च की खेती

शेखपुरा : जैसे-जैसे मौसम में परिवर्तन हो रहा है. वैसे-वैसे खेती का ट्रेंड भी बदलता जा रहा है. जहां ठंड के मौसम में गेहूं की पैदावार काफी होती थी. उसके उलट अब किसान सब्जियों की पैदावार करने में जुटे हुए हैं. शेखपुरा सदर प्रखंड के लगभग एक दर्जन से ज्यादा गांव ऐसे हैं. जहां बड़े पैमाने पर मिर्च की खेती होती है. धीरे-धीरे इसका ट्रेंड और गांवों में बढ़ता जा रहा है.

मिर्च की हो रही बंपर पैदावार : किसान मिर्च की खेती कर बंपर पैदावार कर रहे हैं. इस कारण किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है. हालांकि, इन किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इस वजह से किसानों में थोड़ी मायूसी है. ईटीवी भारत की टीम ने किसानों से बात की और उनके समस्याओं को जानने उनके खेतों तक पहुंचे. सदर प्रखंड के बिहटा गांव के निवासी किसान रामाश्रय यादव ने बताया कि मात्र बिहटा गांव में ही 40 बीघा में मिर्च की खेती की जाती है.

"मिर्च के अलावा कुछ अन्य किसान गोभी, बैगन, मूली सहित अन्य सब्जियों की पैदावार कर रहे हैं. इसमें मिर्च खासतौर पर अपनी पकड़ बनाए हुए है. उन्होंने कहा कि सही से पटवन की जाए और खाद अच्छी मात्रा में दी जाए तो एक माह में दो बार मिर्च को तोड़कर बाजार में बेच देते हैं."- रामाश्रय यादव, किसान

खेत में लगी मिर्च की फसल
खेत में लगी मिर्च की फसल

बिहार के कई जिलों में पहुंचती है यहां की मिर्च : रामाशंकर यादव ने बताया कि अक्टूबर से लेकर मार्च तक मिर्च की अच्छी खेती क्षेत्र में होती है. एक कट्ठा में लगभग 40 किलो के आसपास उत्पादन होता है. हालांकि, शेखपुरा बाजार में उन्हें पैदावार की सही कीमत नहीं मिल पाती है. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा उन्हें कोई भी सहायता नहीं मिल पाती है.

औने-पौने दाम पर बिकती है मिर्च : किसानों ने बताया कि यहां की मिर्च शेखपुरा जिले के अलावा जमुई, मोकामा, बाढ़, बख्तियारपुर, दलसिंहसराय, समस्तीपुर, दरभंगा, नवादा एवं झारखंड तथा बंगाल के कुछ जिलों में पहुंचती है. अगर क्षेत्र में आसपास मिर्च पाउडर बनाने की कंपनी होती तो किसानों को इसका बड़ा व्यापक फायदा होता. अच्छा बाजार नहीं होने के कारण उन्हें औने पौने दाम में अपने मिर्च को बेचना पड़ता है.

मंडी होने से बढ़ेगी आमदनी : किसान अरुण यादव, सचिन कुमार सहित अन्य ने बताया कि जिले में बेहतर मंडी की व्यवस्था नहीं है. इस कारण से उन्हें अपने सब्जियों का दाम ठीक से नहीं मिल पाता है. अगर बेहतर तरीके से मंडी की व्यवस्था और उनके सब्जियों को स्टोर करने की क्षमता रहती तो वे काफी समय तक इससे अच्छे पैदावार कर बेहतर कमाई कर सकते हैं. किसानों ने बताया कि बिहिटा के अलावे रमजानपुर, कारे, खलासपुर, गवय, ऐझि बादशाहपुर के साथ-साथ अरियरी प्रखंड के कई गांव में मिर्च की अच्छी पैदावार होती है.

"मिर्च की खेती में प्रति सप्ताह दो से तीन हजार का खर्च होता है. उत्पादन तो ठीक-ठाक है, लेकिन मंडी नहीं होने के कारण 12 रुपया किलो में ही बेचना पड़ता है. ऐसे में अच्छी आमदनी नहीं हो पाती है."- अरुण यादव, किसान

खेत में मिर्च तोड़ती महिलाएं
खेत में मिर्च तोड़ती महिलाएं

किसानों ने सरकारी मदद की उठाई मांग : स्थानीय किसानों ने सरकारी मदद की मांग उठाई है. किसानों ने कहा कि सरकार की तरफ से बेहतर अनुदान, पटवन और खाद की व्यवस्था की जाती तो इस क्षेत्र में मिर्च के साथ अन्य सब्जियों का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सकता है. बहुत से लोग अब गेहूं की खेती छोड़ सब्जियों की खेती में जुट गए हैं. ऐसे में उन्हें सरकार की तरफ से कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है. इस कारण उनका मनोबल टूटता जा रहा है.

पटवन की व्यवस्था की जरूरत : किसानों ने कहा कि जिला प्रशासन पटवन की अच्छी व्यवस्था कर दे, तो इससे काफी अच्छी पैदावार हो सकती है. खास तौर पर गांव के नदी किनारे स्थित खेतों में पैदावार काफी अच्छी रहती है. हालांकि, पिछले दो वर्षों से नदी में पानी नहीं आ रहा है. इस कारण पटवन की एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है. नदी में पानी रहता तो पटवन की समस्या नहीं होती और पैदावार भी दोगुना होता.

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