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बिहार में बंगाल की छटा, सिंदूर खेला कर महिलाओं ने कहा- 'आसछे बछोर आबार होबे'

छपरा के कालीबाड़ी में दुर्गा पूजा के अवसर पर बंगाली समाज की महिलाओं ने सिंदूर खेला के साथ माता को विदाई दी. सभी ने माता और एक-दूसरे को सिंदूर लगाया. हर्षोल्लास के सथ सिंदूर खेला का आयोजन हुआ.

छपरा
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Published : Oct 15, 2021, 3:37 PM IST

Updated : Oct 15, 2021, 3:52 PM IST

छपरा: बिहार के छपरा (Durga Puja in Chhapra) में शुक्रवार को कचहरी रोड स्थित कालीबाड़ी (Kalibari) में दुर्गा पूजा के मौके पर सिंदूर खेला का आयोजन बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के वातावरण में किया गया. जिसमें सुबह पहले माता की बंगाली रीति रिवाज के अनुसार पूजा की गई. उसके बाद माता को सिंदूर लगा के विदाई दी गयी. जिसमें बंगाली समाज की सबसे बुजुर्ग सुहागिन महिला पुतुल चौधरी ने सर्वप्रथम माता को सिंदूर लगाकर माता की विदाई पूजा की. उसके बाद सभी महिलाओं ने माता को और एक दूसरे सिंदूर लगाया.

यह भी पढ़ें- यहां मां दुर्गा करती हैं भक्तों की हर मुराद पूरी, 129 सालों से हो रही है भगवती की आराधना

शहर के बंगाली समाज द्वारा यहां पर करीब 99 साल से दुर्गा पूजा का आयोजन हो रहा है. यहां पर बंगाली रीति रिवाज के अनुसार परंपरागत तरीके से पूजा का आयोजन किया जाता है. इसे परंपरागत इसलिए कहते हैं क्योंकि यहां के पुरोहित, जिसे बंगला भाषा में पुरत मोशायी कहते हैं, कि परिवार द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी पूजा कराई जा रही है. वहीं मूर्ति बनाने वाले कारीगर भी एक ही परिवार के लोग होते हैं, जो सदियों से मूर्ति बनाते चले आ रहे हैं.

देखें वीडियो

यहां की महिलाओं ने बताया कि आज के दिन माता की विदाई पूजा की जाती है. आज ढाकी की थाप पर माता की विशेष आरती की गई. वहीं छपरा शहर में दुर्गा पूजा को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. यहां के मंदिरों को रंग बिरंगी आकर्षक लाइटों से सजाया गया है. जगह-जगह पर आकर्षक पंडाल का निर्माण किया गया है. जिला प्रशासन ने दुर्गापूजा घूमने वालों से अपील की है कि मेला में जाने वाले लोग कोविड प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करें.

यह भी पढ़ें- बिहार के इस गांव में होती है दशानन की पूजा, ग्रामीण बोले- 'रावण पूरी करते हैं हमारी मनोकामना'

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शहर के बंगाली समाज द्वारा यहां पर करीब 99 साल से दुर्गा पूजा का आयोजन हो रहा है. यहां पर बंगाली रीति रिवाज के अनुसार परंपरागत तरीके से पूजा का आयोजन किया जाता है. इसे परंपरागत इसलिए कहते हैं क्योंकि यहां के पुरोहित, जिसे बंगला भाषा में पुरत मोशायी कहते हैं, कि परिवार द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी पूजा कराई जा रही है. वहीं मूर्ति बनाने वाले कारीगर भी एक ही परिवार के लोग होते हैं, जो सदियों से मूर्ति बनाते चले आ रहे हैं.

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यहां की महिलाओं ने बताया कि आज के दिन माता की विदाई पूजा की जाती है. आज ढाकी की थाप पर माता की विशेष आरती की गई. वहीं छपरा शहर में दुर्गा पूजा को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. यहां के मंदिरों को रंग बिरंगी आकर्षक लाइटों से सजाया गया है. जगह-जगह पर आकर्षक पंडाल का निर्माण किया गया है. जिला प्रशासन ने दुर्गापूजा घूमने वालों से अपील की है कि मेला में जाने वाले लोग कोविड प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करें.

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Last Updated : Oct 15, 2021, 3:52 PM IST
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