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धान से महंगा हुआ पुआल, 2500 से लेकर 4500 की कीमत तक बिक रही पराली

पांच-सात साल पहले तक किसान खलिहान खाली करने हेतु मुफ्त में पुआल किसी को दे देते थे. वहीं अब धान बाजारों में ग्यारह सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से व्यापारी खरीद रहे हैं, तो पुआल 25 सौ से लेकर 45 सौ की कीमत पर बिक रहा है.

parali
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Published : Dec 6, 2020, 2:21 PM IST

सारण: बाढ़ के कारण इस वर्ष जिले के 8 प्रखण्डों के सैकड़ों एकड़ खेतों की लगी फसल के साथ-साथ पशुओं के खाने के लिए चारा भी बर्बाद हो गया. ऐसे में इस बार धान से अधिक कीमत पर पशुओं को खिलाने के लिए पुआल की बिक्री हो रही है. पांच-सात साल पहले तक किसान खलिहान खाली करने हेतु मुफ्त में पुआल किसी को दे देते थे.

वहीं, अब धान बाजारों में 1100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से व्यापारी खरीद रहे हैं, तो पुआल 25 सौ से लेकर 45 सौ की कीमत पर बिक रहा है.

अगस्त से लेकर अक्टूबर तक जिला में आई विनाशकारी बाढ़ ने अमनौर, मकेर, मढ़ौरा, मसरख, पानापुर ,इसुआपुर, बनियापुर समेत गड़खा और परसा के भी कई इलाकों में धान, मक्के, हरि सब्जियां समेत अन्य फसल बर्बाद कर दिया. कई जगहों पर विधानसभा और पंचायत चुनाव में भाग्य आजमाने वाले प्रत्याशियों ने बाढ़ पीड़ितों के मदद को आगे आए थे. मनुष्य तो सरकारी व बाजारों से राशन खरीद अपनी पेट भर लेते थे. लेकिन बाढ़ प्रभावित सैकड़ो गांवों में मवेशियों की भोजन के लिए काफी संकट उत्पन्न हो गई थी.

पराली
पराली

चारा नहीं होने के कारण लोगों ने बेच दिए मवेशी
खोप में रखी गेंहू के भूसे सड़ गए. लोग 10-20 किमी दूर जाकर पशुओं के लिए हरी चारा लाते थे. बाढ़ के दौरान किसी तरह मवेशियों को भोजन हुआ. बाढ़ समाप्त होते ही खेतों में मक्के और धान के फसल नही होने से किसानों में हाहाकार मच गई. कई गरीब और लाचार पशुपालकों के गायें व भैंस बीमारी से मर गई, तो कई चारा की कमी को देख औने-पौने दामों में मवेशियों को बेच दिए.

किसानों में आक्रोश
पंजाब हरियाणा समेत अन्य राज्यों में बड़े किसानों के पिछले कुछ दिनों से हड़ताल पर होने और उधोगों की बन्द वजह से बिहार की धान दूसरे राज्यों में बिक्री के लिए नहीं जा रही है. ऐसे में लोकल व्यापारियों के बीच 1100 रुपये प्रति क्विंटल के दाम में मजबूरन धान बेची जा रही है. अभी तक जिला में किसी भी पैक्सअध्यक्षों द्वारा धान की खरीदारी शुरू नहीं की गई है, जिससे किसानों में आक्रोश व्याप्त हो रहा है. सरकार द्वारा प्रति क्विंटल 18 सौ रुपये धान लेने का निर्देश है, लेकिन पैक्स अध्यक्षों द्वारा किसानों की धान नहीं खरीद कर हर वर्ष सिर्फ कागजों में खानापूर्ति की जाती है.

आसमान छू रही पुआल की कीमत
बढ़ते प्रदूषण रोकने को लेकर हाईकोर्ट और केंद्र और राज्य सरकार के निर्देश के बाद प्रशासन मुस्तैद है. पराली जलाने वाले पटना आरा समेत कई जिलों में सैकड़ों किसानों पर अब तक प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है. लेकिन छपरा जिला का आधा हिस्सा बाढ़ से प्रभावित था, जहां धान का फसल नहीं हो पाई, जिससे यहां पर किसानों को पशुओं के चारे के लिए पुआल की कीमत आसमान छू रही है.

सारण: बाढ़ के कारण इस वर्ष जिले के 8 प्रखण्डों के सैकड़ों एकड़ खेतों की लगी फसल के साथ-साथ पशुओं के खाने के लिए चारा भी बर्बाद हो गया. ऐसे में इस बार धान से अधिक कीमत पर पशुओं को खिलाने के लिए पुआल की बिक्री हो रही है. पांच-सात साल पहले तक किसान खलिहान खाली करने हेतु मुफ्त में पुआल किसी को दे देते थे.

वहीं, अब धान बाजारों में 1100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से व्यापारी खरीद रहे हैं, तो पुआल 25 सौ से लेकर 45 सौ की कीमत पर बिक रहा है.

अगस्त से लेकर अक्टूबर तक जिला में आई विनाशकारी बाढ़ ने अमनौर, मकेर, मढ़ौरा, मसरख, पानापुर ,इसुआपुर, बनियापुर समेत गड़खा और परसा के भी कई इलाकों में धान, मक्के, हरि सब्जियां समेत अन्य फसल बर्बाद कर दिया. कई जगहों पर विधानसभा और पंचायत चुनाव में भाग्य आजमाने वाले प्रत्याशियों ने बाढ़ पीड़ितों के मदद को आगे आए थे. मनुष्य तो सरकारी व बाजारों से राशन खरीद अपनी पेट भर लेते थे. लेकिन बाढ़ प्रभावित सैकड़ो गांवों में मवेशियों की भोजन के लिए काफी संकट उत्पन्न हो गई थी.

पराली
पराली

चारा नहीं होने के कारण लोगों ने बेच दिए मवेशी
खोप में रखी गेंहू के भूसे सड़ गए. लोग 10-20 किमी दूर जाकर पशुओं के लिए हरी चारा लाते थे. बाढ़ के दौरान किसी तरह मवेशियों को भोजन हुआ. बाढ़ समाप्त होते ही खेतों में मक्के और धान के फसल नही होने से किसानों में हाहाकार मच गई. कई गरीब और लाचार पशुपालकों के गायें व भैंस बीमारी से मर गई, तो कई चारा की कमी को देख औने-पौने दामों में मवेशियों को बेच दिए.

किसानों में आक्रोश
पंजाब हरियाणा समेत अन्य राज्यों में बड़े किसानों के पिछले कुछ दिनों से हड़ताल पर होने और उधोगों की बन्द वजह से बिहार की धान दूसरे राज्यों में बिक्री के लिए नहीं जा रही है. ऐसे में लोकल व्यापारियों के बीच 1100 रुपये प्रति क्विंटल के दाम में मजबूरन धान बेची जा रही है. अभी तक जिला में किसी भी पैक्सअध्यक्षों द्वारा धान की खरीदारी शुरू नहीं की गई है, जिससे किसानों में आक्रोश व्याप्त हो रहा है. सरकार द्वारा प्रति क्विंटल 18 सौ रुपये धान लेने का निर्देश है, लेकिन पैक्स अध्यक्षों द्वारा किसानों की धान नहीं खरीद कर हर वर्ष सिर्फ कागजों में खानापूर्ति की जाती है.

आसमान छू रही पुआल की कीमत
बढ़ते प्रदूषण रोकने को लेकर हाईकोर्ट और केंद्र और राज्य सरकार के निर्देश के बाद प्रशासन मुस्तैद है. पराली जलाने वाले पटना आरा समेत कई जिलों में सैकड़ों किसानों पर अब तक प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है. लेकिन छपरा जिला का आधा हिस्सा बाढ़ से प्रभावित था, जहां धान का फसल नहीं हो पाई, जिससे यहां पर किसानों को पशुओं के चारे के लिए पुआल की कीमत आसमान छू रही है.

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