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फॉग डिवाइस के सहारे कोहरे में ट्रेनों का हो रहा सुरक्षित परिचालन - फॉग डिवाइस का इस्तेमाल

फॉग डिवाइस से ड्राइवरों को पुअर विजिबिलिटी में भी ट्रेनों को चलाने में काफी सहायता मिल जाती है. उन्हें पता चल जाता है कि आगे सिग्नल कैसा है. रुकना है या आगे बढ़ते रहना है. यह डिवाइस ड्राइवरों के लिए काफी उपयोगी साबित हो रही है.

train in fog
कोहरे में ट्रेन परिचालन
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Published : Dec 11, 2020, 8:25 PM IST

Updated : Dec 15, 2020, 5:58 PM IST

छपरा: सर्दी के मौसम में उत्तर भारत में कोहरे के कारण ट्रेनों का परिचालन रेलवे के लिए चुनौती बन जाती थी. इस समस्या के हल के लिए रेलवे फॉग डिवाइस नाम के यंत्र का इस्तेमाल कर रही है. इसकी मदद से ट्रेनों को कोहरे में भी सुरक्षित रूप से 70 किलोमीटर प्रतिघंटा की अधिकतम रफ्तार से चलाया जा सकता है.

फॉग डिवाइस के चलते कोहरे के कारण ट्रेनों के विलंब से चलने की समस्या में सुधार हुआ है. यह टेक्नोलॉजी पिछले 2 साल से कोहरे के समय भारतीय रेलवे के काम आ रही है. फॉग डिवाइस को ट्रेन के इंजन में लगा दिया जाता है और ड्राइवरों को निर्देश दिया जाता है कि वे 70 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम रफ्तार से ट्रेन चला सकते हैं. जिन इंजनों में फॉग डिवाइस नहीं है उनकी अधिकतम गति सीमा 60 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित कर दी जाती है. इसी के अनुसार ट्रेनों का परिचालन किया जाता है.

देखें रिपोर्ट

फॉग डिवाइस से ड्राइवरों को पुअर विजिबिलिटी में भी ट्रेनों को चलाने में काफी सहायता मिल जाती है. उन्हें पता चल जाता है कि आगे सिग्नल कैसा है. रुकना है या आगे बढ़ते रहना है. यह डिवाइस ड्राइवरों के लिए काफी उपयोगी साबित हो रही है. इसकी वजह से ट्रेनों की रफ्तार में भी कमी नहीं आई है. कोहरे में भी ट्रेन अपने समय से ही चल रही है.

छपरा: सर्दी के मौसम में उत्तर भारत में कोहरे के कारण ट्रेनों का परिचालन रेलवे के लिए चुनौती बन जाती थी. इस समस्या के हल के लिए रेलवे फॉग डिवाइस नाम के यंत्र का इस्तेमाल कर रही है. इसकी मदद से ट्रेनों को कोहरे में भी सुरक्षित रूप से 70 किलोमीटर प्रतिघंटा की अधिकतम रफ्तार से चलाया जा सकता है.

फॉग डिवाइस के चलते कोहरे के कारण ट्रेनों के विलंब से चलने की समस्या में सुधार हुआ है. यह टेक्नोलॉजी पिछले 2 साल से कोहरे के समय भारतीय रेलवे के काम आ रही है. फॉग डिवाइस को ट्रेन के इंजन में लगा दिया जाता है और ड्राइवरों को निर्देश दिया जाता है कि वे 70 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम रफ्तार से ट्रेन चला सकते हैं. जिन इंजनों में फॉग डिवाइस नहीं है उनकी अधिकतम गति सीमा 60 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित कर दी जाती है. इसी के अनुसार ट्रेनों का परिचालन किया जाता है.

देखें रिपोर्ट

फॉग डिवाइस से ड्राइवरों को पुअर विजिबिलिटी में भी ट्रेनों को चलाने में काफी सहायता मिल जाती है. उन्हें पता चल जाता है कि आगे सिग्नल कैसा है. रुकना है या आगे बढ़ते रहना है. यह डिवाइस ड्राइवरों के लिए काफी उपयोगी साबित हो रही है. इसकी वजह से ट्रेनों की रफ्तार में भी कमी नहीं आई है. कोहरे में भी ट्रेन अपने समय से ही चल रही है.

Last Updated : Dec 15, 2020, 5:58 PM IST
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