छपरा: बिहार में नीतीश कुमार सुशासन बाबू कहे जाते हैं. सुशासन का मतलब अच्छा शासन. लेकिन, बिहार में तेजी से बढ़ते अपराध के बीच नीतीश सरकार के सुशासन की पोल खुलती नजर आ रही है. प्रदेश में बढ़ते अपहरण, लूटपाट, हत्या, छेड़खानी, महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.
सरकार को आइना दिखाने के लिए ईटीवी की टीम आम लोगों से बात कर रही है. आइए जानते हैं प्रदेश की जनता लॉ एंड ऑर्डर पर क्या बोलती है.
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एक नजर छपरा की बड़ी वारदातों पर
- मढ़ौरा में सब इंस्पेक्टर सहित दो पुलिस कर्मियों की गोली मार कर हत्या, बीच बाजार में एसआईटी टीम पर अंधाधुंध फायरिंग कर दो पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी गई.
- 10 अगस्त को नगर थाना क्षेत्र में एक नाबालिग युवती के साथ दुष्कर्म की वारदात सामने आई थी.
- भलुई बाजार में अपराधियों ने एक टेंट हाउस संचालक की गोली मारकर हत्या कर दी.
- गड़खा थाना के अख्तियारपुर गांव में अपराधियों ने एक युवक को उसके घर से बुलाकर गोली मार दी.
- रिविलगंज थाना के देवरिया गांव के पास छपरा-सीवान नेशनल हाईवे पर आपसी रंजिश में मंगलवार को गोली मारकर एक व्यक्ति की हत्या कर दी गयी.
- बीते दिनों अमनौर थाना क्षेत्र के बिशुनपुरा गांव के पास एक कारोबारी को तीन अज्ञात अपराधियों ने गोली मार दी थी.शिक्षाविद
'शासन ही नहीं तो सुशासन कैसे'
शिक्षाविद कहते हैं कि बिहार में शासन है ही नहीं तो सुशासन कैसे कह सकते हैं . नीतीश कुमार फेल हैं पूरी तरह से इसलिए उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.
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'राज्य के हालात सही नहीं'
वहीं एनडीए के घटक दल लोजपा के युवा नेता का कहना है कि राज्य के हालात आज सुचारू रूप से ठीक नहीं हैं.
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'अपराध बहुत बढ़ गया है'
एक स्थानीय महिला की मानें तो बिहार में अपराध इतना बढ़ गया है कि जेलों में कैदियों को रखने के लिए जगह नहीं है.
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'बढ़ते अपराध को लेकर चिंतित'
शिक्षक भी बढ़ते अपराध को लेकर चिंतित हैं. इनका कहना है कि लड़कियां कोचिंग आने से डरती हैं, हमें भी चिंता सताती रहती है कि बच्चियां सुरक्षित घर से आएं जाएं.
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'बच्चों की पहुंच से दूर रखे मोबाइल'
दुष्कर्म जैसी घटनाओं पर रोक के लिए कोई बच्चों को मोबाइल देने से रोकने की सलाह दे रहा है तो कोई छोटे कपड़ों को वजह बनाने का विरोध कर रहा है.
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कब थमेगा बिहार में अपराध
मतलब जितनी मुंह उतनी बात, लेकिन सवाल वही है कि आखिर कब थमेगा बिहार में अपराध. क्योंकि अब लोग यह कहने लगे हैं कि बिहार में डर लगता है. अब खत्म हो गया है सुशासन बाबू का इकबाल.
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बिहार पुलिस का क्राइम रिकॉर्ड
अब अगर बिहार पुलिस के जुलाई तक के क्राइम रिकॉर्ड पर गौर करें तो जुलाई 2019 तक 893 दुष्कर्म की घटना दर्ज की गई है. वहीं 1,853 हत्या के मुकदमे लिखे जा चुके हैं. ऐसे में सवाल जस के तस हैं कि आखिर कब सुरक्षित होंगी बिहार में बेटियां. आखिर कब अपराध मुक्त बनेगा बिहार क्योंकि इतनी घटनाओं के बाद भी अब तक पुलिस प्रशासन की अंतरात्मा नहीं जागी है. तो दूसरी तरफ लोग पूछ रहे हैं कि कहां हैं सुशासन बाबू?