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महाशिवरात्रि पर बाबा हरिहर नाथ मंदिर में होगा भगवान शिव का विशेष श्रृंगार, ऐसा है महत्व

सोनपुर में स्थित बाबा हरिहर नाथ मंदिर, जहां पूजा करने से नर भी नारायण बन जाता है. इस बार महाशिवरात्रि के मौके पर बाबा हरिहर नाथ मंदिर में विशेष पूजा होगी. जिसको लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है. यहां भगवान विष्णु और भगवान शिव के एक ही शिला में विराजमान होने से यहां पूजा का विशेष महत्व है.

बाबा हरिहर नाथ मंदिर
बाबा हरिहर नाथ मंदिर
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Published : Feb 28, 2022, 4:10 PM IST

सोनपुर (सारण): सोनपुर में बाबा हरिहर नाथ का मंदिर है. महाशिवरात्रि के मौके पर यहां विशेष पूजा को लेकर खास तैयारी चल रही है. इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व (Worship At Baba Harihar Nath Temple On Mahashivratri) है. कहा जाता है कि हरिहर नाथ मंदिर में हरि अर्थात नारायण और हर अर्थात शिव दोनों एक ही शिवलिंग में वास करते हैं. यही कारण है कि महाशिवरात्रि पर यहां पूजा का विशेष महत्व है.

ये भी पढ़ें-राज्यपाल फागू चौहान के बाबा हरिहर नाथ पहुंचने से मंदिर समिति गदगद, कहा- पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

हरिहर नाथ का मंदिर भगवान शिव की जटा से निकलने वाले गंगा और भगवान विष्णु की प्रिय नदी नारायणी के संगम स्थल पर स्थापित है. कहा जाता है कि जब शैव और वैष्णों दोनों पक्षों के बीच अपने-अपने पंथ को लेकर बार-बार विवाद होने लगा, तो कई बार पंचायती के बाद ब्रह्मा जी ने एक ही शिला में दोनों देवताओं विष्णु और शिव को स्थापित कर इस झगड़े का अंत कर दिया.

मंदिर के पुजारी सदानंद पांडे बताते हैं कि यहां पर जलाभिषेक से नर नारायण के तुल्य हो जाता है. 14 हजार वर्ष पहले इस मंदिर का निर्माण हुआ था. उन्होंने बताया कि पूरे एशिया में चार क्षेत्र हैं. जिसमें दो भारत में और दो नेपाल में हैं. भारत में हरिहर क्षेत्र और कुरुक्षेत्र है. कुरूक्षेत्र जहां महाभारत का युद्ध हुआ था और हरिहर क्षेत्र जहां बाबा हरिहर नाथ का मंदिर है. वहीं नेपाल में मुक्ति क्षेत्र और बड़ाह क्षेत्र है. पुजारी ने बताया कि यहां शिवरात्रि के मौके पर खास तौर से सजावट होती है. साथ ही विशेष अभिषेक किया जाता है.

महाशिवरात्रि पर यहां भंडारा आदि की व्यवस्था की जाती है. वहीं शिव विवाह भी खासतौर से किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता और भगवान शिव संघारकर्ता हैं. मान्यता है कि इन दोनों की पूजा से भक्ति और मुक्ति दोनों एक साथ प्राप्त होती है. धरती पर जीवनकाल में भी इन दोनों की पूजा-अर्चना से तमाम तरह के वैभव और सुख शांति की प्राप्ति होती है. ऐसे में सोनपुर में एक ही शिवलिंग में भगवान विष्णु और शिव का स्थापित होना भक्तों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बना रहता है.

ये भी पढ़ें-नए साल पर बाबा हरिहर नाथ मंदिर में उमड़ी भीड़, श्रद्धालुओं ने की पूजा-अर्चना

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सोनपुर (सारण): सोनपुर में बाबा हरिहर नाथ का मंदिर है. महाशिवरात्रि के मौके पर यहां विशेष पूजा को लेकर खास तैयारी चल रही है. इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व (Worship At Baba Harihar Nath Temple On Mahashivratri) है. कहा जाता है कि हरिहर नाथ मंदिर में हरि अर्थात नारायण और हर अर्थात शिव दोनों एक ही शिवलिंग में वास करते हैं. यही कारण है कि महाशिवरात्रि पर यहां पूजा का विशेष महत्व है.

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हरिहर नाथ का मंदिर भगवान शिव की जटा से निकलने वाले गंगा और भगवान विष्णु की प्रिय नदी नारायणी के संगम स्थल पर स्थापित है. कहा जाता है कि जब शैव और वैष्णों दोनों पक्षों के बीच अपने-अपने पंथ को लेकर बार-बार विवाद होने लगा, तो कई बार पंचायती के बाद ब्रह्मा जी ने एक ही शिला में दोनों देवताओं विष्णु और शिव को स्थापित कर इस झगड़े का अंत कर दिया.

मंदिर के पुजारी सदानंद पांडे बताते हैं कि यहां पर जलाभिषेक से नर नारायण के तुल्य हो जाता है. 14 हजार वर्ष पहले इस मंदिर का निर्माण हुआ था. उन्होंने बताया कि पूरे एशिया में चार क्षेत्र हैं. जिसमें दो भारत में और दो नेपाल में हैं. भारत में हरिहर क्षेत्र और कुरुक्षेत्र है. कुरूक्षेत्र जहां महाभारत का युद्ध हुआ था और हरिहर क्षेत्र जहां बाबा हरिहर नाथ का मंदिर है. वहीं नेपाल में मुक्ति क्षेत्र और बड़ाह क्षेत्र है. पुजारी ने बताया कि यहां शिवरात्रि के मौके पर खास तौर से सजावट होती है. साथ ही विशेष अभिषेक किया जाता है.

महाशिवरात्रि पर यहां भंडारा आदि की व्यवस्था की जाती है. वहीं शिव विवाह भी खासतौर से किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता और भगवान शिव संघारकर्ता हैं. मान्यता है कि इन दोनों की पूजा से भक्ति और मुक्ति दोनों एक साथ प्राप्त होती है. धरती पर जीवनकाल में भी इन दोनों की पूजा-अर्चना से तमाम तरह के वैभव और सुख शांति की प्राप्ति होती है. ऐसे में सोनपुर में एक ही शिवलिंग में भगवान विष्णु और शिव का स्थापित होना भक्तों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बना रहता है.

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