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राजा मौर्याध्व्ज से जुड़ा है पौराणिक स्थल 'चिरांद', बड़ी रोचक है कहानी

छपरा में स्थित धार्मिक स्थल चिरांद का बहुत महत्व है. इस पवित्र स्थल पर राजा मौर्याध्व्ज का मंदिर और अन्य पौराणिक धरोहर मौजूद है. यह मंदिर पूरे क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है.

चिरांद का मंदिर
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Published : Apr 3, 2019, 10:59 AM IST

छपरा: जिला में कई एतिहासिक और पौराणिक केंद्र है. ऐसा ही एक धार्मिक स्थल चिरांद का महत्व है. इस पवित्र स्थल पर राजा मौर्याध्व्ज का मंदिर और अन्य पौराणिक धरोहर मौजूद है. यह स्थल दानी राजा मौरध्वज के कथाओं से जुड़ा हुआ है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. यह मंदिर पूरे क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है.

छपरा से कुछ किलोमीटर दूर डोरीगंज बाजार के निकट गंगा और घाघरा नदी के संगम पर स्थित एक पौराणिक स्थल चिरांद है. इसका वर्णन धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है. पौराणिक कथाओं के चिंराद दानी राजा मौरध्वज की राजधानी थी. भगवान कृष्ण और अर्जुन ने भेष बदल कर राजा मौर्याध्व्ज का यहां परीक्षा लिया था.

इस कथा के अनुसार अर्जुन को दानी होने का घमंड हो गया था. इस बात को लेकर भगवान कृष्ण और अर्जुन ने भेष बदल कर एक बाघ के साथ राजा मौर्याध्व्ज के पास पहुंचे. वहां वे सभी भोजन करने के लिये बैठे गए. राजा से एक शर्त रखी कि बाघ के भोजन के लिये उनके बेटे ताम्ररध्व्ज का मांस चाहिए. राजा और रानी स्वयं उसके शरीर को बराबर में बाटेंगे. लेकिन इस दौरान किसी के आंख से आंसू नहीं आनी चाहिए.

जानकारी देते पुजारी

श्री कृष्ण ने फिर से जीवित किया

शर्त के अनुसार राजा और रानी ने अपने बेटे को आरा से दो भाग में बांट दिया. राजा और रानी ने मिलकर सभी के लिये चार थाली लगायी. उसके बाद श्री कृष्ण ने कहा की पांचवी थाली लगाने को कहा. श्री कृष्ण ने कहा की पांचवी थाली आपके पुत्र ताम्रध्वज के लिए हैं.

छपरा: जिला में कई एतिहासिक और पौराणिक केंद्र है. ऐसा ही एक धार्मिक स्थल चिरांद का महत्व है. इस पवित्र स्थल पर राजा मौर्याध्व्ज का मंदिर और अन्य पौराणिक धरोहर मौजूद है. यह स्थल दानी राजा मौरध्वज के कथाओं से जुड़ा हुआ है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. यह मंदिर पूरे क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है.

छपरा से कुछ किलोमीटर दूर डोरीगंज बाजार के निकट गंगा और घाघरा नदी के संगम पर स्थित एक पौराणिक स्थल चिरांद है. इसका वर्णन धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है. पौराणिक कथाओं के चिंराद दानी राजा मौरध्वज की राजधानी थी. भगवान कृष्ण और अर्जुन ने भेष बदल कर राजा मौर्याध्व्ज का यहां परीक्षा लिया था.

इस कथा के अनुसार अर्जुन को दानी होने का घमंड हो गया था. इस बात को लेकर भगवान कृष्ण और अर्जुन ने भेष बदल कर एक बाघ के साथ राजा मौर्याध्व्ज के पास पहुंचे. वहां वे सभी भोजन करने के लिये बैठे गए. राजा से एक शर्त रखी कि बाघ के भोजन के लिये उनके बेटे ताम्ररध्व्ज का मांस चाहिए. राजा और रानी स्वयं उसके शरीर को बराबर में बाटेंगे. लेकिन इस दौरान किसी के आंख से आंसू नहीं आनी चाहिए.

जानकारी देते पुजारी

श्री कृष्ण ने फिर से जीवित किया

शर्त के अनुसार राजा और रानी ने अपने बेटे को आरा से दो भाग में बांट दिया. राजा और रानी ने मिलकर सभी के लिये चार थाली लगायी. उसके बाद श्री कृष्ण ने कहा की पांचवी थाली लगाने को कहा. श्री कृष्ण ने कहा की पांचवी थाली आपके पुत्र ताम्रध्वज के लिए हैं.

Intro:पौराणिक महत्व है चिरांद का।छ्परा से पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट ।छ्परा जिला एतिहासिक और पौराणिक महत्व है केंद्र रहा है।यहा के रिविलगज के गोदना सेमिरिया मे भगवान बजरंगबली का ननिहाल माना जाता है।वही कई और पौराणिक महत्व की स्थली जैसे सोनपुर अनुमंडल मे बाबा हरिहर नाथ जी का मंदिर,आमी मे मा अम्बिका भवानी का मंदिर,और मर्हौरा अनुमंडल मे मा गढ़ देवी का मंदिर और इसी अनुमंडल मे शिल्हौरी मे बाबा भोलेनाथ का और छ्परा मे बाबा धर्म नाथ जी का मंदिर भी काफ़ी प्रसिद्ध है ।


Body:पौराणिक महत्व के अनुसार छ्परा शहर से कुछ ही किलोमीटर पर चिरांद नामक कस्बे मे दानी राजा मौरध्वज की राजधानी थी।पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा मौर्याध्वज काफ़ी दानी राजा था।एक बार अर्जुन को इस बात का घमंड था की मै सबसे बड़ा दानी हूं ।इस बात को लेकर भगवान श्री कृष्णा और अर्जुन ने भेष बदल कर राजा मौर्याध्व्ज की राजधानी चिरांद प हुचे ।और उनके साथ एक बाघ भी था।और वे लोग भोजन करने के लिये बैठे ।और एक शर्त रखी की बाघ के भोजन के लिये आपके बेटे ताम्ररध्व्ज का मास चाहिये ।और राजा और रानी स्वयं उसको आरी से बराबर से चिरेगे।लेकिन इस दौरान किसी की आख से आसू नही निकलना चाहिए ।





Conclusion:शर्त के अनुसार राजा और रानी ने अपने बेटे को आरा से चीरा।और बाघ के लिये भोजन का प्रबंध किया।और उसके बाद सभी के लिये भोजन की थाली लगायी गयी और राजा और रानी ने मिलकर चार थाली लगायी।तो श्री कृष्ण ने कहा की पाचवी थाली भी लगाए।तब राजा ने पूछा की पाचवी थाली किसके लिए तो श्री कृष्ण ने कहा की पाचवी थाली आपके पुत्र ताम्र ध्वज के लिए हैं राजन ।उसके बाद सभी ने साथ मे भोजन किया।वही आज भी चिरांद कस्बे मे राजा का मंदिर और अन्य चीजे विरासत के रूप मे है ।गंगा और घाघरा नदी के संगम पर स्थित इस पवित्र स्थल पर पौराणिक और प्र्र्गेतिहासिक कालीन काफ़ी धरोहर मौजूद है। बाईट राजा मौर्याध्व्ज मंदिर के पुजारी और अन्य जानकार लोगों का ।
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