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Bihar Hooch Tragedy: बहरौली में जहरीली शराब से हुईं 11 मौतें, सवाल- 'शराबबंदी है तो शराब कहां से आया?'

Chhapra Hooch Tragedy शराबबंदी वाले बिहार के सारण जिले के छपरा में जहरीली शराब से अब तक 71 लोगों की मौत हो गई. कई लोग अस्पतालों में मौत से जंग लड़ रहे हैं. इसमें से 11 मृतक बहरौली के रहने वाले हैं. इसकी वजह से पूरे गांव में मातम पसरा है. पढ़ें पूरी खबर

Bihar Hooch Tragedy Etv Bharat
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Published : Dec 16, 2022, 11:01 PM IST

छपरा: बिहार में ऐसे तो कहने को शराबबंदी है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसे लेकर दंभ भी भरते हैं, लेकिन अब लाख टके का सवाल है कि जब राज्य में पूर्ण शराबबंदी (Bihar Hooch Tragedy) है तो शराब लोगों के लिए काल क्यों बनती जा रही है. सारण जिले में पिछले तीन दिनों के अंदर कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से करीब 71 लोगों की मौत के बाद ग्रामीण भी यही सवाल पूछे रहे हैं जब शराब मिलती है, तभी तो लोग उसका सेवन कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें - छपरा जहरीली शराब कांड : अब तक 71 लोगों की मौत, मची है चीख पुकार

बहरौली गांव में मौतों से पसरा मातम : सारण जिले के बहरौली में मातम (bahrauli village of chhapra district) पसरा है. इस गांव के लोगों ने जहरीली शराब से खो चुके 11 लोगों को एक ही दिन अर्थी उठते देख सदमे में हैं. इस गांव में मातम पसरा है. इस दौरान किसी का सुहाग उजड़ा तो किसी के घर का चिराग बुझ गया. किसी ने अपना बेटा खोया है तो कई बच्चों के सिर पर से पिता का साया उठ गया.

'यहां शराब भी मिल रही है और लोग खरीद भी रहे हैं' : ऐसा नहीं कि बिहार में शराबबंदी के बाद जहरीली शराब से मौत का पहला मामला है. ग्रामीण दावे के साथ कहते हैं कि शराबबंदी के बावजूद शराब भी मिल रही है और लोग खरीद भी रहे हैं. नाम नहीं प्रकाशित करने पर मशरख के एक ग्रामीण कहते हैं कि राज्य में न तो लोग शराब पीना छोड़ रहे हैं, न ही शराबबंदी सफल हो पा रही है. भले शराब की बजाय बीमारी से मौत बताकर प्रशासन भी इससे पल्ला झाड़ लेता है, लेकिन छपरा में ही कई घर जहरीली शराब से उजड़ गए हैं.

'पिछले दिनों 23 लोगों ने जान गंवाई थी': ग्रामीण कहते हैं कि तीन माह पहले अगस्त में अलग-अलग इलाकों में 23 लोगों ने जहरीली शराब के सेवन से अपनी जान गंवाई थी. हालांकि प्रशासन इन मामलों में से कई में बीमारी की बात बताती रही, लेकिन मौत के बाद अवैध शराब भट्ठियों पर ताबड़तोड़ छापेमारी से लोगों को समझते देर नहीं लगी कि मामला जहरीली शराब का ही है.

यहां ऐसे हो रहा लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़: अपनों को खो चुके ग्रामीणों का साफ कहना है कि कच्ची शराब बनाने वाले अवैध कारोबारी लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ कर रहे हैं. पहले महुआ के साथ शीरे के तौर पर गुड़ का इस्तेमाल करके शराब बनाई जाती थी, लेकिन ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में अवैध शराब कारोबारी यूरिया और नौशादर का इस्तेमाल करने लगे हैं. देसी शराब में अगर यूरिया की मात्र थोड़ी भी ज्यादा हो जाए, तो वो जहर में तब्दील हो जाती है.

'फॉलिक एसिड अधिक मात्रा में शरीर में जायेगी तो..' : सारण जिले के रसायन शास्त्र के एक शिक्षक बताते हैं कि स्थानीय स्तर पर गलत ढंग से जो शराब बनाई जाती है. उन्होंने दावा किया कि उसकी रसायनिक अभिक्रियाओं के दौरान इथाइल अल्कोहल के साथ मिथाइल अल्कोहल भी बन जा रहा है. स्थानीय स्तर पर शराब बनाने के दौरान तापमान का कोई ख्याल नहीं रखा जाता. जब शराब में मौजूद फॉलिक एसिड अधिक मात्रा में शरीर में जायेगी तो मौत होना निश्चित है.

छपरा: बिहार में ऐसे तो कहने को शराबबंदी है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसे लेकर दंभ भी भरते हैं, लेकिन अब लाख टके का सवाल है कि जब राज्य में पूर्ण शराबबंदी (Bihar Hooch Tragedy) है तो शराब लोगों के लिए काल क्यों बनती जा रही है. सारण जिले में पिछले तीन दिनों के अंदर कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से करीब 71 लोगों की मौत के बाद ग्रामीण भी यही सवाल पूछे रहे हैं जब शराब मिलती है, तभी तो लोग उसका सेवन कर रहे हैं.

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बहरौली गांव में मौतों से पसरा मातम : सारण जिले के बहरौली में मातम (bahrauli village of chhapra district) पसरा है. इस गांव के लोगों ने जहरीली शराब से खो चुके 11 लोगों को एक ही दिन अर्थी उठते देख सदमे में हैं. इस गांव में मातम पसरा है. इस दौरान किसी का सुहाग उजड़ा तो किसी के घर का चिराग बुझ गया. किसी ने अपना बेटा खोया है तो कई बच्चों के सिर पर से पिता का साया उठ गया.

'यहां शराब भी मिल रही है और लोग खरीद भी रहे हैं' : ऐसा नहीं कि बिहार में शराबबंदी के बाद जहरीली शराब से मौत का पहला मामला है. ग्रामीण दावे के साथ कहते हैं कि शराबबंदी के बावजूद शराब भी मिल रही है और लोग खरीद भी रहे हैं. नाम नहीं प्रकाशित करने पर मशरख के एक ग्रामीण कहते हैं कि राज्य में न तो लोग शराब पीना छोड़ रहे हैं, न ही शराबबंदी सफल हो पा रही है. भले शराब की बजाय बीमारी से मौत बताकर प्रशासन भी इससे पल्ला झाड़ लेता है, लेकिन छपरा में ही कई घर जहरीली शराब से उजड़ गए हैं.

'पिछले दिनों 23 लोगों ने जान गंवाई थी': ग्रामीण कहते हैं कि तीन माह पहले अगस्त में अलग-अलग इलाकों में 23 लोगों ने जहरीली शराब के सेवन से अपनी जान गंवाई थी. हालांकि प्रशासन इन मामलों में से कई में बीमारी की बात बताती रही, लेकिन मौत के बाद अवैध शराब भट्ठियों पर ताबड़तोड़ छापेमारी से लोगों को समझते देर नहीं लगी कि मामला जहरीली शराब का ही है.

यहां ऐसे हो रहा लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़: अपनों को खो चुके ग्रामीणों का साफ कहना है कि कच्ची शराब बनाने वाले अवैध कारोबारी लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ कर रहे हैं. पहले महुआ के साथ शीरे के तौर पर गुड़ का इस्तेमाल करके शराब बनाई जाती थी, लेकिन ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में अवैध शराब कारोबारी यूरिया और नौशादर का इस्तेमाल करने लगे हैं. देसी शराब में अगर यूरिया की मात्र थोड़ी भी ज्यादा हो जाए, तो वो जहर में तब्दील हो जाती है.

'फॉलिक एसिड अधिक मात्रा में शरीर में जायेगी तो..' : सारण जिले के रसायन शास्त्र के एक शिक्षक बताते हैं कि स्थानीय स्तर पर गलत ढंग से जो शराब बनाई जाती है. उन्होंने दावा किया कि उसकी रसायनिक अभिक्रियाओं के दौरान इथाइल अल्कोहल के साथ मिथाइल अल्कोहल भी बन जा रहा है. स्थानीय स्तर पर शराब बनाने के दौरान तापमान का कोई ख्याल नहीं रखा जाता. जब शराब में मौजूद फॉलिक एसिड अधिक मात्रा में शरीर में जायेगी तो मौत होना निश्चित है.

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