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6 साल बाद भी नहीं बना शहीद रंजय ठाकुर का स्मारक, पैतृक गांव में नहीं है कोई निशानी - नेताओं की लापरवाही

शहीद के परिजनों से तत्कालीन मंत्रियों और विधायकों ने कई वादे किए थे, उनमें एक भी पूरे नहीं हुए. परिजनों का कहना है कि अब नेताओं की घोषणा से विश्वास उठ गया है.

ववव
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Published : Aug 13, 2019, 2:27 PM IST

छपराः परसा थाना क्षेत्र के सगुनी श्री रामपुर गांव के शहीद रंजय ठाकुर का स्मारक लगाने के लिए छः साल भी कम पड़ गए. देश के लिए शहीद हुए इस सैनिक के गांव में उसकी कोई याद नहीं है. सरकारी महकमे, सांसद और विधायक की लापरवाही की वजह शहीद का इतिहास मिटता जा रहा. इनके परिजनों से वादा तो खूब किया गए लेकिन पूरा एक भी नहीं हुआ. शहीद के परिजनों को आश्वासन का घूंट पिलाने वाले विधायक, मंत्री और अधिकारी भी मौन हो गए हैं. शहीद के परिजन मंत्री और नेता के कार्यालय के चक्कर लगाने को मजबूर हैं.

शहीद का गांव और जानकारी देते परिजन

पूरा नहीं हुआ एक भी वादा
छः साल गुजरने के बाद भी सैनिक को इतिहास के रूप में याद रखने के लिए आजतक एक भी घोषणा पूरी नहीं हुई. सभी घोषणाएं फाइल में ही सिमट कर रह गईं. पैतृक गांव शहीद का शव पहुंचने की खबर मिलते ही तत्कालीन विधायक कृष्ण कुमार, मंत्री जनार्धन सिंह सिग्रीवाल, सांसद और मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने पहुंचकर परिजनों को सांत्वना दी. शहीद के जीवन को इतिहास के रूप में याद रखने के लिए प्राथमिक विद्यालय सगुनी के नजदीक शहीद स्मारक का निर्माण कराने, शहीद के नाम पर सगुनी विद्यालय परिसर में पुस्तकालय खोलवाने, तोरण द्वार बनाने और शहीद दिवस पर प्रशासनिक स्तर से शहीद दिवस मनाने समेत तमाम लंबी चौड़ी घोषणाएं विधायक और मंत्री ने की थी.

house
शहीद का घर

दर-दर भटक रहे हैं परिजन
अधिकारी और नेताओं की घोषणाओं को धरातल पर उतरने और शहीद का स्मारक स्थापित कराने के लिए पिता हवलदार बालेश्वर ठाकुर, पत्नी वंदना देवी और भाई चुनमुन ठाकुर दफ्तरों में 6 सालों से भटक रहे हैं. स्मारक स्थापित करने के लिए भाई चुनमुन ठाकुर प्रखंड से राजधानी तक दफ्तरों की फाइलों के पीछे भागते रहे. लेकिन 6 साल गुजरने के बाद भी शहीद का स्मारक स्थापित नहीं हुआ. इसके अलावा पुस्तकालय का निर्माण, सड़क का निर्माण, शहीद के नाम पर खुलने वाला पेट्रोल पम्प सारी घोषणाएं फाइलों में ही सिमट कर रह गईं.

road
शहीद के गांव की सड़क

श्रीनगर में हुए थे रंजय शहीद
शहीद रंजय देश की सुरक्षा के लिए श्रीनगर के कुपवाड़ा में ड्यूटी पर तैनाथ थे. 24 जनवरी 2012 को डयूटी के दौरान बर्फ की चट्टान फिसलने के कारण शहीद हुए थे. शहीद होने के सात माह बाद शहीद के शव को बर्फ से निकाला गया था और 4 जुलाई 2012 को आर्मी के अधिकारीयों ने शहीद के शव को पैतृक गांव पहुंचाया था.

'घोषणाओं से उठने लगा विश्वास'
शहीद के भाई ने कहा कि विधायक, मंत्री और सांसद ने जो भी घोषणाएं की आजतक उस पर कोई सार्थक पहल नहीं हुई. स्मारक, पुस्तकालय, पीसीसी सड़क निर्माण आदि के लिए सासद, विधायक से लिखित शिकायत कर काम को पूरा कराने की अपील की गई. लेकिन छः साल भी स्मारक निर्माण कराने के लिए कम पड़ गए. अब नेताओं की घोषणा से विश्वास उठने लगा है.

छपराः परसा थाना क्षेत्र के सगुनी श्री रामपुर गांव के शहीद रंजय ठाकुर का स्मारक लगाने के लिए छः साल भी कम पड़ गए. देश के लिए शहीद हुए इस सैनिक के गांव में उसकी कोई याद नहीं है. सरकारी महकमे, सांसद और विधायक की लापरवाही की वजह शहीद का इतिहास मिटता जा रहा. इनके परिजनों से वादा तो खूब किया गए लेकिन पूरा एक भी नहीं हुआ. शहीद के परिजनों को आश्वासन का घूंट पिलाने वाले विधायक, मंत्री और अधिकारी भी मौन हो गए हैं. शहीद के परिजन मंत्री और नेता के कार्यालय के चक्कर लगाने को मजबूर हैं.

शहीद का गांव और जानकारी देते परिजन

पूरा नहीं हुआ एक भी वादा
छः साल गुजरने के बाद भी सैनिक को इतिहास के रूप में याद रखने के लिए आजतक एक भी घोषणा पूरी नहीं हुई. सभी घोषणाएं फाइल में ही सिमट कर रह गईं. पैतृक गांव शहीद का शव पहुंचने की खबर मिलते ही तत्कालीन विधायक कृष्ण कुमार, मंत्री जनार्धन सिंह सिग्रीवाल, सांसद और मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने पहुंचकर परिजनों को सांत्वना दी. शहीद के जीवन को इतिहास के रूप में याद रखने के लिए प्राथमिक विद्यालय सगुनी के नजदीक शहीद स्मारक का निर्माण कराने, शहीद के नाम पर सगुनी विद्यालय परिसर में पुस्तकालय खोलवाने, तोरण द्वार बनाने और शहीद दिवस पर प्रशासनिक स्तर से शहीद दिवस मनाने समेत तमाम लंबी चौड़ी घोषणाएं विधायक और मंत्री ने की थी.

house
शहीद का घर

दर-दर भटक रहे हैं परिजन
अधिकारी और नेताओं की घोषणाओं को धरातल पर उतरने और शहीद का स्मारक स्थापित कराने के लिए पिता हवलदार बालेश्वर ठाकुर, पत्नी वंदना देवी और भाई चुनमुन ठाकुर दफ्तरों में 6 सालों से भटक रहे हैं. स्मारक स्थापित करने के लिए भाई चुनमुन ठाकुर प्रखंड से राजधानी तक दफ्तरों की फाइलों के पीछे भागते रहे. लेकिन 6 साल गुजरने के बाद भी शहीद का स्मारक स्थापित नहीं हुआ. इसके अलावा पुस्तकालय का निर्माण, सड़क का निर्माण, शहीद के नाम पर खुलने वाला पेट्रोल पम्प सारी घोषणाएं फाइलों में ही सिमट कर रह गईं.

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शहीद के गांव की सड़क

श्रीनगर में हुए थे रंजय शहीद
शहीद रंजय देश की सुरक्षा के लिए श्रीनगर के कुपवाड़ा में ड्यूटी पर तैनाथ थे. 24 जनवरी 2012 को डयूटी के दौरान बर्फ की चट्टान फिसलने के कारण शहीद हुए थे. शहीद होने के सात माह बाद शहीद के शव को बर्फ से निकाला गया था और 4 जुलाई 2012 को आर्मी के अधिकारीयों ने शहीद के शव को पैतृक गांव पहुंचाया था.

'घोषणाओं से उठने लगा विश्वास'
शहीद के भाई ने कहा कि विधायक, मंत्री और सांसद ने जो भी घोषणाएं की आजतक उस पर कोई सार्थक पहल नहीं हुई. स्मारक, पुस्तकालय, पीसीसी सड़क निर्माण आदि के लिए सासद, विधायक से लिखित शिकायत कर काम को पूरा कराने की अपील की गई. लेकिन छः साल भी स्मारक निर्माण कराने के लिए कम पड़ गए. अब नेताओं की घोषणा से विश्वास उठने लगा है.

Intro:परसा
वतन पे मरनेवाले शहीद का नही रहा कोई निशान,सरकारी महकमे और सांसद विधायक की वजह मिटता जा रहा शहीद का इतिहास,थाना क्षेत्र के सगुनी श्री रामपुर गाँव निवासी हवलदार बालेश्वर ठाकुर का पुत्र शहीद रंजय ठाकुर की स्मारक लगाने के लिए छः साल भी कम पर गए।देश के लिए शहीद हुए सैनिक का गाँव में कोई निशान नही रहा।शहीद के परिजनों को आश्वासन की घूंट पिलाने वाले बिधायक,सांसद ,मंत्री ,तथा अधिकारी भी मौन हो गए।नेताओ की विफलता के कारण शहीद के परिजन मंत्री नेता के कार्यालय और दफ्तरों में चकर लगाने को विवश है।परंतु छः साल गुजरने के बाद भी सैनिक के इतिहास के रूप में याद रखने के लिए आज तक एक भी घोषणाए पूरी नही हुई।सभी घोषणा फाइल में ही सिमट गई।
*आश्वासन की घूंट पिलाने वाले अधिकारी व नेता हुए मौन*
सगुनी श्रीरामपुर पैतृक गाँव शहीद की शव पहुचने की खबर मिलते ही स्थानीय बर्तमान विधायक कृष्ण कुमार मंत्री जनार्धन सिंह सिग्रीवाल सांसद स पूर्व मंत्री राजीव प्रताप रूडी पहूंच परिजनों को सांत्वना दिया।शहीद के जीवन को इतिहास के रूप में याद रखने के लिए प्राथमिक विद्यालय सगुनी के समीप शहीद स्मारक का निर्माण कराने शहीद के नाम पर सगुनी विद्यालय परिसर में पुस्तकालय खोलने शहीद के घर से सोनहो परसा मुख्य पथ सगुनी विद्यालय तक पीसीसी सड़क निर्माण कराने तोरण द्वार बनाने शहीद दिवस पर प्रसाशनिक स्तर से शहीद दिवस मनाने समेत तमाम लंबी चौड़ी घोषणाए विधायक,संसाद,मंत्री ने किया था।


*Body:शहीद के स्मारक निर्माण के लिए दर दर भटक रहे है परिजन*
अधिकारी व नेता की घोषणाओं को धरातल पर उतरने और शहीद की स्मारक स्थापित कराने के लिए पिता हवलदार बालेश्वर ठाकुर पत्नी वंदना देवी भाई चुनमुन ठाकुर ने दफ्तरों में छः सालो से भटक रहे है।दर दर की ठोकरे खा रहे है।स्मारक स्थापित करने के लिए भाई चुनमुन ठाकुर प्रखंड से राजधानी तक दफ्तरों की फाइलो के पीछे भागते रहे।लेकिन छः साल गुजरने के बाद भी शहीद का स्मारक स्थापित नही हुआ।न पुस्तकालय का निर्माण, न सड़क का निर्माण,शहीद के नाम पर खुलने वाली पेट्रोल पम्प फाइल में ही सिमट कर रह गया।
*देश की सुरक्षा के दौरान श्रीनगर में रंजय हुए थे शहीद*
शहीद रंजय देश की सुरक्षा के लिए श्रीनगर के कोपवाड़ा में ड्यूटी पर तैनाथ थे।गत 24 जनवरी 2012 को डयूटी के दौरान बर्फ की चटान फिसलने के कारण शहीद हुए थे।शहीद होने के सात माह बाद शहीद के शव को बर्फ से निकाला गया।और 4 जुलाई 2012 को आर्मी के अधिकारीयों ने शहीद की शव को पैतृक गाँव लाया गया था।

*Conclusion:क्या कहते है शहीद के भाई*

विधायक मंत्री सांसद ने जो घोषणाए किए आज तक उस पर उन लोगो ने कोई सार्थक पहल नही किया।स्मारक पुस्तकालय पीसीसी सड़क निर्माण आदि के लिए संसाद विधायक से लिखित शिकायत कर कार्य को पूर्ण कराने की अपील किया गया।छः साल भी स्मारक निर्माण कराने के लिए कम पड़ गया।अब नेता की घोषणा से विश्वास उठाने लगी है।
चुनमुन ठाकुर
शहीद के भाई
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