सारण: इंसानों की आवाज सुनकर सरपट भागते सूअर के ये तीन बच्चे छपरा सदर अस्पताल (Sadar Hospital Chapra) की बदहाली की कहानी बयां कर रहे हैं. सरकारी पैसे से अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड (Emergency Ward) बन गया. नए बेड भी लग गए, लेकिन मरीजों को मिलने वाले स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार नहीं हुआ. मरीज सदर अस्पताल की जगह प्राइवेट हॉस्पिटल का रुख कर रहे हैं.
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मरीज कम आने के चलते अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड खाली पड़ा रहता है. यह वार्ड इन दिनों आवारा जानवरों के आराम का अड्डा बन गया है. सूअर दिनभर बेड के नीचे लेटकर आराम फरमाते रहते हैं. इस बीच कोई आ जाए तो तेजी से भागते हैं और अस्पताल की दुर्दशा की झलक इलाज कराने आए लोगों को दिखाते हैं. अस्पताल परिसर में कुत्ते भी डेरा जमाये रहते हैं.
अस्पताल में सिर्फ आवारा जानवरों के आने की परेशानी नहीं है. यहां थोड़ी भी बारिश होने पर जल-जमाव की समस्या हो जाती है. मरीजों को गंदे पानी में चलकर इलाज कराने आना पड़ता है. अस्पताल परिसर में एएनएम स्कूल है. यहां पढ़ने वाली छात्राएं बरसात भर चप्पल पहनकर आती हैं और पानी से होकर क्लास में जाती हैं.
मलेरिया विभाग की स्थिति सबसे दयनीय है. कहा जाता है कि मलेरिया से बचने के लिए घर के आसपास ठहरा हुआ पानी नहीं रहने देना चाहिए. ऐसे पानी में मलेरिया रोग फैलाने के लिए जिम्मेदार मच्छर पनपते हैं. छपरा सदर अस्पताल के मलेरिया विभाग की स्थिति इस संदेश के ठीक उलट है. यहां बरसात में कई दिनों तक पानी जमा रहता है. जलीय पौधा उगने के चलते पानी हरा दिखता है. विभाग के कर्मी वर्किंग बूट पहनते हैं ताकि गंदे पानी से पैरों को सड़ने से बचा सकें.
सदर अस्पताल परिसर में हर जगह जल जमाव देखने को मिल रहा है. पिछले कई दिनों से सिविल सर्जन कार्यालय, ब्लड बैंक, मलेरिया विभाग, आरटीपीसीआर केंद्र और एएनएम स्कूल सभी जगह भारी जल जमाव है. इसको लेकर यहां के कर्मचारी लगातार सिविल सर्जन से लेकर वरीय अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है. हर जगह सदर अस्पताल में गंदगी बरकरार है. इसे देखने वाला कोई नहीं है.
इस विषय पर जब यहां के वरीय अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई तो वे बच के निकल गए. कोई भी अधिकारी इस विषय पर बोलने के लिए तैयार नहीं हुए. अस्पताल के कई कर्मचारियों और मरीजों ने खुलकर अस्पताल प्रशासन पर कोताही बरतने का आरोप लगाया.
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