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डंपिंग प्वाइंट बनकर रह गया है छपरा का शिल्पी पोखर, सौंदर्यीकरण के लिए आए 14 लाख रुपए का कोई हिसाब नहीं

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 20, 2023, 8:06 PM IST

Chapra Shilpi Pokhar: बिहार के छपरा शहर में कभी तीन पोखर हुआ करता था, लेकिन आज एक भी काम का नहीं है. पोखर को शहर का डंपिंग प्वाइंट बना दिया गया है. पोखर के सौंदर्यीकरण के लिए आवंटित राशि का भी कोई हिसाब नहीं रहता है. पढ़ें पूरी खबर.

जीर्णोद्धार का बाट जोह रहा सारण का शिल्पी पोखड़
जीर्णोद्धार का बाट जोह रहा सारण का शिल्पी पोखड़
जीर्णोद्धार का बाट जोह रहा सारण का शिल्पी पोखड़

सारणः बिहार के छपरा शहर तालाब के लिए जाना जाता था. इस तालाब में मछली का पालन होता था. तीन तालाब शहर के सौंदर्य में चार चांद लगाते थे, लेकिन लापरवाही और अनदेखी के कारण तालाब का अस्तित्व खतरे में है. तालाब को शहर का डंपिंग प्वाइंट (Chapra Pond Becomes Dumping Point) बना दिया गया है. पहले लोग तालाब के किनारे घूमने के लिए जाते थे, लेकिन इसपर किसी का ध्यान नहीं है.

कूड़ा डंपिंग प्वाइंट बना पोखरः छपरा शहर का साह बनवारी लाल का पोखरा, राजेंद्र सरोवर, रघुनी शाह का शिल्पी पोखरा जो व्यक्ति विशेष के द्वारा बनाया गया था. समय के साथ-साथ ऐसे लोगों के परिवारों ने भी अपने पुरखों के द्वारा बनाए गए तालाबों का जीर्णोद्धार कराना मुनासिब नहीं समझा. आज यह तालाब अघोषित कूड़ा डंपिंग प्वाइंट में तब्दील हो चुका है.

"यह पोखर बहुत पुराना है. इसका जीर्णोद्धार होना चाहिए था, लेकिन यहां कूड़ा का अंबार लगा हुआ रहता है. तालाब की साफ सफाई की जाएगी तो लोगों को घूमने के लिए अच्छा स्थान रहेगा." -राम नारायण सिंह, स्थानीय निवासी

शिल्पी पोखर का हाल खराबः छपरा शहर के मध्य रघूनी शाह का शिल्पी पोखर का हाल खराब है. माना जाता है कि यह पोखर अति प्राचीन है. छपरा शहर के एक बड़े सेठ रघुनी शाह के द्वारा इसे बनवाया गया था. जैसे-जैसे समय बदला तालाब की भी दुर्दशा शुरू हो गई. आज यह गंदे पानी का तलाब बनकर रह गया है. पूरे शहर का कूड़ा कचरा फेंका जा रहा है. इसके साथ ही इन कचरों से निकलने वाली बदबू से स्थानीय लोग परेशान हैं.

14 लाख की राशि का हिसाब नहींः स्थानीय लोगों ने बताया कि तालाब के जीणोद्धार के लिए लगभग 14 लाख की राशि आवटित की गई थी, जिसे इस तालाब के सौंदरीकरण के लिए खर्च किया जाना था. 14 लाख रुपए का कोई हिसाब नहीं है. इस राशि का पूरी तरह से बंदर बांट हो गया. इसके बाद से प्राचीन तालाब कूड़ा घर बन गया है. स्थानीय लोगों के द्वारा सारण के डीएम, नगर निगम आयुक्त और प्रभारी मेयर से इसके सौंदर्यीकरण के लिए अपील की गई है.

"इस पोखर में 20 से 25 साल पहले छठ पूजा होता था, लेकिन आज यहां गंदगी का अंबार है. इसका जीर्णोद्धार के लिए 14 लाख रुपए आवंटित हुआ था, लेकिन वह राशि कहां गई कोई पता नहीं है. शहर का सारा कचरा यहीं पर फेंका जाता है. जिला प्रशासन इस पोखर को सौंदर्यीकरण करने का काम करे. गंदगी के कारण मच्छर फैल रहा है." -सुशील कुमार सिंह, स्थानीय निवासी

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सारणः बिहार के छपरा शहर तालाब के लिए जाना जाता था. इस तालाब में मछली का पालन होता था. तीन तालाब शहर के सौंदर्य में चार चांद लगाते थे, लेकिन लापरवाही और अनदेखी के कारण तालाब का अस्तित्व खतरे में है. तालाब को शहर का डंपिंग प्वाइंट (Chapra Pond Becomes Dumping Point) बना दिया गया है. पहले लोग तालाब के किनारे घूमने के लिए जाते थे, लेकिन इसपर किसी का ध्यान नहीं है.

कूड़ा डंपिंग प्वाइंट बना पोखरः छपरा शहर का साह बनवारी लाल का पोखरा, राजेंद्र सरोवर, रघुनी शाह का शिल्पी पोखरा जो व्यक्ति विशेष के द्वारा बनाया गया था. समय के साथ-साथ ऐसे लोगों के परिवारों ने भी अपने पुरखों के द्वारा बनाए गए तालाबों का जीर्णोद्धार कराना मुनासिब नहीं समझा. आज यह तालाब अघोषित कूड़ा डंपिंग प्वाइंट में तब्दील हो चुका है.

"यह पोखर बहुत पुराना है. इसका जीर्णोद्धार होना चाहिए था, लेकिन यहां कूड़ा का अंबार लगा हुआ रहता है. तालाब की साफ सफाई की जाएगी तो लोगों को घूमने के लिए अच्छा स्थान रहेगा." -राम नारायण सिंह, स्थानीय निवासी

शिल्पी पोखर का हाल खराबः छपरा शहर के मध्य रघूनी शाह का शिल्पी पोखर का हाल खराब है. माना जाता है कि यह पोखर अति प्राचीन है. छपरा शहर के एक बड़े सेठ रघुनी शाह के द्वारा इसे बनवाया गया था. जैसे-जैसे समय बदला तालाब की भी दुर्दशा शुरू हो गई. आज यह गंदे पानी का तलाब बनकर रह गया है. पूरे शहर का कूड़ा कचरा फेंका जा रहा है. इसके साथ ही इन कचरों से निकलने वाली बदबू से स्थानीय लोग परेशान हैं.

14 लाख की राशि का हिसाब नहींः स्थानीय लोगों ने बताया कि तालाब के जीणोद्धार के लिए लगभग 14 लाख की राशि आवटित की गई थी, जिसे इस तालाब के सौंदरीकरण के लिए खर्च किया जाना था. 14 लाख रुपए का कोई हिसाब नहीं है. इस राशि का पूरी तरह से बंदर बांट हो गया. इसके बाद से प्राचीन तालाब कूड़ा घर बन गया है. स्थानीय लोगों के द्वारा सारण के डीएम, नगर निगम आयुक्त और प्रभारी मेयर से इसके सौंदर्यीकरण के लिए अपील की गई है.

"इस पोखर में 20 से 25 साल पहले छठ पूजा होता था, लेकिन आज यहां गंदगी का अंबार है. इसका जीर्णोद्धार के लिए 14 लाख रुपए आवंटित हुआ था, लेकिन वह राशि कहां गई कोई पता नहीं है. शहर का सारा कचरा यहीं पर फेंका जाता है. जिला प्रशासन इस पोखर को सौंदर्यीकरण करने का काम करे. गंदगी के कारण मच्छर फैल रहा है." -सुशील कुमार सिंह, स्थानीय निवासी

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