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शिवहर: सफेद हाथी साबित हो रहे हैं जिले के सरकारी अस्पताल, 7 लाख की आबादी पर केवल 27 डॉक्टर - बीमार है अस्पताल

जिले की कुल आबादी करीब 7 लाख के करीब है. उस अनुपात में लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार ने जिले में सदर अस्पताल सहित कुल 6 अस्पताल बनाए हैं. इन अस्पतालों में भी डॉक्टर्स और कर्मचारियों की भारी कमी है.

शिवहर में 7 लाख की आबादी को केवल 27 डॉक्टर
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Published : Oct 4, 2019, 1:55 PM IST

शिवहर : जिले के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों का टोटा बना हुआ है. जिले के अधिकांश अस्पताल में चिकित्सकों की घोर कमी है. जिस कारण स्वास्थ्य व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. जिलावासियों को बेहतर इलाज के लिए मुजफ्फरपुर या फिर आस-पास के जिलों का सहारा लेना पड़ता है.

स्वास्थ्य के नाम पर करोड़ों खर्च
जिले के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार की ओर से प्रति माह करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि आज तक जिले के सरकारी अस्पताल में एक भी ऐसे मरीज का इलाज नहीं किया गया है जिसे उपलब्धि के तौर पर प्रस्तुत किया जा सके. गंभीर मरीज इलाज के लिए सदर अस्पताल तो आते हैं. लेकिन उचित इलाज के अभाव में फिर उल्टे पांव वापस लौट जाते हैं.

शिवहर सदर अस्पताल
शिवहर सदर अस्पताल

7 लाख की आबादी पर केवल 27 डॉक्टर्स
बता दें कि जिले की कुल आबादी करीब 7 लाख के करीब है. उस अनुपात में लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार ने जिले में सदर अस्पताल सहित कुल 6 अस्पताल बनाए. जिसमें शिवहर सदर अस्पताल, पुरनहीया, पिपराही, शिवहर, डुमरी कटसरी, तरियानी और फतेहपुर पीएचसी शामिल है. लेकिन हैरत की बात यह है कि ये अस्पताल जिले में नाम मात्र के लिए हैं. जिले के इन अस्पतालों में चिकित्सकों और कर्मियों के अधिकांश पद वर्षो से खाली पड़े हैं.

पेश है रिपोर्ट

क्या कहते हैं पदाधिकारी
इस मामले पर जिले के सिविल सर्जन डॉ. गणेश कुमार सिंह ने बताया कि जिले में 118 चिकित्सक के पद सृजित हैं. जिसमें मात्र 27 चिकित्सक ही मौजूद हैं. वही जीएनएम का 104 पद सृजित है, जिसमें केवल 10 लोगों की तैनाती की गई है. इसके अलावा 269 एएनएम का पद सृजित हैं, उसमें भी मात्र 107 लोग ही सेवा दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि चिकित्सकों की तो बात दूर है. जिले के अस्पतालों में चतुर्थ वर्गीय कर्मियों के पद भी बड़ी संख्या में खाली पड़े हैं.

अस्पताल में इलाज के लिए आए हुए लोग
अस्पताल में इलाज के लिए आए लोग

बीमार है अस्पताल
जिला का सदर अस्पताल खुद बीमार है. गंदगी के बीच मरीजों को इलाज करवाना मजबूरी बन गई है. अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों के साथ-साथ अन्य कर्मचारियों की घोर कमी है. जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. अस्पताल में इलाज कराने के लिए मरीज मीलों दूरी तय कर पहुंचते हैं. लेकिन, यहां पर डॉक्टर न होने के कारण मरीजों को आस-पास के जिले में रेफर कर दिया जाता है.

इलाज के लिए रजिस्ट्रेशन कराते लोग
इलाज के लिए रजिस्ट्रेशन कराते लोग

चिकित्सा व्यवस्था भगवान भरोसे
गौरतलब है कि बाढ़, अपराध और नक्सलवाद से सूबे में चर्चित शिवहर जिले में सरकारी और प्रशासनिक स्तर से भले हीं विकास की खूब चर्चाएं हो रही है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. जिले के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी के कारण जिलावासियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवा की सुविधा उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.

शिवहर : जिले के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों का टोटा बना हुआ है. जिले के अधिकांश अस्पताल में चिकित्सकों की घोर कमी है. जिस कारण स्वास्थ्य व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. जिलावासियों को बेहतर इलाज के लिए मुजफ्फरपुर या फिर आस-पास के जिलों का सहारा लेना पड़ता है.

स्वास्थ्य के नाम पर करोड़ों खर्च
जिले के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार की ओर से प्रति माह करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि आज तक जिले के सरकारी अस्पताल में एक भी ऐसे मरीज का इलाज नहीं किया गया है जिसे उपलब्धि के तौर पर प्रस्तुत किया जा सके. गंभीर मरीज इलाज के लिए सदर अस्पताल तो आते हैं. लेकिन उचित इलाज के अभाव में फिर उल्टे पांव वापस लौट जाते हैं.

शिवहर सदर अस्पताल
शिवहर सदर अस्पताल

7 लाख की आबादी पर केवल 27 डॉक्टर्स
बता दें कि जिले की कुल आबादी करीब 7 लाख के करीब है. उस अनुपात में लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार ने जिले में सदर अस्पताल सहित कुल 6 अस्पताल बनाए. जिसमें शिवहर सदर अस्पताल, पुरनहीया, पिपराही, शिवहर, डुमरी कटसरी, तरियानी और फतेहपुर पीएचसी शामिल है. लेकिन हैरत की बात यह है कि ये अस्पताल जिले में नाम मात्र के लिए हैं. जिले के इन अस्पतालों में चिकित्सकों और कर्मियों के अधिकांश पद वर्षो से खाली पड़े हैं.

पेश है रिपोर्ट

क्या कहते हैं पदाधिकारी
इस मामले पर जिले के सिविल सर्जन डॉ. गणेश कुमार सिंह ने बताया कि जिले में 118 चिकित्सक के पद सृजित हैं. जिसमें मात्र 27 चिकित्सक ही मौजूद हैं. वही जीएनएम का 104 पद सृजित है, जिसमें केवल 10 लोगों की तैनाती की गई है. इसके अलावा 269 एएनएम का पद सृजित हैं, उसमें भी मात्र 107 लोग ही सेवा दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि चिकित्सकों की तो बात दूर है. जिले के अस्पतालों में चतुर्थ वर्गीय कर्मियों के पद भी बड़ी संख्या में खाली पड़े हैं.

अस्पताल में इलाज के लिए आए हुए लोग
अस्पताल में इलाज के लिए आए लोग

बीमार है अस्पताल
जिला का सदर अस्पताल खुद बीमार है. गंदगी के बीच मरीजों को इलाज करवाना मजबूरी बन गई है. अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों के साथ-साथ अन्य कर्मचारियों की घोर कमी है. जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. अस्पताल में इलाज कराने के लिए मरीज मीलों दूरी तय कर पहुंचते हैं. लेकिन, यहां पर डॉक्टर न होने के कारण मरीजों को आस-पास के जिले में रेफर कर दिया जाता है.

इलाज के लिए रजिस्ट्रेशन कराते लोग
इलाज के लिए रजिस्ट्रेशन कराते लोग

चिकित्सा व्यवस्था भगवान भरोसे
गौरतलब है कि बाढ़, अपराध और नक्सलवाद से सूबे में चर्चित शिवहर जिले में सरकारी और प्रशासनिक स्तर से भले हीं विकास की खूब चर्चाएं हो रही है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. जिले के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी के कारण जिलावासियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवा की सुविधा उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.

Intro:शिवहर जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर और कर्मियों का अधिकांश पद रिक्त। इलाज कराने वाले मरीजों को हो रही भारी परेशानी। बेहतर इलाज के लिए जाना पड़ता है मुजफ्फरपुर।Body:शिवहर जिले की आबादी करीब सात लाख है। और इस आबादी को स्वास्थ्य सेवा देने के लिए सरकार की ओर से सदर अस्पताल सहित कुल 6 अस्पताल बनाए गए हैं। जिस में शिवहर सदर अस्पताल। पुरनहीया, पिपराही, शिवहर, डुमरी कटसरी, तरियानी और फतेहपुर पीएचसी शामिल है। लेकिन इन सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक और कर्मियों का अधिकांश पद वर्षो से रिक्त पड़ा हुआ है। इसलिए इन अस्पतालों में आने वाले मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा नहीं मिल पा रही है। लिहाजा इन अस्पतालों में आने वाले मरीजों को इलाज के लिए मुजफ्फरपुर शहर जाना पड़ता है। सभी सरकारी अस्पताल में चिकित्सक, जीएनएम, एएनएम सहित अन्य कर्मियों का अधिकांश पद रिक्त है। और इसका खामियाजा आम मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। हालांकि रिक्त पदों को भरने के लिए स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारी द्वारा लगातार पत्राचार किया गया। लेकिन आज तक इन रिक्त पदों को भरा नहीं गया। इसका नतीजा है कि 7 लाख की आबादी को केवल 27 चिकित्सक पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
रिक्त पद:___________________
जिले के सिविल सर्जन डॉ गणेश कुमार सिंह ने बताया कि इस जिले में 118 चिकित्सक का पद सृजित है जिसमें केवल 27 चिकित्सक ही मौजूद हैं। वही जीएनएम का 104 पद सृजित है जिसमें केवल 10 की तैनाती है। इसके अलावा 269 एएनएम का पद सृजित है उसमें मात्र 107 ही उपलब्ध है। इन पदों के अलावे तृतीय और चतुर्थ वर्गीय कर्मियों का भी पद काफी संख्या में रिक्त पड़ा हुआ है। और इसका नतीजा है कि इसका असर स्वास्थ्य सेवा पर पड़ रहा है। जरूरतमंद मरीजों को समय पर चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने में काफी कठिनाई आ रही है।
बाइट 1. डॉक्टर मानेश्वर पासवान अधीक्षक सदर अस्पताल शिवहर।
पी टू सी:____2.
विजुअल 3.4.5.6.7Conclusion:पी टू सी:__राहुल देव सोलंकी। सीतामढ़ी।
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