छपरा: बिहार के छपरा में आयोजित बीजेपी के जनादेश के साथ विश्वासघात के विरोध में धरना प्रदर्शन में शामिल होने सारण के सांसद राजीव प्रताप रूडी (Rajiv Pratap Rudy) पहुंचे थे. रूडी जहरीली शराब से मौत के मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार कब तक गरीबों की लाश से खेलेंगे. शराब से कई लोग अकाल मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं. कितने ही लोगों ने अपनी आंखों की रोशनी खो दी. बिहार सरकार शराबबंदी (Liquor Ban In Bihar) के मोर्चे पर विफल है.
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शराबबंदी के फैसले पर पुनर्विचार करें मुख्यमंत्रीः जनादेश के साथ विश्वासघात के विरोध में धरना प्रदर्शन में बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ जिला से आने वाले सांसद और विधायकों के साथ कार्यकर्ता भी शामिल हुए. छपरा के म्युनिसिपल चौक पर आयोजित धरना में वक्ताओं ने बिहार के मुख्यमंत्री से सवाल पूछा कि आखिर ऐसा कौन सा लालच था, जिसे प्राप्त करने के लिए आपने ऐसा कदम उठाया. बिहार में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की विफलता के साथ-साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी शराबबंदी में पूरी तरह विफल बताया और कहा कि नीतीश कुमार अपने फैसले पर पुनर्विचार करें ताकि गरीबों की मौत रोकी जा सके.
जहरीली शराब से मौत जारीः सारण जिले में जहरीली शराब से मौत का सिलसिला जारी है. कल शाम जिले के गड़खा थाना क्षेत्र में एक व्यक्ति की मौत हुई थी और आज मरहौरा के पांच व्यक्ति की मौत (People Suspected Death In Saran) की सूचना है. हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. घटना मरहौरा थाना क्षेत्र (Marhaura Police Station) के भुआलपुर गांव में हुई है. अब तक सदर अस्पताल में दो व्यक्तियों के शव और तीन व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार अवस्था में पहुंच चुके हैं. फिलहाल पुलसि मामले की जांच में जुटी है.
शराबंदी पर उठ रहे हैं सवालः मालूम हो कि इससे पहले 3 अगस्त को मकेर में कई लोगों की शराब पीने से मृत्यु हुई थी. ऐसे मामले में कई बार पुलिस पल्ला झाड़ते नजर आई है, जिसको लेकर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं. मकेर की घटना को लेकर भी लोग पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं. राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में जहरीली शराब के सेवन से करीब 173 लोगों की मौत हुई है. जनवरी 2022 में बिहार के बक्सर, सारण और नालंदा जिलों में बैक टू बैक घटनाओं में 36 लोगों की मौत हुई थी. ये घटनाएं साबित करती हैं कि बिहार में शराबबंदी विफल है, लेकिन सरकार इस हकीकत को स्वीकार नहीं करना चाहती.
बिहार में शराबबंदी कानून फेल : बता दें कि 5 अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद भी बिहार में शराबबंदी कानून पूर्ण रूप से लागू नहीं हो पा रहा है. इस कारण से जहरीली शराब से बिहार के विभिन्न जिलों में लोगों की मौत होती रहती है. यह पहली बार नहीं है, जब जहरीली शराब से लोगों की मौत हुई है. सवाल यह उठ रहा है कि आखिर जहरीली शराब से हो रही मौत का जिम्मेदार कौन है. क्या वह शराब माफिया जो जहरीली शराब बेच रहे हैं या वह प्रशासन जिनकी मिलीभगत से शराब जिलों में बेची जा रही है. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जहरीली शराब से मौत का जिम्मेदार सिर्फ चौकीदार या थाना प्रभारी ही कैसे हो सकता है, जिन्हें शराब से मौत के मामले में अक्सर दोषी पाकर सस्पेंड कर दिया जाता है.
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