सारणः जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर मढ़ौरा में गढ़देवी माता का मंदिर है. गढ़देवी माता का मंदिर आराधना का केंद्र बिंदु माना जाता है. साल में दो बार शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र में यहां हजारों की संख्या में दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है.
ऐसा माना जाता हैं कि थावे जाने से पहले माता ने यहीं विश्राम किया था. कई वर्षों से माता का यह स्थान तांत्रिक शक्तियों के रूप में भी जाना जाता हैं. गढ़देवी माता मंदिर को लेकर कई कथा प्रचलित हैं. जिसके अनुसार माता अपने परम भक्त गोपालगंज के थावे निवासी रहसु भगत की पुकार सुन कर कामरूप कामाख्या से चली थी.
माता की प्रसिद्ध कथा
इस बीच में कई जगह वो रुकी भी थीं. माता के आने से पहले रहसु भगत ने अपने राजा से बारबार आग्रह किया कि आप अगर बोलेंगे तो माता को रोक देंगे. लेकिन हठी राजा अपने नौकर और माता के परम भक्त रहसु की एक न मानी.
अंत में माता ने गोपालगंज के थावे पहुंचने से पहले इसी स्थल पर आकर रात्रि विश्राम की थी. उसी समय से यह स्थल शक्तिपीठ के रूप में विख्यात हो गया और इसका नाम माता गढ़देवी नाम रख दिया गया था.
संध्या आरती में युवतियों को मिलता है लाभ
गढ़देवी स्थान से जुड़ी एक ऐसी मान्यता यह भी हैं कि संध्या आरती के दौरान जो भी युवतियां भाग लेती हैं. उनको मनचाहा वर प्राप्त होता हैं. जिस कारण सावन महीने, शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र के समय हजारों की संख्या में दूर दराज से युवतियां संध्या के दौरान होने वाली आरती में बढ़-चढ़ कर भाग लेती हैं.